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तीरतुक्का

अजब रिश्ते-गजब फरिश्ते

इतिहास को पढ़ा कम और कोसा ज्यादा जा रहा है। वे गले में देशभक्त होने का पट्टा डाल कर बाइक में डोलते रहते हैं। ये पट्टा उन्हें नयी ठसक वाली पहचान दे रहा है। कुछ भी कहने या बताने की जरूरत नहीं रहती। वे बेरोजगार हैं। घरवालों को इसकी टीस जरूर होती होगी। लेकिन पट्टाधारी मस्त कलंदर हैं। वे नए दौर के…
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आओ, हम सब पॉजिटिव हो जाएं!

वीरेंद्र सेंगर देखिए! संशय में नहीं रहिए! मैं ‘वो’ वाला पॉजिटिव होने की बात नहीं कर रहा। मैं तो सकारात्मकता फैलाने की बात का समर्थन कर रहा हूं। जिसका प्रलाप हमारे साहेब! और उनके खास बंदे करते रहते हैं। न्यू इंडिया का यंगिस्तान शायद सकारात्मकता के ठीक मायने ना समझे, इसलिए सरल हिंदुस्तानी में बता…
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शव महोत्सव!

कोरोना काल चल रहा है। अवतार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों के तड़पने और मरने का सिलसिला थम नहीं रहा। सरकारी आंकड़ा ही मान लें तो लाखों लोग स्वर्ग सिधार चुके हैं। नासमझ लोग, इसके लिए चुने हुए अवतार की तरफ उंगली उठा रहे हैं। यह सरासर नाइंसाफी है.... वीरेंद्र सेंगर यह नया इंडिया है।…
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आओ चलो पप्पू हो जाएं

हम जिस पप्पू की बात कर रहे हैं, उसका मौलिक नाम लेने की भी जरूरत नहीं हैं, क्योंकि हमें पता है कि ये काॅलम पढ़ने वाले इतने गधे नहीं हो सकते। पप्पू नामकरण करने वाले, गधे-घोड़े या खच्चर हों, तो मुझे हैरानी भी नहीं होगी। देश का समयकाल बड़े उलट फेर वाला है। पप्पू ही सच्चा साबित हो रहा है... वीरेंद्र सेंगर…
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बेवफा कोरोना

पहली बार कोई पवित्र काया, ऊंची गद्दी पर बैठी है। उस पर भी अविश्वास! भाई ये तो घोर कलियुग है। यहां जनता के अवतार पर भी सवाल-दर-सवाल, मेरा तो दिल बैठा जा रहा है। कैसे बेवफा लोग हैं? वे कोरोना पर भी शक कर रहे हैं। कह रहे हैं ये वायरस नहीं है महज सियासत है। लो कल्ल लो बात!... मैं चिल्ला कर कह रहा…
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अटल है विश्वास

राजधर्म यही सिखाता है, ‘सबका विकास और सबका विश्वास’ से आगे-पीछे होते हुए चलते चलो, भ्रमित होना छोड़ो। आस्था को मजबूत करो, जनसेवक के साथ चलो और विश्वगुरु बन जाओ, अब इसके लिए रोजी-रोटी भी कुर्बान करनी पड़े तो सौदा सच्चा ही है... वीरेंद्र सेंगर देश की तरक्की की रफ्तार, वाकई में बहुत तेज हो गयी है।…
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पार्टनर क्या पाॅलिटिक्स है!

राम-राम, क्या कलियुग आ गया है। जहां लोकप्रिय राजा पर भी जनता विश्वास करने को तैयार नहीं। ये कांग्रेसी टाइप लोग जनता को भ्रमित करते हैं। कितनी गंदी पाॅलिटिक्स है। आइए! समवेत स्वर में इनकी निंदा करते हैं जय श्री राम-जय श्री राम!
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खतरे टूल किट के

बंगलुरु वाली बिटिया दिशा रवि ह्यटूल किटह्य यानी आंदोलन की रणनीति बनाकर गुनाह कर चुकी है। तो सजा भोग रही है। आप इस भैकाल से बचो। अपने अवतारी सेवक पर भरोसा करो, अपने नसीब को ह्यटूल किटह्य बनाओ और प्रभु के गुन गाओ..... वीरेंद्र सेंगर अब वो पहले वाला सहज भारत नहीं रहा। हम खांटी ह्यन्यू इंडियाह्य के…
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नजरिए का लोचा

वीरेंद्र सेंगर ये किस्सा एक केंद्रीय राज्यमंत्री के बंगले का है। समय रहा होगा सुबह दस बजे का। सम्मान देने या मलाई मक्खन लगाने के लिए गांव-गंवई के लोग लक्ष्मण बाजपेई को पीए साहब कहते हैं। बाजपेई जी को साहब कहलाना ज्यादा भाता है। वे अपने अन्नदाता के वास्ते दिन रात तरह-तरह के झूठ बोलते हैं...…
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किसानों की हाए-हाए!

वीरेंद्र सेंगर ग्राउंड जीरो पर डरावने संदेश भी गए, लालच की डोरें भी खींचीं गई लेकिन सब फेल। ऐसे में राष्ट्र भक्तों की टोलियां निकलीं। इन्होंने गालियां देकर भड़ास निकाली, लेकिन सब फुस्स, जुटान बढ़ती गई। किसानों का क्या? वे तो अड़ गए, लेकिन विश्व गुरु बनने वालों के मुल्क को चिंता है... न्यू इंडिया का…
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