भाजपा अपने मंत्रियों और विधायकों को उतारेगी मैदान में
कांग्रेस ने भी अपने विधायकों और पूर्व विधायकों को किया क्षेत्र में तैनात
सुमित्रा, चंडीगढ़।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौधरी भजन लाल के परिवार के गढ़ को भेद पाना आसान नहीं है। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र पर भजनलाल और उनके परिवार का 1968 से कब्जा है। पिछले 54 साल से इस क्षेत्र में उनका एकछत्र राज है। आदमपुर क्षेत्र में अब एक बार फिर रण होगा।
इस रण में फिर से जीत का परचम भजनलाल परिवार ही लहराएगा या फिर कोई और, यह छह नवंबर को साफ़ हो जाएगा। फिलहाल, तलवारें खिंच चुकी हैं और भजनलाल के पौत्र भव्य बिश्नोई इस बार इस रण में कमल खिलाने की कोशिश में हैं।
आदमपुर में एक और रण के हालात खुद भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई की वजह से पैदा हुए हैं। कुलदीप ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर आदमपुर से जीत दर्ज की थी। उम्मीद थी कि कुमारी शैलजा के हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी की कमान उन्हें सौप दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूर्व विधायक चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनवा दिया।
कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले से कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन के खिलाफ आज़ाद उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दे कर अपनी नाराजगी का इजहार भी किया, लेकिन पार्टी ने उन्हें मनाने की कोई कोशिश नहीं की।
आदमपुर में एक और रण के हालात खुद भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई की वजह से पैदा हुए हैं। कुलदीप ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर आदमपुर से जीत दर्ज की थी। उम्मीद थी कि कुमारी शैलजा के हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी की कमान उन्हें सौप दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूर्व विधायक चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनवा दिया।
कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले से कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन के खिलाफ आज़ाद उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दे कर अपनी नाराजगी का इजहार भी किया, लेकिन पार्टी ने उन्हें मनाने की कोई कोशिश नहीं की।
कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी तो भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुलाक़ात के लिए उन्हें समय नहीं दिया। ऐसे में कुलदीप ने न केवल कांग्रेस छोड़ दी, बल्कि विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसी वजह से अब आदमपुर में उप चुनाव हो रहा है और भाजपा के तख्त पर उनके बेटे भव्य बिश्नोई किस्मत आजमा रहे हैं।
हरियाणा के गठन के बाद से आज तक आदमपुर क्षेत्र से भाजपा कभी जीत नहीं पाई है। चूंकि, भाजपा आज सत्ता में है और आम तौर पर उप चुनाव में सत्तारूढ़ दल को इसका फायदा मिलता है। फिर भाजपा को एक मजबूत जनाधार वाले परिवार का साथ मिल गया है, ऐसे में अगर आदमपुर क्षेत्र में पहली बार ‘कमल’ खिल जाए तो कोई आश्चर्य भी नहीं होगा।
भजनलाल परिवार का इतिहास
आदमपुर क्षेत्र में भजनलाल परिवार का शानदार राजनीतिक इतिहास रहा है। खुद भजनलाल कई बार इस क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के टिकट पर भी चुनाव जीता था। पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल की लहर में भी भजनलाल की पत्नी जसमा देवी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई के अलावा उनकी पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई भी आदमपुर से विधायक रह चुकी हैं।
तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भजन लाल ने आदमपुर क्षेत्र से 1972 के चुनाव में देवीलाल को भारी अंतर से हराया था। पंचायत चुनावों से अपनी राजनीति शुरू करने वाले भजन लाल केंद्र में भी कृषि और पर्यावरण मंत्री रहे थे। अपने जीते-जी आदमपुर क्षेत्र में उन्होंने कभी भी कोई दावेदार नहीं उभरने दिया। अब भजन लाल परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में उनके पौत्र भव्य बिश्नोई आदमपुर से किस्मत आजमा रहे हैं। यहां तीन नवंबर को मतदान होना है।
तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भजन लाल ने आदमपुर क्षेत्र से 1972 के चुनाव में देवीलाल को भारी अंतर से हराया था। पंचायत चुनावों से अपनी राजनीति शुरू करने वाले भजन लाल केंद्र में भी कृषि और पर्यावरण मंत्री रहे थे। अपने जीते-जी आदमपुर क्षेत्र में उन्होंने कभी भी कोई दावेदार नहीं उभरने दिया। अब भजन लाल परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में उनके पौत्र भव्य बिश्नोई आदमपुर से किस्मत आजमा रहे हैं। यहां तीन नवंबर को मतदान होना है।
कांग्रेस के पूर्व धुरंधर ही आमने-सामने
आदमपुर क्षेत्र के उप चुनाव में कांग्रेस के पूर्व धुरंधर ही एक-दूसरे के सामने मैदान में खड़े हैं। कांग्रेस के टिकट पर पहले चुनाव लड़ कर हार चुके मुख्य पार्टियों के इन उम्मीदवारों में से इस बार किसी एक को जरूर विधानसभा में पहुंचने का मौका मिलेगा। उप चुनाव के लिए 27 उम्मीदवारों ने अपने पर्चे भरे हैं।
भाजपा ने भव्य बिश्नोई को टिकट दी है।
भाजपा ने भव्य बिश्नोई को टिकट दी है।
