ओ! बाबा चमत्कारी

आजकल देश में एक नया चमत्कारी बाबा आया है, सुंदर-सुहाना। बातें बड़ी प्यारी करता है। दरबार में आए भक्त-अंधभक्त चमत्कार पर खूब तालियां ठोकते हैं। मूर्खता का अट्टहास कुछ ज्यादा गूंजता है। बाबा जैसे सत्य का अट्टहास करता है, तो भक्त पीछे कहां रहने वाले हैं? वे भी अपनी पूरी ऊर्जा ठोक देते हैं। आज के दौर में सत्य होता ही रौंदने के लिए न…?

वीरेंद्र सेंगर

आजकल देश में एक नया चमत्कारी बाबा आया है, सुंदर-सुहाना। बातें बड़ी प्यारी करता है। फेंकता भी खूब है। चौंकाता भी जमकर है। कभी-कभी श्री लंका पति रावण से फोन पर बात कर लेता है। सरेआम अपने दरबार में यह दावा भी ठोकता है। दरबार में आए भक्त-अंधभक्त चमत्कार पर खूब तालियां ठोकते हैं। मूर्खता का अट्टहास कुछ ज्यादा गूंजता है। बाबा जैसे सत्य का अट्टहास करता है, तो भक्त पीछे कहां रहने वाले हैं? वे भी अपनी पूरी ऊर्जा ठोक देते हैं। आज के दौर में सत्य होता ही रौंदने के लिए न?
आनंद ही आनंद है। वह बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) का एक पिछड़ा जिला है। जिसमें गरीबी और बदहाली का बाहुल्य सदियों से है। इसी जिले का एक गुमनाम सा गांव चमकने लगा है। बागेश्वर गांव, अब बागेश्वर धाम बन गया है। क्योंकि इसी धरती में लोट-पोट कर बड़ा हुआ एक बेरोजगार युवा, अब चमत्कारी बाबा बन गया है। वह त्रिकालदर्शी बताया जा रहा है। और किसी को कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। वह वाचाल चमत्कारी बाबा, अपने बारे में बहुत कुछ बोलता है। बोलता ही रहता है। चमत्कार और झांसे बाजी का चोली-दामन का साथ होता है। यह सभी जानते हैं। यानी बगैर झांसा के सच्चा चमत्कार हो ही नहीं सकता। जितना बड़ा झांसा, उतना बड़ा चमत्कार।
सत्ता-चारण महान मीडिया के पास एक न एक बड़ी जिम्मेदारी रहती है। इसको पूरा करने में वह पूरी ताकत लगा देता है। मानो इस देश में इससे महत्वपूर्ण कुछ और नहीं है। न भूख की किल्लत है, न बेरोजगारी का हाहाकार है और ना नाइंसाफी चित्कारें। बस समस्या कोई हो, तो समाधान के लिए चले आइए बाबा के पास। हां, बस इतना ध्यान रखिए कि जेब से मजबूत हों।

हो सके तो अक्ल (यदि हो) को घर में ही रख आइये। फिर तो मौजां ही मौजां है। जो बाबा अपने मसखरेपन से दिखाएगा, वही आपको साक्षात दिखाई पड़ेगा। चाहे रावण से फोन पर लाइव बातचीत हो, या स्वर्ग का आंखों देखा हाल हो। बाबा तो त्रिकालदर्शी हैं। वे सब देख रहे हैं। उन्हें कोई नहीं देख रहा। क्योंकि बीच में अंधविश्वास की मोटी दीवार है।
अंधविश्वास, आस्था का मूल तत्व है। आपने तर्क किया तो विश्वास टूटा। कोई भी पहुंचा हुआ चमत्कारी नहीं चाहेगा कि उसका कोई भक्त तर्क करे। तर्क करोगे, चमत्कार भला कैसे मानोगे। सो बंदे! अकल बंद रखो। आंखों को खोलो, चमत्कार ही चमत्कार। बाबाजी दूर से आपके चाचा का नाम बता देंगे, लगे हाथ छोटी बहन का भी। आप हतप्रभ रह जाएंगे। पहले ही दिमाग संभावित चमत्कार के गिरवी रख आए थे।

बाबा ने नाम उगले तो आप दंडवत हो गए। लगे चरण चूमने। भले! आप गोदी टीवी के खास किरदार हो। लेकिन यहां चमत्कार के सामने आप महा चिंटू बन जाते हैं। पूरी मीडिया का मजाक बना देते हैं, लेकिन आपको क्या? आपने तो साक्षात चमत्कार देखा। दूर से ही सही, सिंहासन में बैठे बाबा के पैर चाट लिये। चलो! आपका जन्म तो सार्थक हुआ।

बाबा एक भगोड़ा है। नागपुर से भागा था। वहां उसे एक तर्क शास्त्री ने चैलेंज किया था। यही कहा था कि चमत्कार सिद्ध करो, तो पूरे तीस लाख का ईनाम पाओ। बाबा कथा मंडप छोड़कर भागा। चैलेंज पीछा करता रहा। उम्मीद थी कि इस पोल खोल के बाद चमत्कार का गोरखधंधा घोर मंदा पड़ जाएगा। लेकिन बाबा और चमकने लगा। उसके मंसूबे राष्ट्रीय हो गए। वह संविधान को ही चुनौती दे बैठा।

बोला तो बोलता ही गया। बोला, तुम मुझे समर्थन दो! मैं तुम्हें हिंदू राष्ट्र दूंगा। नेताजी, यानी सुभाष चंद्र बोस की तर्ज पर बोलने लगा है। संघ यानी आरएसएस का यह पुराना सपना है। इसको इस बाबा ने पंख लगा दिए हैं। फिर क्या देखते-देखते उसका पूरा रक्षा कवच मजबूत हो गया। उसके हर झूठ को भगवत वाणी सिद्ध करने वाले तमाम बाहुबली सामने आ गये। वे अफवाह से पूरे देश में दशकों पहले गणेश मूर्तियों को दूध पिलवा चुके हैं। झूठ का पोखरण वे सिद्ध कर चुके हैं। उसके मुकाबले तो यह छोटा चैलेंज है। यह चमत्कार का मदारी संस्करण है।
यह अलग बात है कि इसी बीच एक युवा सुंदरी सुहानी शाह अवतरित हुई। उसने इस बाबा से बड़े स्मार्ट चमत्कार तमाम मीडिया मंचों पर दिखा दिए। यही कहा कि ये चमत्कार नहीं, सिर्फ ट्रिक है। अभ्यास है। इसे वह दो दशक से करती आ रही है। बाबा भी यही कर रहा है। कोई दैवीय शक्ति नहीं है। जादू का मनोरंजन है। बाबा झांसा देता है। वह सच बोल रही है। सुहाने बाबा को सुहानी का चैलेंज भारी पड़ा। अब वह हिंदुत्व का पुरोधा बन गया है। राम जी! देश का भला करें! बाबा से बचाएं।

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