जो कभी नहीं हुआ वो सब जायज है शिवराज सरकार में..! और हो भी क्यों ना कयोंकि सरकार के पास पैसा ही नही है प्रदेश चलाने के लिए ! कर्ज पर कर्ज ले कर प्रदेश सरकार के खर्च चल रहे है ! और अब तो ये स्वयमेव सिद्ध हो गया है की मामला गंभीर के भी पार हो गया है तभी तो शराब से मिलने बाले टेक्स से किसी तरह विधानसभा चुनाव तक मामला खीच जाय ! इसी सोच के साथ अपने खर्चो के इंतजाम करने के लिए शिवराज सरकार ने निर्णय लिया है की पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में प्रत्याशी जमकर शराब पर खर्च कर सकता है !, इसके लिए बकायदा उन्हें अपने खर्चे में इसे शामिल करना होगा।
छिंदवाड़ा नगर निगम चुनाव के दौरान प्रत्याशी अब खुलकर मतदाताओं को शराब पिला सकते हैं, इसके लिए बकायदा उन्हें अपने खर्चे में इसे शामिल करना होगा। इसके लिए देसी, विदेशी शराब की रेट लिस्ट जिला प्रशासन ने प्रत्याशियों को खर्चे की मार्गदर्शिका के साथ सौंपी है।
ज्ञात हो कि नगर निगम के चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को खर्चे का ब्यौरा निर्वाचन आयोग को देना होता है, इसके लिए अलग-अलग दरें भी निर्धारित होती हैं कि प्रत्याशी कहां पर कितना खर्च करेगा। इसी मार्गदर्शिका में जिला प्रशासन के द्वारा शराब की करीब ढाई सौ ब्रांड की एक लिस्ट सौंपी गई है, जिसमें देशी-विदेशी शराब की किस्में हैं और कितने कीमत है ये भी दर्शाया गया है।
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को शिकायत करते हुए आशंका जाहिर की इससे मतदाता यो प्रभावित होगा ही ! साथ ही अबैध ,घटिया और जहरीली शराब के वितरण हो सकता है जिससे मतदात के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है !छिंदवाड़ा के सहायक आबकारी आयुक्त माधुसिंह भयढिया पर कार्रवाई करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि इस तरीके से शराब की सूची और उसके दर उपलब्ध कराने का मतलब है कि प्रत्याशी मतदाताओं को शराब पिला सकता है और उसका खर्च शामिल कर सकता है। इससे आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन हो रहा है और शराब बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के चुनाव प्रभारी जेपी धनोपिया ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि अधिकारी पर कार्रवाई के साथ ही इस आदेश को तुरंत निरस्त करना चाहिए, क्योंकि यह नैतिकता के साथ-साथ संवैधानिक रूप से भी गलत है ! इससे मतदाताओ के स्वास्थ्य के साथ जान जाने का खतरा है !