दिल्ली की नकल से पंजाब को चार हजार करोड़ मुनाफा

नईदिल्ली। जिस आबकारी नीति को लागू करने में घोटाला का आरोप दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर लगा है, उसी नीति से पंजाब राज्य ने छह महीनों में चार हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है। यह पंजाब के लिए आबकारी राजस्व में आमदनी का एक नया रिकार्ड है।

आबकारी राजस्व के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार 37.62 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसा उस आबकारी नीति की वजह से हुआ है, जिसे दिल्ली में उपराज्यपाल ने खारिज कर दिया था। पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कर मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि उनकी सरकार ने इस अरसे के दौरान आबकारी राजस्व में 1170 करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की है।

शराब माफिया के साथ मिलीभगत के कारण आबकारी नीति में अपेक्षित बदलाव न करने के लिए पहले की राज्य सरकारों पर तीखा हमला बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यदि बीते 15 ते सालों के दौरान हरेक साल आबकारी वसूली में केवल 7 प्रतिशत की वृद्धि से हिसाब लगाएं तो इन पार्टियों ने शराब माफिए को 22,500 करोड़ रुपए से अधिक का सरकारी खजाना लूट लिया है।

भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के इरादे इसी बात से स्पष्ट हो जाते हैं कि इसकी तरफ से 9000 करोड़ रुपए का आबकारी कर एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जब कि पिछली सरकार का लक्ष्य केवल 6200 करोड़ रुपए का था। वित्त मंत्री ने कहा कि शराब माफिया की लॉबी केंद्र सरकार के द्वारा बार-बार इस पॉलिसी को तोड़ने के लिए नये नये हथकंडे अपना रही है।

उन्होंने कहा कि पंजाब की विरोधी पक्ष की पार्टियाँ भी इसी शराब माफिया के दबाव अधीन पंजाब सरकार की आबकारी नीति पर सवाल उठा रही हैं। उन्होंने इन पार्टियों को चुनौती दी कि वह जवाब दें कि उनकी सरकारों के समय आबकारी वसूली में अपेक्षित वृद्धि क्यों नहीं हुई थी।

केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार ने नीति वापस लेते हुए तत्काल कोई कारण नहीं बताया था। आप’ प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा कि इसी आबकारी नीति को हमें दिल्ली में लागू नहीं कर दिया गया था। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार है।

उपराज्यपाल (एलजी) वी के सक्सेना ने नीति को लागू करने में कथित अनियमितता को लेकर जुलाई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद दिल्ली सरकार को मजबूरन यह नीति वापस लेनी पड़ी थी।

दिल्ली सरकार के एक कैबिनेट नोट में नीति को वापस लेने का कारण शराब की अधिक बिक्री के बावजूद राजस्व में कमी, व्यवसाय से लाइसेंसधारियों के चले जाने, छूट के चलते अस्वस्थ बाजार चलन और प्रीमियम ब्रांडों की कमी बताए गए थे। इस नीति को 17 नवंबर 2021 को लागू किया गया था। सीबीआई ने नीति में कथित अनियमितता को लेकर दर्ज प्राथमिकी में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को नामजद किया है।

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