उत्तराखंड काफी छोटा प्रदेश है लेकिन इस प्रदेश ने इतना बड़ा आयोजन करके यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति बड़ी चीज है और इंसान ठान ले तो सब कुछ संभव है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की यह एक शानदार पहल है। पक्ष- विपक्ष सभी को इस इन्वेस्टर्स समिट की प्रशंसा करनी चाहिए…
रणविजय सिंह
उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का समापन हो गया है। इसमें देशी विदेशी निवेशकों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे हैवीवेट दिग्गज भी शामिल हुए। तीन चार महीने तक खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) और नौकरशाह इस इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने में जुटे हुए थे। इसी का परिणाम रहा कि कुल 44 हजार करोड़ से ज्यादा के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। लेकिन, अब करार को अमली जामा किस तरह से पहनाया जाए, यह काफी महत्वपूर्ण है। अब इस दिशा में सभी को मंथन करने और जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन तो पूरी तरह से कामयाब दिखा भी है। इस पर देश दुनिया की नजरें भी टिकी हुई थीं और तब तक टिकी रहेंगी जब तक कि निवेश धरातल पर नहीं उतर पाता है।
उत्तराखंड में निवेश के लिए माहौल काफी साफ सुथरा है। तभी तो इलेक्ट्रिक व्हीकल, रियल स्टेट, हेल्थ केयर, हायर एजुकेशन, पर्यटन, फिल्म, आयुष तथा ऊर्जा के क्षेत्र में भारी भरकम निवेश हुए हैं। अब इन सभी को संभालने की जरूरत, उत्तराखंड सरकार की है। इस इन्वेस्टर्स समिट के दौरान मुख्यमंत्री ने काफी अच्छी बात कही कि हर दो साल पर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाना चाहिए। निश्चित रूप से इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन से मुख्यमंत्री काफी उत्साहित हैं। अर्थव्यवस्था को किस तरह से सशक्त किया जाए, यह काफी महत्वपूर्ण है और यह समिट इसका बेहतरीन उदाहरण है।
अर्थशास्त्र के जानकारों की मानें तो अन्य राज्यों को भी उत्तराखंड से सबक लेने की आवश्यकता है। उत्तराखंड काफी छोटा प्रदेश है लेकिन इस प्रदेश ने इतना बड़ा आयोजन करके यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति बड़ी चीज है और इंसान ठान ले तो सब कुछ संभव है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की यह एक शानदार पहल है। पक्ष- विपक्ष सभी को इस इन्वेस्टर्स समिट की प्रशंसा करनी चाहिए। हां, इतना जरूर है कि उत्तराखंड सरकार पर अब पहले से अधिक जिम्मेदारी बढ़ गयी है। निवेशकों ने उत्तराखंड सरकार पर भरोसा जताया है, अब सरकार को निवेशकों के सपनों को धरातल पर उतारने के लिए तत्काल प्रभाव से रणनीति बनाने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि यहां समस्याएं तो हैं, इसमें संदेह नहीं है। मूल रूप से नौकरशाही बेलगाम है। उत्तराखंड की नौकरशाही राज्य को अपने तरीके से चलाने की कोशिश करती है। मुख्यमंत्री को नौकरशाही पर नजर रखनी होगी। अब तक का इतिहास गवाह कि नौकरशाह हर सत्ता में अपने सहूलियत के हिसाब से सरकार चलाने की कोशिश करते हैं। नौकरशाही का यही खेल तो काफी खतरनाक है। इससे सरकार को बचना होगा। हालांकि, मुख्यमंत्री काफी सजग हैं और खुद ही योजनाओं की मॉनिटरिंग भी करते हैं। निवेशकों के सपने साकार होंगे तभी भविष्य में और ज्यादा से ज्यादा निवेश उत्तराखंड में होने की संभावना है। इसलिए मुख्यमंत्री को आयोजन की तरह ही क्रियान्वयन की कमान अपने हाथों में रखनी चाहिए तभी जाकर उत्तराखंड में नए नए उद्योग स्थापित हो सकते हैं।उत्तराखंड सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन तो लगाया है ,पर इस सख्ती से क्रियान्वित करने की जरूरत है। आज भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार निवेश प्रोत्साहन को मदद तो कर रही है लेकिन इसके लिए और ज्यादा प्लानिंग की आवश्यकता है। ब्याज अनुदान तथा इंटरेस्ट सब्सिडी में भी सुधार की गुंजाइश है। एसजीएसटी की सब्सिडी पर भी सरकार को विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। हां, इतना जरूर है कि एक जिला, दो उत्पाद से स्थानीय उत्पादों को जरूर लाभ मिला है। पर इस पर और भी ज्यादा फोकस किए जाने की जरूरत है। स्टार्टअप से युवा उद्यमिता को लाभ जरूर मिला है। मेगा औद्योगिक नीतियों से उत्तराखंड के विकास को जरूर गति मिल रही है। पर, हर बेहतरी की गुंजाइश हर जगह है। अध्ययन और मंथन जरूरी होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि उत्तराखंड सरकार निवेशकों को निराश नहीं करेगी तभी जाकर निवेश को पंख लगेंगे।
बहरहाल, अब समय आ गया है कि निवेशकों को उनकी शर्तों के मुताबिक भूखंड, पानी तथा बिजली जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। ताकि निवेश की शुरुआत तो हो जाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार के साथ जितने भी अनुबंध किए गए हैं, सब समय पर और बिना बाधा के पूर्ण किए जाएंगे। साथ ही, हजारों-हजार लोगों को नौकरी भी मिल सके। प्रदेश के राजस्व में भी वृद्धि होगी। हां, पूर्ण निवेश से प्रदेश के साथ ही देश की भी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। बस मजबूत क्रियान्वयन की जरूरत है। निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।