चुनाव के बीच चारधाम की चुनौती

रणविजय सिंह

मई से चारधाम यात्रा का विधिवत आगाज हो जाएगा पर यात्रा की तैयारियों को लेकर संबंधित विभाग द्वारा अब तक कोई कसरत नहीं दिखाई पड़ना, बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है। सभी का ध्यान लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर है। हालांकि चुनाव के लिए निर्वाचन विभाग है, पर यात्रा से जुड़े विभागों में किसी भी तरह की चहल-पहल नहीं दिखना, वाकई चिंता का विषय है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार-संहिता लगने वाली है। सरकारी विभागों में काम काज ठप्प पड़ा हुआ है। नौकरशाही के बारे में तो सर्व विदित है कि वह चुनावी वर्ष में काम काज पर ध्यान नहीं देती है। नौकरशाही का फोकस नेताओं और पार्टियों पर होता है। इसका अपना मतलब होता है,यह तो सर्वविदित है। इस पर ज्यादा रोशनी डालने की आवश्यकता नहीं है। प्रमुख मुद्दा चारधाम यात्रा को लेकर है। लंबी चलने वाली यह यात्रा एकबार शुरू हो जाती है तो फिर कहां रूकती है। नियमत: यात्रा शुरू होने के 6 माह पहले ही संबंधित विभाग यात्रा की तैयारियों को लेकर बैठकें शुरू कर देते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि इस दिशा में कोई प्रगति नहीं है। यही तो चिंता का विषय है।

नौकरशाही को पता है कि यात्रा हर साल होती है और लाखों पर्यटक और तीर्थयात्री केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में पहुंचते हैं। इस बीच धामों के कपाट खुलने की प्रक्रिया भी विधिवत शुरू हो गई है। 12 मई को बदरीनाथ के कपाट खुलेंगे। इस तरह ही अन्य धामों के कपाट खुलने की तिथि की भी घोषित हो जाएगी। विधि-विधान से धामों के खुलने की प्रक्रिया धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से शुरू है। केवल ठप है तो यात्रा की सरकारी तैयारियां।
दरअसल उत्तराखंड आपदा के लिहाज से काफी संवेदनशील है। यहां कब पहाड़ खिसक जाएं, किसी को नहीं पता। मौसम की भी यही स्थिति रहती है। इसलिए बरसात शुरू होने के पहले ही चारधाम यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली जाती हैं। लेकिन फिलहाल धरातल पर कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है। बैठकों की शुरूआत ही नहीं हुई है तो ऐसे में सड़कों की व्यवस्था कैसे दुरूस्त होगी। सड़कों की मरम्मत के अलावा पेयजल, शौचालय तथा टेंटों की संख्या तय की जाती है। संवेदनशील मार्गो का भी काफी बुरा हाल है। नए सिरे से डेंजर जोन भी अब तक चिन्हित नहीं हुए हैं। पहले से जो हैं उनकी मरम्मत तक नहीं हुई है। ये सारे काम जरूरी हैं और यात्रा शुरू होने से पहले होने हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की भी यात्रा में बड़ी भूमिका होती है। यात्रा मार्गों पर चिकित्सकों की तैनाती की प्लानिंग की जाती है। यात्रा में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पर दुखद यह है कि अब तक तैयारियों को लेकर बैठकें भी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण यात्रा का क्या होगा। यह एक बड़ा सवाल है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता भी लगने वाली है। ऐसे में देश विदेश से आने वाले पर्यटकों खासकर धार्मिक पर्यटन का क्या होगा। अब ज्यादा समय नहीं बचा है,सरकार को इस दिशा में अब काम शुरू कर देना चाहिए ताकि यात्रियों को यात्रा के दौरान कोई दिक्कत नहीं हो।
ठीक है लोकसभा चुनाव होने हैं। यह भी लोकतंत्र का बड़ा पर्व है। इसकी भी तैयारी करनी पड़ती है। लेकिन यात्रा भी कम महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि यहां के स्थानीय लोगों की रोजी रोटी भी इससे जुड़ी हुई है। सच्चाई तो यह है कि पूरे पहाड़ की अर्थ व्यवस्था चारधाम यात्रा पर ही टिकी हुई है। इसलिए सरकार को इस यात्रा को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। नौकरशाही को पता है कि चारधाम यात्रा हर साल होनी है। इसलिए यह तो जिम्मेदारी नौकरशाही है कि यात्रा को किस तरह से सुखद बनाई जाए। लोकसभा चुनाव संपन्न कराने की तरह ही यात्रा संपन्न कराना भी बड़ा काम है।

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