सीटों को कब्जाने के लिए भाजपा व कांग्रेस में संघर्ष

गोपेश्वर। भाजपा के सामने 2022 की विधान सभा चुनाव में जनपद की तीनों सीटों पर कब्जा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। हालांकि भाजपा इन तीनों सीटों को दोबारा कब्जा करने के लिए तमाम प्रयासों में जुटी हुई है वहीं कांग्रेस इस बार तीनों विधान सभा सीटों को क्लीन स्वीप करने के लिए कड़ी मेहनत करने में जुटी हुई है।

बताते चलें कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में जनपद चमोली की कर्णप्रयाग, थराली तथा बदरीनाथ सीटों पर भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष दिवंगत मोहन प्रसाद थपलियाल के नेतृत्व में अपना कब्जा जमाया था। 2017 के विधान सभा चुनावों में बदरीनाथ सीट पर भाजपा के महेंद्र प्रसाद भट्ट को 29696 तथा कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी को 24042 मत प्राप्त हुए थे।

इस तरह इस सीट पर भाजपा ने 5634 मतों से कांग्रेस हराया था। इसी तरह थराली विधान सभा सीट पर भाजपा के मगन लाल शाह को 25810 मत प्राप्त हुए थे तो कांग्रेस के डा जीतराम को 2८89 मत प्राप्त हुए थे। इस तरह इस सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को 49२1 मतों से मात दी थी।

थराली विधान सभा सीट से विधायक रहे मगन लाल शाह के निधन के बाद यहां हुए उप चुनाव पर भी भाजपा की ओर से मगन लाल शाह की पत्नी मुन्नी शाह ने जीत दर्ज की थी। 2017 में कर्णप्रयाग विधान सभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी को 28159 मत प्राप्त हुए थे तो कांग्रेस के दिवंगत डा अनुसूया प्रसाद मैखुरी को 20610 मत प्राप्त हुए थे।

इस तरह भाजपा ने इस सीट पर भी 7594 मतों से कब्जा किया था। 2017 तथा 2022 की चुनावों की परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा को दोबारा जनपद की तीनों सीटों पर कब्जा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। 2017 में मोदी लहर के चलते प्रत्याशियों को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी थी लेकिन 2022 के विधान सभा चुनावों की परिस्थितियां कुछ और ही बयां कर रही हैं।

चुनाव आयोग के बंदिशों के बाद अब प्रत्याशियों को अपने तथा संगठन के मजबूते ही चुनाव मैदान में उतरने के लिए विवश होना पड़ रहा है। 2017 के विधान सभा चुनाव में प्रत्याशियों के पक्ष में तमाम बड़े बड़े नेताओं ने जन सभाओं में अपने अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए तमाम वायदे किए थे लेकिन इस बार के विधान सभा चुनावों में रैलियों तथा जन सभाओं पर बंदिश लगने के बाद अब प्रत्याशियों को कड़ी मेहनत करने की जरू रत है।

2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों दलों के बड़े बड़े नेताओं (आकाओं) ने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने के लिए अपील की थी तो इसका परिणाम यह हुआ कि जनपद की तीनों सीटों को भाजपा अपने कब्जे में करने में सफल हुई थी। अब 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने भी एक रणनीति के तहत तीनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा करने के लिए अपने बूथ संगठनों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

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