मध्यप्रदेश : उपचुनाव में सभी की नजर ग्वालियर चंबल अंचल पर है, इसकी वजह है इस अंचल के तहत उपचुनाव वाली सर्वाधिक सोलह सीटों का होना है। इस अंचल के उप चुनावों के नतीजों को फिलहाल तीन परिणामों वाला माना जा रहा है। पहला शिवराज सिंह की सरकार की उम्र का पता चलना, दूसरा नाथ सरकार का सत्ता में वापसी का ख्वाव पूरा रहता है या अधूरा और तीसरा प्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार की ताकत का आंकलन होना।
जिससे यह तय हो पाएगा कि वे प्रदेश में कितने प्रभावशाली रहेंगे। यही बजह है कि भाजपा ने बीते पखबाड़े से ग्वालियर को प्रदेश की मिनी राजधानी के रुप में बना लिया है। यह पहला मौका है जब श्रीमंत चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा रहे हैं। हालांकि अब तक चुनावी तैयारियों में भाजपा हर मामले में आगे दिख रही है , जबकि कांग्रेस अब भी अति विश्वास में है। यही वजह है कि उपचुनाव के पहले कांग्रेस द्वारा ग्वालियर में चुनावी वार रुम बनाने का जो दावा किया गया था , वह अब तक नजर नहीं आ रहा है। यही नहीं उस समय कहा गया था कि उप चुनाव के समय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का ग्वालियर में ही हेड क्वार्टर रहेगा। इस दावे के बाद भी नाथ का चार बार ग्वालियर का कार्यक्रम रद्द हो चुका है। यह बात अलग है कि वे जब पिछले माह ग्वालियर आए तो उनका रोड शो चौंकाने वाला रहा था। इसके बाद से ही अंचल में कांग्रेस के किसी बड़े नेता का कार्यक्रम नहीं हुआ।
कसावट के लिए कद्दावर नेता जुटे मैदान में
भाजपा ने ग्वालियर चंबल अंचल में पूरी ताकत लगा दी है। बता दें कि चुनाव के लिए भाजपा ने एक होटल में अपना वार रूम बना लिया है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा चौबीस घंटे रहते हैं। इसी तरह से प्रचार के लिए एक सुव्यवस्थित और आधुनिक साधनों से सुसज्जित मीडिया सेंटर भी बनाया गया है। नेताओं के दौरों के मामले में भाजपा पॉलिटिकल लाउड की रणनीति पर काम कर रही है । मसलन हर दिन हर विधानसभा क्षेत्र में कोई न कोई ऐसा नामी नेता मौजूद रहे जिसे मीडिया स्पेस मिले । पहले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर लगभग सभी क्षेत्रो में गए और कार्यकर्ताओं की बैठक ली, उनके दौरे के पूरे होने के पहले ही सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पांच दिन का दौरा किया।
कांग्रेस को अभी भी इंतजार
भाजपा के उलट ग्वालियर या फिर अंचल में अब तक कांग्रेस का न तो कोई मीडिया सेंटर बना है और न कोई वार रूम। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा अकेले दम पर ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि उनकी वजह से सिंधिया और भाजपा दोनों ही असहज बने हुए हैं। मुरैना में जरुर बृजेन्द्र सिंह राठौर का एक माह से डेरा होने से स्थिति ठीक बनी हुई है , लेकिन संभागीय मुख्यालय रिक्त ही है। यहां तक कि इनके प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के लिए भी कोई बड़ा नेता नहीं मिला है।
इस रणनीति पर काम
श्रीमंत व तोमर के बाद अब ग्वालियर चंबल में वीडी शर्मा के दौरे हो चुके हैं। इनके अलावा प्रभात झा,डॉ नरोत्तम मिश्रा, अनूप मिश्रा और तमाम वर्तमान और पूर्व मंत्रियों के दौरे जारी हैं। इन्हें जातीय समीकरण के हिसाब से इलाकों में भेजा जा रहा है। औसत हर दूसरे दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी अंचल में जा रहे हैं।
कांग्रेस का दावा
कांग्रेस का दावा है कि हम हो हल्ला की जगह जमीनी काम कर रहे है। कार्यकर्ता लोगों से सीधे संपर्क में लगे हैं। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह का कहना है कि मैं तीन लोकसभा चुनाव लड़ चुका हूं, मैने अपने पिता स्व राजेन्द्र सिंह के भी चुनाव देखे लेकिन कार्यकर्ताओं में ऐसी एकजुटता और समर्पण तथा जनता का नैतिक गुस्सा पहली दफा देखा है। भाजपा कार्यकर्ता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं जबकि कांग्रेसी बदला लेने को उत्साहित। यह चुनाव जनता बनाम सरकार गिराने वालों के बीच है ।