मैं संयुक्त राष्ट्र में भी भारतीय भाषा में बोलता हूं : प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत मंडपम’ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर ‘पीएम श्री’ योजना के तहत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय समिति के चयनित 6207 स्कूलों को प्रथम चरण की प्रथम किस्त के रूप में 630 करोड़ रुपये से अधिक की केन्द्रीय राशि हस्तांतरित की। इसके अलावा उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं पर विशेष जोर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी छात्र के साथ सबसे बड़ा अन्याय उनकी क्षमताओं की बजाय उनकी भाषा के आधार पर उनका मूल्यांकन करना है। उन्होंने कहा, “मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। दुनिया में भाषाओं की बहुलता और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि दुनिया के कई विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषा के कारण बढ़त मिली है। प्रधानमंत्री ने यूरोप की मिसाल देते हुए कहा कि ज्यादातर देश अपनी मूल भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि भले ही भारत में कई स्थापित भाषाएं हैं, फिर भी उन्हें पिछड़ेपन के संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया। जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते थे, उन्हें उपेक्षित किया गया और उनकी प्रतिभा को मान्यता नहीं दी गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण इलाकों के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आगमन के साथ देश ने अब इस धारणा को छोड़ना शुरू कर दिया है।

मोदी ने कहा, “यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में भी, मैं भारतीय भाषा में बोलता हूं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सामाजिक विज्ञान से लेकर इंजीनियरिंग तक के विषय अब भारतीय भाषाओं में पढ़ाए जाएंगे। मोदी ने कहा, “जब छात्र किसी भाषा में आत्मविश्वास रखते हैं, तो उनका कौशल और प्रतिभा बिना किसी प्रतिबंध के सामने आएगी।

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