देहरादून। बद्रीनाथ -केदारनाथ मंदिर समिति मक्कारों का अड्डा बन चुकी है। मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने केदारनाथ मंदिर में स्वयं गर्भ गृह में स्वर्ण के साथ फोटो खिंचवा कर खुद वायरल कर दी ताकि जनता शाबासी देगी। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। भारी जनविरोध पर मंदिर समिति अध्यक्ष आरोप लगाते फिर रहे है कि किसी ने उनकी फोटो वायरल कर दी है।
क्या भगवान केदारनाथ की सौगंध लेकर मंदिर समिति अध्यक्ष कह सकते हैं फोटो उन्होंने खुद वायरल नहीं की। सच तो यह दान का सोना देखकर अजेंद्र की आंखे चौंधिया गयी और श्रेय लेने की होड़ के दल-दल में डूब गये। दबे स्वर में भाजपा के लोग भी मान रहे हैं कि आज मंदिर समिति में जितनी बचकानी हरकतें हो रही हैं, उतनी पहले कभी नहीं हुई।
मंदिर समिति अध्यक्ष रातों-रात नियम विरूद्ध एक लेखाकर्मी को अपने हस्ताक्षर से डिप्टी सीईओ बना दे रहा है तो कमीशन का खुला खेल चल रहा है। केदारनाथ धाम को स्वर्णमंडित करने पर सबकी अपनी राय हो सकती है, लेकिन दानदाता स्वयं अपनी आस्था से स्वर्ण दान करने आया। इसमें मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं रहा है।
श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य तथा बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित दिनकर बाबुकर बताते हैं कि मुंबई महाराष्ट्र के लखी परिवार ने उनकी समिति के समय 2004 में बदरीनाथ धाम में स्वर्ण सिंहासन चढाया था। उन्होंने उसी समय केदारनाथ धाम में भी सोना चढाने का संकल्प ले लिया था। हीरा व्यापारी लखी परिवार सोमनाथ मंदिर, तिरूपति बालाजी सहित कई मंदिरों में स्वर्णदान करते रहे हैं। कुल मिलाकर दानदाता ने अपनी स्वेच्छा से दान दिया है। इसमें वर्तमान मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं है, बल्कि आज के मंदिर समिति पदाधिकारी दान की संपत्ति में अपनी प्रशंसा के नगाड़े बजा रहे हैं।
दिनकर बाबुलकर ने कहा कि वह राजनीति से परे कह रहे हैं कि केदारनाथ में स्वर्ण चढाने में भगवान केदारनाथ की शक्ति है, जो लोग अपनी पीठ थपथपा रहे है। उन्हें वास्तविकता की जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि मंदिर समिति में भय फैलाया गया है कि दानी दाता का नाम उजागर नहीं करना है, जबकि बदरीनाथ में लखी परिवार का नाम स्वर्ण सिंहासन पर लिखा हुआ है। विगत दिनों अंग्रेजी अखबारों में केदारनाथ में सोना दान करने वाले लखी परिवार का स्पष्ट जिक्र था, जिससे मंदिर समिति अध्यक्ष का झूठ तथा दंभ अब लोगों के सामने आने लगा है।