पटना : बिहार की नीतीश सरकार में करीब तेरह साल तक उप मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी की कमी आज सातवीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को भी खल रही है। नीतीश कुमार ने बिहार में सातवीं बार मुख्यमंत्री पद और गपनीयता की शपथ ग्रहण की। उन्हें बिहार के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक जनता दल यूनाइटेड (जदयू), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा),हम और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के चौदह नए मंत्रियों की एक टीम तो मिली लेकिन इस टीम में अब तक उनके साथ हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चले पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी नहीं हैं । शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या वह श्री मोदी की कमी को महसूस कर रहे हैं तब उन्होंने इसका उत्तर हां में दिया, लेकिन इससे ज्यादा वह कुछ और नहीं कहे। उन्होंने इतने सवाल के जवाब में कहा, हर बार कुछ नया होता है और इस बार भी नया होगा। सभी मिलकर अच्छा काम करेंगे। वहीं, श्री मोदी से जब संवाददाताओं ने उन्हें उप मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के संबंध में सवाल किया तब उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। वह पत्रकारों के हर सवाल पर चुप्पी साधे रहे। पत्रकारों से घिरे श्री मोदी मौन साधे हुए आगे बढ़ते गए और राजभवन परिसर में जहां अल्पाहार की व्यवस्था थी वहां अकेले गए। कुछ मीठा और नमकीन लेकर एक टेबल पर बैठ गए। उन्हें शांत और अकेला बैठा देखकर भाजपा के कुछ कार्यकर्ता उनका साथ देने आ गए। वहीं, उनसे कुछ ही दूर राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार में भाजपा के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस एक अलग मंडप में अल्पाहार ले रहे थे। थोड़ी देर बाद श्री मोदी बिना उन नेताओं से मिले अपनी गाड़ी पर बैठकर राजभवन से बाहर चले गए। श्री फडणवीस से जब पत्रकारों ने श्री सुशील मोदी को लेकर सवाल किया तब उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में पीढ़ियां बदलती है और नए लोगों को मौका दिए जाते हैं। उसी प्रक्रिया में कुछ नए लोगों को आगे बढ़ने का मौका दिया गया है।