डॉ. रवि शरण दीक्षित
राजधानी दिल्ली के आईएएस स्टडी सर्किल के घटनाक्रम ने एक बार फिर इस बढ़ते उद्योग के काले सच को सामने रख दिया है l
भारतीय शिक्षा पद्धति प्रणाली में व्यक्ति के जीवन के निर्माण में शिक्षा प्रणाली स्कूल से ,कॉलेज की शिक्षा ने एक ऐसा स्वप्न पैदा कर दिया, जिससे एक लंबे समय तक की पढ़ाई करने के उपरांत और नौकरी और नौकरी के उपरांत शानदार जीवन की कल्पना को भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण पक्ष के रूप में रख दिया हैl कल्पना के अपने लक्ष्य को पूर्ति के लिए भारत के कई बड़े जिलों में हालांकि अब तो ग्रामीण स्तर से लेकर शहर में सभी जगह पर एक यह नया व्यवसाय फल फूल रहा है l हर स्तर पर चल रहे संस्थाओं के मानकों पर भी एक बड़ा प्रश्न हैl अभिभावक संभावनाओं की अपेक्षा में अपनी आर्थिक पूंजी लगाकर बच्चों के सुनहरे भविष्य के कल्पना करते हैं,इस कल्पना रूपी सपने का प्रयोग कर कोचिंग सेंटर उनको आगे बेचते हैं l पिछले कई वर्षों में इस विषय को लेकर समय-समय पर सरकार की सजकता का विषय समाज के सामने आता है l समाचार में पत्रिकाओं मेंकुछ समय रहने के बाद गायब हो जाता है,
भारतीय शिक्षण पद्धति प्रणाली मे 2020 में छात्र के सर्वांगीण विकास हेतु अपनी रुचि के सभी विषयों के साथ विकास की सोच को आगे बढ़ाया है, साथ ही नौकरी के चक्रव्यूह से निकलकर अपने स्वरोजगार की कल्पना भी हैl और यही सोच उसको आगे भविष्य में कंपटीशन के लिए प्रतियोगिताओं के लिए भी तैयार करने में समर्थ हैl राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के संपूर्णता से लागू हो जाने के उपरांत उपरांत तथा साथ ही साथ अगर शिक्षक समुदाय इसमें प्रभावशाली भूमिका निभाता है, तो निश्चित ही इस तरह की कोचिंग या इस तरह के सहायक संसाधनों की प्रयोग की आवश्यकता काम हो जाएगी l
वर्तमान समय में इसको देखते हुए फिलहाल सरकार के स्तर पर बहुत सख्त निर्णय लिए जाने चाहिए, हालांकि 2024 में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जारी निर्देश में पूरी व्यवस्था दी गई है,जिसमें कोचिंग भवन, हवलदार व प्रति कमरे में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होना जरूरी है, इसके साथ ही, कक्षा में प्रत्येक छात्र के लिए एक न्यूनतम स्थान होना भी सुनिश्चित करना है, आपातकालीन सेवाओं, प्राथमिक चिकित्सा, हेल्पलाइन से जुड़े नंबर प्रदर्शित किए जाने,सीसीटीवी, पीने योग्य पानी, जल निकासी का समुचित व्यवस्था जैसे प्रावधान किए गए पर इनको शक्ति से या नियमबद्ध तरीके से लागू कर पाने में अभी बहुत सारे कदम चलने की आवश्यकता है l यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि राज्यसभा में सभापति जगदीश धनखड़ ने भी अपने उद्बोधन में इनकी तुलना एक गैस चैंबर की तरह की हैl जो उनकी वास्तविकता को दिखता भी है, लोकसभा में सरकार द्वारा दिए गए जवाब में 2023 में 1120 संस्थाओं को नोटिस जारी किए गए पर अभी इनकी समुचित कार्रवाई पर क्या उल्लेख है, यह अभी सामने आना बाकी है l
दिल्ली हादसे में फिर एक बार जता दिया है कि, जनता का आक्रोश अपने तीन होनहार युवा साथियों के खोने का दर्द है l प्रशासन को स्पष्ट रूप से या समझना चाहिए, कि इस तरह के निर्माण एक दिन में नहीं होते, जो भी संबंधित तत्कालीन व्यक्ति हो उसे पर सख्त कार्रवाई हो, तभी इस तरह की दुखद घटनाएं नहीं होगी l सरकार और प्रशासन इतने सक्षम हैं कि वे निश्चित ही इन्हें रोक भी सकते हैं l