बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के उनकी (सिद्धारमैया की) पत्नी को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) की 14 साइटों के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी थी।
न्यायालय के इस फैसले से इस मामले में जांच आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है और राज्यपाल की मंजूरी को वैधता मिल गयी है। गौरतलब है कि अदालत का यह फैसला 19 अगस्त के अंतरिम आदेश के बाद आया है, जिसमें अस्थायी रूप से बेंगलुरु की विशेष अदालत पर राज्यपाल की मंजूरी पर कार्रवाई करने से रोक लगा दी गयी थी।
गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के दौरान 2021 में किए गए भूमि आवंटन से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की ‘तटस्थ, वस्तुनिष्ठ और गैर-पक्षपातपूर्ण जांच’ की आवश्यकता पर बल देते हुए सिद्दारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। यह मामला बेंगलुरु के टीजे अब्राहम और मैसूरु की स्नेहमयी कृष्णा की शिकायतों के आधार पर शुरू किया गया था। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सिद्धारमैया उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं।