छिंदवाड़ा पर टिकी नजरें

  • कमलनाथ के गढ़ में भी सेंध लगाने का फुलप्रूफ प्लान तैयार
  • भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटें कब्जाने को आजमाएगी हर पैंतरे
  • जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए कसावट जारी

-राकेश प्रजापति, भोपाल।

प्रदेश में भाजपा (BJP) को विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर फतह पाने की चैसर सज गई है और तरह तरह की रणनीति पर शीर्ष नेताओं और संघ के पदाधिकारियों के बीच मंथन का दौर शुरू हो गया है। भाजपा प्रदेश की हरेक सीट पर बारीकी के साथ विचार कर समीकरणों की चाले बिछाने पर विमर्श कर रही है जिसमें जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के लिए कसावट की जा रही है। जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों (Lok Sabha seats) में से 6 सीटें ऐसी हैं जहां से मप्र मंत्रिमंडल में कोई मंत्री नहीं हैं। ऐसे में पार्टी इन सीटों पर अधिक फोकस करेगी। इन लोकसभा क्षेत्रों में मंत्रियों की सक्रियता बढ़ाई जाएगी। मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही इस बात की पूरी उम्मीद थी कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय समीकरणों पर विशेष ध्यान देगी। केंद्रीय नेतृत्व से भी इसी तरह के निर्देश मिलने की बातें झरोखों से छनकर सामने आ रही थी।
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के मंत्रिमंडल में इसकी झलक भी देखने को मिली है। कुल मिलाकर इन लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को जीत के लिए जी-जान से जुटना पड़ेगा। विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा संकल्प पत्र में किए गए वादों को सरकार के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्र में पूरा करने की जिम्मेदारी इन पर होगी। सरकार में ओबीसी मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, एक अनुसूचित जाति और एक अनारक्षित उप मुख्यमंत्री के साथ 13 ओबीसी, पांच अनुसूचित जनजाति और पांच अनुसूचित जाति (इनमें पांच महिला शामिल हैं) मंत्री बना कर सबका साथ, सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास सिद्ध करने की प्रस्तावना आकर ले रही है।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीती थी। इस बार पार्टी ने छिंदवाड़ा सीट को भी जीतने का टारगेट रखा है और इसकी रणनीति पर पहले से ही काम किया जा रहा है। लेकिन विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। छिंदवाड़ा की एक भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई है। इसलिए लोकसभा चुनाव को लेकर यहां अधिक फोकस की रणनीति पर काम किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नई भाजपा कि सरकार बनते ही प्रदेश में सत्ता-संगठन की बैठकों का मुख्य एजेंडा मिशन 2024 ही है। प्रदेश में भाजपा के पास अभी 29 में से 28 सीटें हैं, छिंदवाड़ा एकमात्र सीट है जो कांग्रेस के पास है। भाजपा ने अब आगामी लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि संगठनात्मक तौर पर नेतृत्व की सभी क्षेत्रों पर नजर है। मंत्रिमंडल में भी सभी वर्गों और क्षेत्रों को स्थान दिया है। आगामी चुनाव की दृष्टि से संगठन की ओर से सभी क्षेत्रों के प्रभारी भी तैनात किए जाएंगे। किसी क्षेत्र की अनदेखी जैसी बात नहीं है। विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भाजपा ने मिशन-2024 यानी लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बिसात बिछा दी है। प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से 23 सदस्यीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व हो गया है। बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना, खंडवा और खरगोन लोकसभा क्षेत्र से कोई मंत्री नहीं है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी सात विधानसभा सीटों से कांग्रेस जीती थी। इस कारण यहां से किसी को मंत्री बनाना संभव नहीं था। धार लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में तीन में भाजपा और बाकी में कांग्रेस जीती थी।

मंत्रियों को प्रभार के साथ तैनात किया जायेगा
हाल ही में विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 163 सीटों पर जीत दर्ज की है , लेकिन प्रदेश की 29 में से आधा दर्जन लोकसभा सीटें ऐसी भी हैं जहां वोट प्रतिशत में कांग्रेस को बढ़त मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में भाजपा हाईकमान ने सियासी, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के प्रयास किए। इसके बावजूद बालाघाट, छिंदवाड़ा, धार, गुना, खंडवा और खरगोन को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। छिंदवाड़ा लोकसभा की सातों सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई है। इसलिए माना जा रहा था कि पड़ोसी सिवनी-बालाघाट जिले को प्रतिनिधित्व देकर भरपाई होगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब सत्ता-संगठन के सूत्रों का दावा है कि सभी 29 सीटें जीतने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मंत्रियों को विभाग वितरण के साथ जिलों का प्रभारी बना कर ऐसे क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। मध्यप्रदेश में मोहन मंत्रिमंडल गठन के साथ ही भाजपा हाईकमान ने सत्ता-संगठन के प्रमुख नेताओं को अब लोकसभा की सभी सीटें जीतने का टारगेट दे दिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि डैमेज कंट्रोल के लिए कैबिनेट गठन में छिंदवाड़ा के पड़ोसी जिले सिवनी अथवा बालाघाट को प्रतिनिधित्व देकर इसकी भरपाई होने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, अब मंत्रियों को विभाग वितरण के बाद सभी लोकसभा क्षेत्रों के जिलों का प्रभार सौंपकर इसकी भरपाई की जाएगी। भाजपा हाईकमान ने इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भी कमल खिलाने का संकल्प लिया है। कांग्रेस को प्रदेश के सात लोकसभा क्षेत्रों (मुरैना, मंडला, खरगोन, छिंदवाड़ा, धार, ग्वालियर और भिंड) में तुलनात्मक रूप से भाजपा से ज्यादा वोट मिले थे। इनमें से मुरैना, मंडला, ग्वालियर और भिंड को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल गया लेकिन बाकी जिलों की अनदेखी हो गई।

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