भव्य वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में हिसार से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे थे, लेकिन हार गए। आदमपुर क्षेत्र भी हिसार लोकसभा सीट के तहत ही आता है। भव्य तब आदमपुर क्षेत्र में भी भाजपा के बृजेंद्र सिंह के मुकाबले पिछड़ गए थे। कांग्रेस विधायक और अपने पिता कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे से खाली हुई आदमपुर सीट पर अब भव्य बिश्नोई पाला बदल कर भाजपा के टिकट पर लड़ रहे हैं।
कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को टिकट दिया है। जयप्रकाश एक बार इससे पहले भी आदमपुर से उप चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत नहीं पाए थे। इसी तरह आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार सत्येंद्र सिंह वर्ष 2014 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे, लेकिन हार गए। सत्येंद्र सिंह ‘आप’ में शामिल हो गए तो पार्टी ने अब उन्हें आदमपुर उप चुनाव में टिकट दे दी है।
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर लड़ रहे कुरड़ाराम नंबरदार कंग्रेस की टिकट के दावेदार थे, लेकिन जब कांग्रेस ने जय प्रकाश को उम्मीदवार घोषित कर दिया तो वे इनेलो में शामिल हो गए और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें इनेलो का उम्मीदवार भी बना दिया। कुरड़ाराम ने भी वर्ष 2000 में हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) के टिकट पर आदमपुर से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए थे। इस बार वे इनेलो के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।
भव्य बिश्नोई के मुकाबले कांग्रेस, ‘आप’ और इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार जाट समुदाय से हैं। इस क्षेत्र में करीब 65 हजार जाट मतदाता हैं। पिछले तीन साल में हरियाणा में यह तीसरा उप चुनाव है। इससे पहले हुए दोनों उप चुनावों (बड़ोदा और ऐलनाबाद) में भाजपा की हार हुई है। ऐसे में आदमपुर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ ही स्व। चौधरी भजन लाल परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। दल-बदल के खेल ने इस बार आदमपुर उप चुनाव को रोचक बना दिया है।
भाजपा जहां अपनी जीत पक्की करने के लिए अपने मंत्रियों और विधायकों की फ़ौज खड़ी करेगी, वहीं कांग्रेस ने भी अपने विधायकों और पूर्व विधायकों को आदमपुर में तैनात कर दिया है। भाजपा की जीत के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी प्रदेश के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान, इनेलो के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, पार्टी के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला और ‘आप’ की जीत के लिए राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ। अशोक तंवर जोर लगाएंगे। लोगों का भरोसा अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार पर कायम है या नहीं, यह छह नवंबर को साफ हो जाएगा।
कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को टिकट दिया है। जयप्रकाश एक बार इससे पहले भी आदमपुर से उप चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत नहीं पाए थे। इसी तरह आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार सत्येंद्र सिंह वर्ष 2014 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे, लेकिन हार गए। सत्येंद्र सिंह ‘आप’ में शामिल हो गए तो पार्टी ने अब उन्हें आदमपुर उप चुनाव में टिकट दे दी है।
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर लड़ रहे कुरड़ाराम नंबरदार कंग्रेस की टिकट के दावेदार थे, लेकिन जब कांग्रेस ने जय प्रकाश को उम्मीदवार घोषित कर दिया तो वे इनेलो में शामिल हो गए और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें इनेलो का उम्मीदवार भी बना दिया। कुरड़ाराम ने भी वर्ष 2000 में हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) के टिकट पर आदमपुर से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए थे। इस बार वे इनेलो के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।
भव्य बिश्नोई के मुकाबले कांग्रेस, ‘आप’ और इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार जाट समुदाय से हैं। इस क्षेत्र में करीब 65 हजार जाट मतदाता हैं। पिछले तीन साल में हरियाणा में यह तीसरा उप चुनाव है। इससे पहले हुए दोनों उप चुनावों (बड़ोदा और ऐलनाबाद) में भाजपा की हार हुई है। ऐसे में आदमपुर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ ही स्व। चौधरी भजन लाल परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। दल-बदल के खेल ने इस बार आदमपुर उप चुनाव को रोचक बना दिया है।
भाजपा जहां अपनी जीत पक्की करने के लिए अपने मंत्रियों और विधायकों की फ़ौज खड़ी करेगी, वहीं कांग्रेस ने भी अपने विधायकों और पूर्व विधायकों को आदमपुर में तैनात कर दिया है। भाजपा की जीत के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी प्रदेश के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, कांग्रेस के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान, इनेलो के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, पार्टी के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला और ‘आप’ की जीत के लिए राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ। अशोक तंवर जोर लगाएंगे। लोगों का भरोसा अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार पर कायम है या नहीं, यह छह नवंबर को साफ हो जाएगा।