नैनीताल । न्यायालय ने पहाड़ी इलाकों में तेंदुओं के बढ़ते हमले व इस मामले में सरकार की उदासीनता को लेकर सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार से चार सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। देहरादून के समाजसेवी अनु पंत की ओर से दायर जनहित याचिका पर बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
सरकार इस मामले में कोई स्थिति स्पष्ट नहीं कर पायी। सरकारी अधिवक्ता की ओर से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिये अतिरिक्त समय की मांग की गयी। सरकार के इस रवैये को अदालत ने गंभीरता से लिया और चार सप्ताह में विस्तृत जवाब शपथपत्र के माध्यम से देने को कहा है।
अदालत ने सरकार से पूछा है कि जंगली जानवरों खासकर तेंदुओं के हमले के मामले में सरकार की क्या नीति है और इन हमलों को रोकने के लिये क्या उपाय किये जा सकते है। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका में कहा गया कि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में मानव-वन्य जीव संघर्ष बढ़ रहा है।
पिथौरागढ़, बागेश्वर, पौड़ी, उत्तरकाशी व चंपावत जनपद इससे खासे प्रभावित हैं। यहां लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। साथ ही लोग जान बचाने के लिये तेंदुओं को भी मौत के घाट उतार रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि औसतन प्रतिवर्ष 60 लोग तेंदुओं के हमले में मारे जा रहे हैं। प्रतिमाह औसतन पांच से सात लोगों की मौत हो रही है। वर्ष 2020 में तेंदुए के हमले में 30 लोग मारे गये थे जबकि 85 लोग घायल हुए।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि इससे पहाड़ों में पलायन भी बढ़ रहा है। पलायन आयोग ने भी माना है कि वर्ष 2016 में छह प्रतिशत लोग मानव-वन्य जीव संघर्ष के चलते पलायन को मजबूर हुए हैं। वन्य जीवों के चलते पहाड़ी इलाकों में खेती भी चैपट हो गयी है। वन्य जीव घरों के नजदीक आ रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी कि एक कमेटी का गठन किया जाये और कमेटी अध्ययन कर इस मामले का समाधान निकाले।