आओ, हम सब पॉजिटिव हो जाएं!

तीरतुक्का

वीरेंद्र सेंगर

देखिए! संशय में नहीं रहिए! मैं ‘वो’ वाला पॉजिटिव होने की बात नहीं कर रहा। मैं तो सकारात्मकता फैलाने की बात का समर्थन कर रहा हूं। जिसका प्रलाप हमारे साहेब! और उनके खास बंदे करते रहते हैं। न्यू इंडिया का यंगिस्तान शायद सकारात्मकता के ठीक मायने ना समझे, इसलिए सरल हिंदुस्तानी में बता देता हूं कि ‘बी पॉजिटिव’। वैसे पॉजिटिव होने और यही नजरिया रखने में कोई फर्क भी कहां है?

  • इतने लोग कोरोना से बच गए? ये किसकी मेहरबानी है? सरकार की ही तो? इस सफलता के लिए आपका कोई फर्ज नहीं बनता? कृतघ्न लोगों! कायदे से आपको सुबह-शाम साहेब मंडली की आरती उतारनी चाहिए। बिना कहे ताली, थाली यहां तक कि हथौड़े से तवा तक बजाना चाहिए…

भयंकर वाला कोरोना काल चला है। पिछले साल भी चला था। दो दौर तो आ गए हैं। कितने दौर और चलेंगे? इसकी भविष्यवाणी संघी ज्योतिषी भी नहीं कर पा रहे हैं। उनको भी जैसे सांप सूंघ गया है! चारों तरफ शोर बरपा है कि सरकारी नाकामी से कोरोना ने तबाही मचा दी है। कुछ मेरे जैसे अतिवादी, इसके लिए अपने भोले बाबा! धवल पवित्र दाढ़ी धारक साहेब! की तरफ अंगुलियां उठा रहे हैं। आज सुबह मुझे अपने पर बहुत ग्लानि हुई। इतनी कि बता नहीं सकता!

विचार मंथन चला कि इतना नेगेटिव क्यों हूं? वे कह रहे हैं, ‘बी पॉजिटिव’ तो इसमें गलत क्या है? यानी सारा लोचा नकारात्मकता का है। देखो! ये आरोप भी मान लें कि साहेब के फरमान के बाद भी कुछ संघी और गैर संघी राज्य सरकारें मौतों का आंकड़ा छुपा रही हैं। कल्पना कीजिए! वे कितना छुपा रही होंगी? चार लाख, दस लाख! इससे ज्यादा तो वास्तविकता नहीं होगी?
हम सरकार की तरह आंकड़ों का ही खेला करें, तो हर हाल में सरकार साहेब का पलड़ा ही भारी है। आओ! मिलकर इस साहेब सरकार को सलाम करें। बस, पॉजिटिव करवट बदलिए! नजारा कितना खूबसूरत है? करीब 135 करोड़ की आबादी है, देश की। यह देश नहीं, महा देश है। दरअसल, यहां अब सब कुछ महा है। बीमारी भी, महामारी है। सारी दुनिया में है तो हमारे यहां भी है, तो इतना स्यापा क्यों?
हम साहेब! विरोधियों की बात मान लें, तो मरने वाले दस लाख ही तो हैं। आंकड़ा निकालिए, कुल आबादी में यह कितने प्रतिशत बैठेगा बैठता है। चुटकी भर ही न? इसके लिए इतना महा स्यापा? यह कहां का इंसाफ है? आप सब को इंसाफ चाहिए, तो साहेब बहादुर की सरकार को भी चाहिए? ठीक बात है ना!

इतने लोग कोरोना से बच गए? ये किसकी मेहरबानी है? सरकार की ही तो? इस सफलता के लिए आपका कोई फर्ज नहीं बनता? कृतघ्न लोगों! कायदे से आपको सुबह-शाम साहेब मंडली की आरती उतारनी चाहिए। बिना कहे ताली, थाली यहां तक कि हथौड़े से तवा तक बजाना चाहिए। भांगड़ा करना चाहिए। टीका नहीं है, तो क्या! टीकोत्सव मनाना चाहिए। टीका आज नहीं है, तो कल आ जाएगा। इसके लिए क्या रोना-धोना?
कुछ मेरे जैसे लफंगे पत्रकार सवाल उठाते हैं कि टीके के विकास में साहेब का योगदान क्या है? अब हृदय परिवर्तन के बाद मुझे ग्लानि हो रही है। यही कि अपने अवतार साहेब के बारे में इतना नेगेटिव क्यों था? वैसे मेरे कई आदमी मित्र इस बारे में मुझे आगाह कर रहे थे। यही कि आप बहुत नेगेटिव हो गए हैं। तब मुझे समझ में नहीं आ रहा था। आज तो आ गया है। लेकिन यह समझ कितने घंटे ठहरेगी? यह गारंटी नहीं ले सकता। क्योंकि यह जीवन क्षणभंगुर है।
इस समय मुझे अवतारी भगवान आसाराम बापू का वह वीडियो याद आ रहा है जिसमें वे कृष्ण जी का बाना धरे, नृत्य कर रहे हैं। आज वाले अपने अवतारी साहेब! भी दर्शक दीर्घा में थे। वे भक्ति भाव में झूम रहे थे। बाद में मंच पर आकर साष्टांग दंडवत करते हैं। वैसी ही दंडवत, जैसी कि संसद भवन में 2014 में प्रवेश करते वक्त की थी। फिर बापू! के लिए बोले थे, ‘मेरा जन्म सफल हो गया, बापू के साक्षात दर्शन करके। पूर्व जन्म में मैंने जरूर कुछ अच्छे काम किए होंगे।’

जरूर साहेब! आपने पूर्व जन्म में बहुत अच्छे कर्म किए होंगे! जिसके चलते करोड़ों-करोड़ लोग आपके मुरीद हैं। जैसे कि कभी भगवान आसाराम बापू के थे। अब वे जेल में अच्छे दिन गिन रहे हैं। आपके अच्छे दिन जरूर हैं। आप इतिहास पुरुष बनने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए से नई संसद और अपना महा घर बनवा रहे हैं। शाहजहां ने भी ताजमहल बनवाया और अमर हो गया। उस समय भी भुखमरी और बदहाली रही होगी। इस समय भी है, तो क्या? आप अपना ताजमहल बनवा कर ही मानना।

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