देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami ) एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ( Dharmendra Pradhan ) ने मंगलवार को ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा निदेशालय में राज्य के विद्या समीक्षा केन्द्र का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्य के 141 पी.एम.श्री विद्यालयों एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालय का शिलान्यास भी किया गया। मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ( Union Education Minister ) ने राज्य में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना का शुभारंभ भी किया। कार्यक्रम में एन.डी.ए एवं आई.एम.ए में चयनित कैडेट को पुरूस्कार की धनराशि भी प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज राज्य में केंद्र सरकार सहायतित “विद्या समीक्षा केन्द्र“ एवं “पीएम योजना“ का शुभारंभ किया गया है, यह प्रदेश के लिए हर्ष का विषय है। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द प्रधान का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विद्या समीक्षा केंद्र विद्यालय, छात्रों एवं अध्यापकों से संबंधित सभी आंकड़ों को रियल टाइम आधार पर संकलित करेगा तथा छात्र आकलन के आधार पर शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए सभी का मार्गदर्शन करेगा।
इस केंद्र में आज से अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं की रियल टाइम ऑनलाइन उपस्थिति प्रारम्भ भी हो गई है। इस केंद्र का उपयोग शीघ्र ही शिक्षा विभाग से सम्बन्धित मानव संसाधन पोर्टल, विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के ऑनलाइन रख-रखाव, ऑनलाइन स्थानान्तरण, ऑनलाइन नियुक्ति, ऑनलाइन मॉनीटरिंग आदि के लिए भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड अग्रणी राज्यों में से है, जहां केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर प्रारम्भ की गई योजनाओं को जनहित में सबसे पहले क्रियान्वित किया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का शुभारंभ उत्तराखण्ड ने सबसे पहले किया। पीएम श्री योजना के तहत राज्य में 141 स्कूल इस योजना के अन्तर्गत विकसित किए जा रहे हैं।
इसके लिए भारत सरकार द्वारा 72 करोड़ की धनराशि स्वीकृत भी की गई है। इस सहयोग के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए अनेक कार्य किये जा रहे है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में बालिकाओं के लिए 40 कस्तूरबा गांधी आवासीय छात्रावास संचालित हैं, जिनमें सभी सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विद्या समीक्षा केन्द्र के गुजरात मॉडल को लागू करने वाला पहला राज्य उत्तराखण्ड है। जिसमें अभी 05 हजार स्कूल जोड़े गये हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवम्बर तक प्रदेश के सभी 22 हजार स्कूलों को सभी डाटा के साथ जोड़ने के अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। राज्य के कक्षा 01 से 12वीं तक के लगभग 23 लाख 50 हजार विद्यार्थी इस विद्या समीक्षा केन्द्र से जुड़ेंगे। राज्य के 01 लाख 22 हजार से अधिक शिक्षकों का डाटा भी इसमें रहेगा।
विद्या समीक्षा केन्द्र के माध्यम से बच्चों एवं शिक्षकों की प्रतिदिन की उपस्थिति का पता चलेगा। दीक्षा टीवी एवं इन्टरनेट के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था विद्या समीक्षा केन्द्र में रहेगी। राज्य के सभी डायट, को जोड़ने एवं शिक्षकों की कैपिसिटी बढ़ाने की व्यवस्था इसमें बनाई जा रही है। स्कूली शिक्षा की सभी जानकारी विद्या समीक्षा केन्द्र में रहेगी।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दार्शनिक तत्व है। 21वीं सदी की भारत की नई पीढ़ी ज्ञान के आधार पर विश्व का नेतृत्व करने वाली है। राज्य में मॉडल स्कूल के रूप में प्रारंभिक चरण में पी.एम.श्री के तहत 141 स्कूलों का चयन किया गया है। उच्च शिक्षा में राज्य में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना और मुख्यमंत्री शोध प्रोत्साहन योजना शुरू करने का सराहनीय कार्य हुआ है।
उन्होंने कहा कि जी 20 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ग्लोबल मॉडल के रूप में स्वीकृति करा दी। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल भारत के 30 करोड़ विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, विश्व के विकसित देशों के विद्यार्थियों के लिए नया बैंचमार्क बना रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रसार के लिए केन्द्र सरकार की ओर से राज्य को पूरा सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड उन्हें अपने गृह राज्य की तरह ही प्रिय है।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड विद्या समीक्षा केन्द्र का शुभारंभ करने वाला गुजरात के बाद देश का दूसरा राज्य है। माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखण्ड बना। राज्य में शुरू की गई उच्च शिक्षा मेधावी छात्रवृत्ति योजना में विभिन्न संकायों में स्नातक स्तर पर छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष महाविद्यालय स्तर / विश्वविद्यालय परिसर स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को क्रमशः 03 हजार रूपये, 02 हजार रूपये एवं 1500 प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी। स्नातक अंतिम वर्ष के उपरान्त प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर एकमुश्त पुरस्कार राशि के रूप में क्रमशः 35 हजार रूपये, 25 हजार रूपये एवं 18 हजार रूपये दिये जायेंगे।
विभिन्न संकायों में विषयवार स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्र-छात्राओं प्रतिवर्ष महाविद्यालय स्तर / विश्वविद्यालय परिसर स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने पर क्रमशः 05 हजार रूपये, 03 हजार रूपये एवं 02 हजार रूपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी। परा स्नातक अंतिम वर्ष के उपरान्त प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर एकमुश्त पुरस्कार राशि के रूप में क्रमशः 60 हजार रूपये, 35 हजार रूपये तथा 25 हजार रूपये की धनराशि दी जायेगी।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध / अन्वेषण एवं नवाचार के वातावरण का सृजन करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों और मूल्यों के अनुरूप उत्कृष्ट शिक्षा और शोध के केन्द्र के रूप में संस्थाओं को विकसित करते हुए शिक्षकों एवं छात्रों को शोध एवं नवाचार के लिए प्रोत्साहित करना है।
इस अवसर पर सांसद नरेश बंसल, विधायक उमेश शर्मा काऊ, भारत सरकार के अपर शिक्षा सचिव विपिन कुमार, उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली, विद्यालयी शिक्षा सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।