कियेब। क्रीमिया ब्रिज पर हुए हमले के बाद एक रूसी सैन्य शिविर में कथित आतंकवादी हमले के बाद यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध और भड़क गया है। रूसी सेना ने विभिन्न इलाकों में अस्सी से अधिक क्रूज मिसाइल दागे हैं। वैसे यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह दावा किया गया है कि इनमें से आधे से अधिक को हवा में ही नष्ट कर दिया गया है।
फिर भी एक दर्जन से अधिक मिसाइल राजधानी कियेब और कई अन्य शहरों पर गिरे हैं। इन मिसाइलों के विस्फोट से लोग मारे गये हैं और संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
क्रीमिया ब्रिज पर हुए विस्फोट से उसका एक हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया है। दूसरी तरफ से यातायात चालू करने के बाद रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने इसकी शीघ्र मरम्मत करने का आदेश दिया है। दरअसल यह पुतिन की परिकल्पना वाली ब्रिज है जो क्रीमिया को रूस से जोड़ती है।
इस ब्रिज पर हुए हमले से रूसी राष्ट्रपति बहुत नाराज है। जिसका असर अब यूक्रेन पर हो रहे हमलों में दिखने लगा है। दूसरी तरफ रूसी जांच एजेंसी ने इस ब्रिज पर हुए हमले के लिए यूक्रेन की गुप्तचर सेवा के प्रमुख को जिम्मेदार माना है।
इस सिलसिले में अब तक पांच रूसी, तीन यूक्रेनी और आर्मेनिया के नागरिक गिरफ्तार किये गये हैं। माना जा रहा है कि यह विस्फोटक कई देशों से होता हुआ इस ब्रिज तक पहुंचाया गया था ताकि रूसी एजेंसियों को इसपर संदेह नहीं हो।
युद्ध के तेज होने के बीच ही पश्चिमी देशों की गुप्तचर एजेंसियों ने इस बात की भी सूचना दी है कि ड्रोन देने के बाद अब ईरान रूसी सेना को कम दूरी वाले बैलेस्टिक मिसाइल भी उपलब्ध कराने जा रहा है। फतेह 110 और जोल्फागार मिसाइल की पहली खेप रूसी सेना को भेजने की तैयारी चल रही है। यह मिसाइलें तीन सौ से लेकर सात सौ किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है।
इन दोनों मिसाइलों को लक्ष्य पर सटीक वार करने के लिए भी जाना जाता है। ये मिसाइलें अपने लक्ष्य को करीब पहुंचने के बाद वे अपने गंतव्य को सुधार भी सकती हैं क्योंकि उनमें इलेक्ट्रो आप्टिकल गाइडेंस सिस्टम लगा होता है। ईरान ने ऐसे मिसाइल हाउती विद्रोहियों को भी दिये थे। जिनकी मदद से इन विद्रोहियों ने यमन की सेना को काफी नुकसान पहुंचाया है जबकि यमन को सउदी अरब का सैन्य समर्थन प्राप्त है।