7वें साल में एंट्री

चाणक्य मंत्र पाक्षिक पत्रिका 6 साल का अपना सफर पूरा कर चुकी है। इसके लिए आप सभी का आभार। भविष्य में यह पत्रिका पूर्व की तरह निरंतर राजनीतिक के दोहरे चरित्र को उजागर करते हुए आगे बढ़ती रहेगी…

रणविजय सिंह

चाणक्य मंत्र अब 7वें साल में प्रवेश कर चुकी है। मतलब यह पाक्षिक पत्रिका 6 साल का अपना सफर पूरा कर चुकी है। इसके लिए आप सभी का आभार। हालांकि, 6 साल का जीवन कोई लंबा नहीं होता है लेकिन जिन संघर्षों के साथ यह सफर पूरा हुआ है, वह वाकई चुनौतीपूर्ण रहा है। अतीत की यात्रा निश्चित रूप पहाड़ की तरह रही है। भविष्य में यह यात्रा किस तरह की होगी, यह कहना मुश्किल है लेकिन यह सच है कि पत्रिका पूर्व की तरह निरंतर राजनीतिक के दोहरे चरित्र को उजागर करते हुए आगे बढ़ती रहेगी। पत्रिका का मार्ग कठिनाइयों से भरा है। लेकिन पाठकों की बेइंतहा मुहब्बत हमारे साथ है। तभी तो तमाम झंझावतों को दरकिनार करते हुए पत्रिका निरंतर आगे बढ़ रही है। बाधाओं के बावजूद पत्रिका अपने कर्तव्य पथ से विचलित नहीं हुई और न ही किसी के प्रभाव और दबाव में आई है। हां, पाठकों को 100 फीसद गारंटी भी देती है कि भविष्य में हम कभी भी, कहीं भी ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे जिससे हमारे पाठकों को निराश होना पड़े। हमारा तेवर एवं कलेवर पूर्व की भांति ही रहेगा। सीमित संसाधनों में हम बढ़िया काम कर रहे हैं। आत्म सम्मान को हमने गिरवी नहीं रखा और न ही सत्ता के दबाव में आकर खुद को झुकाया है। हां, निष्पक्षता और ईमानदारी के रास्ते पर चलने के सुधि पाठकों के अलावा लेखकों,  विज्ञापनदाताओं और हाकर बंधुओं का हम विशेष रूप से आभारी हैं, जिनका सहयोग हर वक्त मिलता रहा। बड़ी भूल होगी यदि हम इन सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा नहीं करें तो।

बड़े-बड़े संस्थानों की पत्र-पत्रिकाओं को आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ी है। जिसकी वजह से पत्र-पत्रिकाओं को बंद करना पड़ा है। लेकिन हमें फक्र है कि हमारा प्रबंधन खुद ही हर तरह का बोझ उठा रहा है ताकि पाठकों को दलगत राजनीति से परे आलेखों को परोसा जा सकें। हम बिना लाग लपेट के ही किसी का भी मूल्यांकन करते हैं। हां, बेवजह किसी की छवि को भी धूमिल नहीं करते। देशप्रेम हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश को तोड़ने वाली कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ हम पहले भी खड़े थे, आज भी हैं। कल भी रहेंगे। अवसरवादी समझौते पर यह संस्था कतई यकीन नहीं करता है। हमारा अपना विवेक है। हम कल भी उसी पर थे और भविष्य में भी रहेंगे। आज चहुंओर मीडिया की छीछालेदर होने के पीछे भी यही एक बड़ा कारण है। नामचीन संस्था भी सत्ता की दलाली करने में अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं, जो ठीक बात नहीं है। ऐसे घराने क्षणिक लाभ के लिए इस तरह का काम करते है। लेकिन इतिहास ऐसे संस्थानों को कभी माफ नहीं करेगा। कम से कम पत्रकारिता निष्पक्ष होनी चाहिए। जमीर का सौदा करके पत्रकारिता करना भविष्य के लिए भी घातक है। इससे सभी को बचना चाहिए।

इसके पहले भी कई बार मूल्य वृद्धि को लेकर सुझाव आए लेकिन संस्थान मूल्य वृद्धि को टालता रहा ताकि पाठकों पर बोझ नहीं पड़े। अब खुद पाठकों की ओर से मूल्य वृद्धि को लेकर पत्र आ रहे हैं। इसलिए हम निकट भविष्य में पत्रिका की कीमतों में वृद्धि करेंगे। संभव है ऐसा करने से घाटे में चल रही पत्रिका पर आर्थिक बोझ कुछ कम हो पाएगा। समय-समय पर पाठकों के सुझाव भी निरंतर मिल रहे हैं। पृष्ठ संख्या बढ़ाने, राशिफल, खेल और मनोरंजन से जुड़े आलेखों को शामिल करने को लेकर हैं। इस पर भी संस्थान चिंतन कर रहा है।

जनहित की भावनाओं को समझते हुए आगे बढ़ना ही बुद्धिमानी है। क्योंकि समय एक समान किसी का नहीं रहता। अविवेकपूर्ण निर्णय का असर समाज पर पड़ता है। हम पर समाज की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी है। इसको नजरअंदाज करके आगे बढ़ने की कोशिश किसी को भी नहीं करनी चाहिए। समाज को सही दिशा दिखाना ही लक्ष्य होना चाहिए। इसी सूत्र को हम अपनाकर अपनी मंजिल तय करें तो भविष्य भी बेहतर होगा। नया जमाना है, हमें नयी सोच के साथ अपनी मंजिल तय करनी चाहिए।

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