- महाराष्ट्र जैसे राज्य में तख्तापलट के असली सूत्रधार साबित हुए
- समूचे पूर्वोत्तर में भाजपा के निर्विवाद मुखिया होने के साथ केंद्र में भी कद बढ़ा
सत्यनारायण मि़श्रा
गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा महाराष्ट्र में सबसे जटिल माने जाने वाले सफल तख्तापलट के असली सूत्रधार साबित हुए हैं। बीते आठ साल से, जब से उन्होंने अपने पूर्व राजनीतिक गुरु और तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मतभेदों के बाद कांग्रेस त्याग भाजपा का कमल थामा, तबसे लेकर अब तक उन्हें जितनी भी राजनीतिक जिम्मेदारियां भगवा दल से मिलीं, उन सबमें पूर्ण सफलता प्राप्त कर उन्होंने सच मायनों में स्वयं को राजनीति का नया चाणक्य ही सिद्ध किया है।
इस मध्य हुए सभी चुनावों में पूर्वोत्तर के समस्त राज्यों में उनकी प्रत्यक्ष भूमिका को नई दिल्ली से नागपुर तक सराहा गया है। तभी उन्हें भाजपा में आने के तत्काल बाद भाजपा नेतृत्व ने नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस अर्थात नेडा का संयोजक बना दिया था। और अब वे असंदिग्ध रूप से समूचे पूर्वोत्तर में भाजपा के निर्विवाद मुखिया बन चुके हैं। राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, ऐसा कहते हैं।
लेकिन पूरे देश में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प इस समय सत्ताधारी गठबंधन के पास है तो असम सहित समूचे पूर्वोत्तर में हिमंत बिश्व शर्मा का कोई तोड़ आज की तारीख में नहीं है। इसीलिए इन राज्यों में सभी विपक्षी खेमे नक्कारखाने में तूती की आवाज से अधिक नहीं रह गए।
हालांकि, हिमंत बार-बार दोहराते रहे कि महाराष्ट्र संकट में उनकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन जिस तरह बागियों के ठहरने तक होटल रेडिसन ब्लू आम अतिथियों के लिए अघोषित तौर पर प्रतिबंधित रहा और असम पुलिस तथा सुरक्षा बलों की जबर्दस्त निगरानी में उसे अभेद्य दुर्ग जैसा बना दिया गया, उससे सब पारे की तरह साफ है।
गुवाहाटी के बाहरी इलाके जालुकबाड़ी में बने इस आलीशान होटेल में जहां देश भर के पत्रकार भी घुसने के लिए तरस गए, मुंबई और अन्य स्थानों से आने वाले विद्रोही विधायक, पार्षद व असम के कतिपय मंत्री-विधायक बेरोकटोक घुसते बतियाते रहे, इस सच्चाई से कौन मुंह मोड़ सकता है।
खुद मुख्यमंत्री हिंमंत बिश्व शर्मा बाढ़ से घिरे अपने राज्य के दुर्दशाग्रस्त इलाकों के सघन दौरों के बीच भी एकाधिक दफे होटल रेडिसन ब्लू का बाहर-बाहर जायजा लेते देखे गए। उनके कुछ नजदीकी मंत्री व विधायक आदि तो लगातार एकनाथ शिंदे समूह की मिजाजपुर्सी और उन तक किसी अवांछित तत्व की पहुंच नहीं हो सके, इसकी निगरानी करते देखे गए। पुलिस-प्रशासन तो लगातार अपनी जिम्मेदारियां निभाने में लगा ही रहा।
होटल के आसपास का इलाका एकनाथ शिंदे के महाराष्ट्र के गढ़ जैसा दिखने लगा था। असम सरकार ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी। होटल के चारों तरफ समर्थक नारों वाले होर्डिंग लगा दिए गए। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे गुट ने अपनी होटल बुकिंग 12 जुलाई तक बढ़ाई थी।
होटेल के अंदर हो रहे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक राजनीतिक सूत्र का कहना था कि बागी विधायक गुवाहाटी से तभी जाएंगे, जब उनकी कहीं उपस्थिति की जरूरत होगी।
विश्वसनीय सरकारी सूत्रों ने कहा कि शिंदे खेमे ने होटल में 196 कमरों में से 70 बुक किए थे। होटल में असम सरकार की ओर से अघोषित तौर पर बागी विधायकों को वीआईपी सत्कार दिया गया। अर्द्धसैनिक बलों, असम पुलिस कमांडो और सशस्त्र कर्मियों के साथ होटल के अंदर बहुस्तरीय सुरक्षा कवच की व्यवस्था की गई।
गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों, पुरुष और महिला नर्सों और अत्याधुनिक एंबुलेंस वाली 24़7 चिकित्सा इकाई को भी होटल में तैयार रखा गया। होटल के अंदर लैपटॉप, हेवी-ड्यूटी मोडेम और हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट के साथ एक अस्थायी संचार केंद्र तक स्थापित किया गया।
दरअसल, 22 जून की सुबह जिस समय सूरत से एकनाथ शिंदे और लगभग 35 विधायकों को ले विशेष चार्टर्ड विमान लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै हवाई अड्डे पहुंचा था, भाजपा सांसद पल्लव लोचन दास और असम के भाजपा विधायक सुशांत बरगोहाईं पहले से उनकी अगवानी में पहुंच चुके थे। होटेल रेडिसन ब्लू तक वे ही उन सबको लेकर पहुंचे और बाद में मीडिया के सामने कहा कि वे तो अपने कुछ पुराने परिचितों की अगवानी के लिए गए थे।
मुख्यमंत्री हिमंत ने भले ही पत्रकारों के पूछने पर बार-बार कहा कि यह अच्छा है कि बाढ़ के समय असम में बाहर से लोग लगातार आ रहे हैं। इससे असम को टैक्स के जरिये अधिक राजस्व मिलेगा। बाढ़ के दौरान भी शहर में होटल बुक किये जा रहे हैं तो इससे उन्हें क्या ऐतराज हो सकता है।
वे बोले थे कि गुवाहाटी में रेडिसन ब्लू और ताज विवांता दो शानदार होटेल हैं। उन्हें खुशी होगी कि अधिक से अधिक लोग बाहर से यहां आएं। वास्तव में सभी को यहां आ हमारे होटलों में ठहरना चाहिए। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उन्हें और अधिक खुशी होगी, अगर अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक दल भी यहां आकर रुकें।
भाजपा के केंद्रीय सूत्रों के अनुसार एकनाथ शिंदे लंबे समय से उद्धव सरकार से दामन छुड़ाना चाहते थे। केंद्रीय नेतृत्व के संकेत की प्रतीक्षा थी। इस मध्य वे उद्धव व उनके बेटे आदित्य से नाराज विधायकों को अपने पाले में लाने और विद्रोह के लिए महाराष्ट्र से बाहर किसी सुरक्षित राज्य में ले जा योजना को अंजाम देने तक डेरा डालने के लिए चेष्टारत रहे।
भाजपा नेतृत्व पहले उन्हें गुजरात में सूरत या कहीं अन्य स्थान पर रखने के मूड में था। लेकिन उन तमाम जगहों पर विपक्ष कुछ अधिक विघ्न पैदा करने लायक महसूस हुआ। उसके पश्चात तय किया गया कि सभी विद्रोही विधायकों को असम ले जाया जाए, जहां हिमंत सरकार की अचूक पकड़ है। विकल्प रूप में बांग्लादेश से लगे त्रिपुरा को भी विचाराधीन बनाया गया था।
यहां भाजपा की सरकारें तो हैं ही, विपक्ष भी लगभग पस्तहाल हो चुके हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र से इन स्थानों की दूरी इतनी अधिक है कि विरोधियों के लामबंद होने और यहां तक पहुंचने के पहले पूरा खेल होने में कोई दिक्कत नहीं है।
जिस तरह महाराष्ट्र से दो हजार किलोमीटर से अधिक दूर असम की राजधानी दिसपुर-गुवाहाटी को इसके लिए चुना गया, उसी तरह होटल रेडिसन ब्लू का भी चयन इसलिए किया गया कि यह नगर के बिल्कुल बाहर ऐसे क्षेत्र में है, जहां तक साधनविहीन विघ्नकर्ताओं की पहुंच सहज नहीं है। इसके अलावा इस होटल की किलेबंदी कहीं अधिक प्रभावी तरीके से की जा सकती है। गुवाहाटी के अन्य होटलों में दिक्कतें हजार होतीं।
जिस तरह से स्वयं को नेपथ्य में रखते हुए, खुद को बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी की तोहमत से बचाते हुए हिमंत ने रिमोट कंट्रोल से राजनीति के मोहरे चले, अपने सबसे अधिक भरोसे के चंद मंत्री-विधायक नेताओं को ही तैनात किया, उसने बिना किसी बाधा के काम को अंजाम तक पहुंचाया है।
सबकुछ उम्मीद के मुताबिक होने के बाद अपेक्षित है कि केंद्रीय नेतृत्व के सामने हिमंत बिश्व के नंबर तो बढ़ने ही चाहिए। भविष्य के केंद्रीय नेतृत्व के लिए एक पूर्ण सक्षम नेता भी सामने आ गया है। भगवा राजनीति के एक नये चाणक्य का अवतार हो गया है।