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तीरतुक्का

भाजपा संग संघ, ये रिश्ता क्या कहलाता है!

अगले साल ही उनके संगठन संघ, यानी आरएसएस के पूरे सौ साल पूरे हो रहे हैं। जो सपना गढ़ा था, वह काफी पूरा हुआ है। असली लक्ष्य बाकी है। वही अपने हिंदू राष्ट्र का। जरूरी नहीं है कि लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बार-बार उसका नाम लिया जाए?... वीरेंद्र सेंगर वो सालों चुप्पी साधे रहते हैं। आंख बंद किए रहते…
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हुकुम का फरमान

वे कहते हैं की सरकारी अधिकारियों को सरकार का प्रचार करने के लिए क्यों लगाया जा रहा है? यह तो नासमझी की बात है। सरकारी महकमा, तो चुनी हुई सरकार की सेवा-टहल की लिए ही होता है। जब संक्रमण काल हो, तो किताबी मर्यादाओं को राष्ट्रहित में तोड़ना भी गुनाह थोड़ा है! लेकिन यह विपक्षी इतना भी नहीं जानते! हर अच्छे…
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अरे! प्रजा धर्म भूल गये

रह-रह कर हूक उठी कि किसी से पूछ लूं कि मैं उन्हें जिंदा दिखाई पड़ रहा हूं क्या? सहमते-सहमते मैंने एक युवा से पूछ लिया। इस पर उसने अजनबी निगाह से देखा। बोला, कहां-कहां से आ जाते हैं, कार्टून। इन्हें अपने होने पर ही शक है। फिर...मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि वे 1950 में अवतरित हुए थे। इस तरह तो वे 96…
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अरे! प्रजा धर्म भूल गये

रह-रह कर हूक उठी कि किसी से पूछ लूं कि मैं उन्हें जिंदा दिखाई पड़ रहा हूं क्या? सहमते-सहमते मैंने एक युवा से पूछ लिया। इस पर उसने अजनबी निगाह से देखा। बोला, कहां-कहां से आ जाते हैं, कार्टून। इन्हें अपने होने पर ही शक है। फिर...मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि वे 1950 में अवतरित हुए थे। इस तरह तो वे 96…
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ओ! बाबा चमत्कारी

आजकल देश में एक नया चमत्कारी बाबा आया है, सुंदर-सुहाना। बातें बड़ी प्यारी करता है। दरबार में आए भक्त-अंधभक्त चमत्कार पर खूब तालियां ठोकते हैं। मूर्खता का अट्टहास कुछ ज्यादा गूंजता है। बाबा जैसे सत्य का अट्टहास करता है, तो भक्त पीछे कहां रहने वाले हैं? वे भी अपनी पूरी ऊर्जा ठोक देते हैं। आज के दौर में…
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दिगंबर काल!

लाख घृणा के बावजूद यत्र-तत्र हिटलरी मानसिकता जिंदा है। वह कभी यूक्रेन जैसे देशों में नरसंहार कराती है तो कहीं धर्म और नस्ल भेद के नाम पर बजबजाते नये-नये नर्क गढ़ती है। वहीं, ईश्वर और संस्कृति के नाम पर गैर इंसानी रवायतें गढ़ती हैं, तो कहीं विश्व गुरु बनने की सनक पैदा करती है... वीरेंद्र सेंगर समय…
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जी हां! हंसना मना है…

सच पूछिए, तो इस आपके बंदे ने भी अब तक फिल्म नहीं देखी। दो-तीन राष्ट्रवादी पटकाधारी भूतपूर्व मित्रों की नेक सलाह के बाद भी। उन्होंने सलाह तो कम, टोका ज्यादा था। यही कि यार! चाहे आलोचना करना। लेकिन एक बार फिल्म को देख लो। रोए बिना रह जाओ? तो हमारा नाम बदल देना। यह लाफ्टर चैलेंज नहीं, राष्ट्र प्रेम का…
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परदेश में पराक्रम

महाराजा तो नाम के हैं। फिर भी कितने आनंद की बात है। वहां भी थे महाराजा, अब यहां भी छायावादी महाराजा। बस, मामूली फर्क है। वहां पैदल हो गए थे। यहां फुल मंत्री बन गये। विमानन मंत्री। ऐसा विभाग, जिसके पास एक भी अपना विमान नहीं है। बगैर विमान के विमानन मंत्री। एयर इंडिया का महाराजा भी मूछों को संभालते…
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मजे आचार संहिता के!

अब तो प्रचंड सरकार है। वही सरकार हुजूर है। वही संविधान है। क्योंकि ये चुनी हुई सरकार है। ये जुमला इस दौर में कुछ ऐसे उछाला जाता है, मानो पहले की सरकारें आसमान से टपक पड़ती थी। वे चुनी हुई नहीं होती थी? ये प्रहसन खुलेआम होता है। बार-बार दोहराया जाता है। हम मीडिया के बाबू! उफ् तक नहीं करते। जैसे…
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मालिक और सेवक संवाद!

बात। भाई जी! आप मीडिया वाले हमारे साथ हो। दिल्ली से लखनऊ तक यही गनीमत है। वर्ना यह दलित, ओबीसी और मुसलमान, विश्वास के काबिल नहीं हैं। ससुरों! को चाहे जितना दो, खुशामद करो। लेकिन पूछ टेड़ी ही रहती है। मैंने कहा, हद हो गई। वोट के लिए हाथ जोड़ते भी हो और कुत्ता मानते हो। एक ने सफाई दी, सर हम कुत्ता नहीं…
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