देहरादून: Uttarakhand High Court उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिये आरटीआर के ईको सेंसटिव जोन से सैकड़ों पुराने पेड़ों के काटे जाने के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही राज्य सरकार से पूछा है कि आरटीआर के कम हो रहे क्षेत्रफल की भरपायी के लिये उसकी क्या योजना है? मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने ये निर्देश शुक्रवार को अनिल खोलिया की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद जारी किये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि केन्द्र सरकार देहरादून से दिल्ली की दूरी कम करने के लिये उप्र के गणेशपुर से देहरादून के लिये राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर रही है। राजमार्ग के निर्माण से राजाजी टाइगर रिजर्व का 9.6 हेक्टेअर क्षेत्रफल प्रभावित हो रहा है। प्रभावित क्षेत्र आरटीआर का ईको सेंसटिव जोन है और प्रस्तावित राजमार्ग के लिये सैकड़ों साल पुराने 2572 पेड़ों की बलि दी जा रही है। राज्य सरकार की ओर से आरटीआर की भमि प्रस्तावित राजमार्ग के लिये देने से पहले तय प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भीकहा गया कि राजमार्ग के निर्माण से आरटीआर का लगभाग नौ हेक्टेअर क्षेत्रफल घट जायेगा। जिससे आरटीआर के पारिस्थितिकी तंत्र व जैव विविधता पर असर पड़ सकता है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि मामले को सुनने के बाद पीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आरटीआर के प्रभावित क्षेत्रफल की भरपायी के लिये सरकार की क्या योजना है?