पेपर लीक की ये बीमारी केवल एनटीए की परीक्षाओं तक सीमित नहीं है। ये समस्या देशव्यापी है और विभिन्न राज्यों में नौकरियों के लिए करवायी जाने वाली परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले आये दिन सामने आते रहते हैं। एक जानकारी के मुताबिक पिछले पांच साल में 15 राज्यों में 45 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं और इनसे 1.4 करोड़ छात्र प्रभावित हुए हैं…
धर्मपाल धनखड़
नीट और नेट पेपर लीक के खिलाफ सड़क से संसद तक हंगामा हो रहा है। देश भर में छात्र एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में पेपर लीक पर चर्चा करवाने की मांग की, लेकिन नहीं मानी गयी। विपक्ष ने सदन का बायकाट कर दिया। एक क्षण के लिए मान लेते हैं कि विपक्ष इस मुद्दे पर अपनी राजनीति चमकाना चाहता है। लेकिन सरकार के पास भी तो माकूल जवाब देने और कठोर व उचित कदम उठाकर जनता के बीच अच्छा संदेश देने का अवसर है। माना कि नियमानुसार पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस और सरकार का जवाब जरूरी है। लेकिन सत्ता पक्ष और पीठासीन अधिकारी विपक्ष को पेपर लीक के मसले पर चर्चा करवाने का ठोस आश्वासन देकर सदन की कार्रवाई को सुचारू कर सकते थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। संदेश साफ है सत्ता पक्ष अपनी हठ पर अड़ा है कि विपक्ष की बात कतई नहीं सुननी है। वह चाहे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में धांधली हो, मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में साल भर जारी जातीय हिंसा हो, या फिर देश की नामी महिला पहलवानों के साथ कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष पर यौन शोषण के आरोप हों, किसी भी गंभीर और सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले मसले पर संसद में बहस नहीं चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के उद्घाटन अवसर पर भारत को ज्ञान और शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने का संकल्प किया था। एक तरफ इतना बड़ा संकल्प और दूसरी तरफ नीट की परीक्षा जिसके जरिए डाक्टरी जैसे अहम पेशे की ट्रेनिंग के लिए छात्रों का दाखिला होता है। नीट परीक्षा में धांधली और पेपर लीक को लेकर छात्रों के देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है। केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी, सीबीआई धड़ाधड़ आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है। अब तक इस मामले में बिहार, झारखंड, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों से तीस से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। एनटीए के डीजी को हटा दिया गया है। एनटीए में सुधार के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। बावजूद इसके न तो मेडिकल छात्रों के दाखिले के लिए काउंसलिंग रोकी गयी और ना ही परीक्षा रद्द की गयी है। जबकि इसके बाद हुई नेट की परीक्षा गड़बड़ी होने के आरोपों के आधार पर रद्द कर दी गयी। इस प्रक्रिया में सरकार की करनी और प्रधानमंत्री की कथनी में कहीं मेल या सामंजस्य जैसा कुछ दिखाई नहीं पड़ता।
राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक की समस्या को देखते हुए छह बरस पहले केंद्र सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी बनायी। इसमें तैनात सभी 14 अधिकारी विभिन्न विभागों से डेप्युटेशन पर तैनात किये गये हैं। और उनकी मदद के लिए कुछ कर्मचारी हैं, वो सब ठेके पर हैं। पेपर बनाने से लेकर रिजल्ट जारी करने तक सारे काम आऊट सोर्सिंग से करवाये जाते हैं। साल 2024 की पहली छमाही में चार परीक्षाओं के लिए 1.33 करोड़ छात्रों से 945 करोड़ फीस वसूली गयी है।
जानकारी के मुताबिक, एनटीए के गठन के बाद से देश के सर्वोच्च न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में से 22 में एनटीए के खिलाफ कुल 1100 मामले दायर किए गए हैं। इतने सब के बावजूद शिक्षा मंत्रालय और सरकार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के कामकाज की समीक्षा करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। ऐसा लगता है कि एजेंसी का गठन करके सरकार और शिक्षा मंत्री भूल गये। पिछले करीब चार साल से शिक्षा मंत्री के पद पर धर्मेंद्र प्रधान हैं। अब तक एजेंसी का एक बार भी आडिट नहीं करवाया गया है। इसे सरकार और उसके तंत्र की विफलता और असंवेदनशीलता ही कहा जा सकता है।
पेपर लीक की ये बीमारी केवल एनटीए की परीक्षाओं तक सीमित नहीं है। ये समस्या देशव्यापी है और विभिन्न राज्यों में नौकरियों के लिए करवायी जाने वाली परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले आये दिन सामने आते रहते हैं। एक जानकारी के मुताबिक पिछले पांच साल में 15 राज्यों में 45 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं और इनसे 1.4 करोड़ छात्र प्रभावित हुए हैं। पेपर लीक करवाने वाले माफिया देश के करोड़ों मेहनतकश युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं और सरकार इतने गंभीर विषय पर मौन है। कोई ताज्जुब नहीं कि पेपर लीक करवाने वाले माफिया के तार बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर के संचालकों से भी जुड़े हो। जब मामला करोड़ों की अवैध कमाई का हो, तो राजनेताओं का संरक्षण भी माफिया सरगनाओं को होने की आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता। नकल और पेपर लीक को लेकर देश में 21 जून से नया बना सख्त कानून भी क्रियान्वित हो चुका है। ऐसे में जरूरत है तो केवल सरकार की साफ नीयत, संवेदनशीलता और प्रभावी ढंग से नकल व पेपर लीक करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की।