- कांग्रेस बूथ-बूथ सम्पर्क अभियान और भाजपा स्मार्ट बूथ के सहारे
राकेश प्रजापति
भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं, क्योंकि आगामी विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव जो होने हैं।
यह कहा जा सकता है कि वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए दोनों ही राजनीतिक दल अपनी अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। भाजपा जहां स्मार्ट बूथ के माध्यम से जंग जीतने की तैयारी कर रही है तो, दूसरी ओर कांग्रेस घर-घर चलो अभियान से चुनावों की तैयारी के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार कर रही है।
ऐसा प्रतीत होता है मानो, अब कांग्रेस सोशल मीडिया से बाहर निकल कर मैदान में नजर आयेगी। वहीं, भाजपा हमेशा ही चुनाव लड़ने के तेवर में नजर आती है।
एक फरवरी से कांग्रेस बूथ-बूथ सम्पर्क अभियान चलायेगी और प्रदेश में घर-घर चलो के नारे के साथ हर घर में दस्तक देती नजर आएगी। परंतु यह इस बात पर निर्भर होगा कि कार्यकर्ता पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ इस अभियान को अमलीजामा पहनाते हैं या नहीं, क्योंकि इस पर ही चुनावी नतीजे निर्भर करेंगे।
वहीं, मध्यप्रदेश में भाजपा 2023 के विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में न केवल चुनाव जीतने की तैयारियों में है, बल्कि प्रदेश को अपने अजेय गढ़ में परिवर्तित करने की दृष्टि से अपना वोट 51 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है।
भाजपा ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष में बूथ विस्तारक योजना पर तेजी से काम करना आरम्भ कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद सिंह पटेल, वीरेंद्र कुमार सहित भाजपा के सभी प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता बूथ विस्तारक योजना में हर एक बूथ पर नजर रखे हुए नजर आयेंगे।
भाजपा ने स्मार्ट बूथ योजना को अमलीजामा पहनाना भी शुरू कर दिया है। 51 प्रतिशत वोट हासिल करने के लिए पैंसठ हजार बूथों के अध्यक्ष, महामंत्री व बूथ एजेंट को पार्टी संगठन में विषेश महत्व देने जा रही है। इस कवायद से पार्टी को यह भी भरोसा है कि वह राज्य के कोने-कोने तक हर वर्ग में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकेगी।
केन्द्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भी एकजुट करने में उसे सफलता मिलेगी। इसके माध्यम से वह विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों का एक मजबूत वोट बैंक अपने पक्ष में खड़ा कर सकेगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा का मानना है कि पर्दे के पीछे रह कर विचारधारा के लिए बूथ पर काम करने वाले कार्यकर्ता के प्रयासों की वजह से ही हम मजबूत हैं।
हमारा नेतृत्व गरीब के घर से निकलता है और बूथ स्तर पर काम करने वाला अध्यक्ष भी यहां राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश का गृहमंत्री बन सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ को सत्ता गंवाने और बीते 4 वर्षों से प्रदेश अध्यक्ष होने के बाद यह एहसास हो गया है कि संगठन के बिना चुनाव नहीं जीते जा सकते अब वे इस दिशा में प्राण पण से जुट गए हैं।
कमलनाथ का मानना है कि अब राजनीति स्थानीय हो गयी है और भीड़ वाली बड़ी रैलियों तथा सभाओं का दौर जा चुका है। अब जनता से सीधे संपर्क व संवाद रखने वाला नेता ही आगे भविष्य में टिक पायेगा, हमें इस सच्चाई को समझना होगा और बिना मजबूत संगठन के हम चुनाव नहीं जीत सकते। 18 माह चुनाव को शेष बचे हैं, इसलिए हमें अब जी-जान से जुटना होगा।
कमलनाथ ने जो कहा है उसमें देखने वाली बात यही होगी कि मैदान में जी-जान से भिड़ने वाले निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा या फिर वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं की भी अनदेखी लड़ाई सत्ता में पहुंचने के लिए बाधा तो नहीं बन रही है।
कांग्रेस फिलहाल ट्विटर और सोशल मीडिया तक ही अपनी सक्रियता तेजी से दिखाती रही है लेकिन अब लगता है कि उसे यह अहसास हो चुका है कि केवल इसी माध्यम के सहारे चुनावों में मैदानी जंग नहीं जीती जा सकती है इसलिए अब वह बाहर मैदान में निकलने का मन बना रही है।
2023 के विधानसभा चुनाव में फिर से अपनी सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर कांग्रेस बूथ-बूथ और घर-घर चलो अभियान चलाने जा रही है। इसका आगाज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक फरवरी को देवास से करेंगे। इस अभियान के तहत पार्टी बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के काम को अंजाम देगी और इसके लिए कमलनाथ ने सभी नेताओं को बूथ मजबूत करने के काम में जुट जाने के लिए कहा है।
पूरे फरवरी माह कांग्रेस का यह अभियान चलेगा और उसके बाद आगामी विधानसभा चुनाव तक पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए कांग्रेस जन सक्रियता से मैदान में नजर आयेगे और घर-घर दस्तक देंगे।
बहरहाल, आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करना ही कमलनाथ का उद्देश्य है। कमलनाथ के लिए अपने राजनीतिक जीवन की यह अंतिम लड़ाई मानी जा रही है। इस लड़ाई में सफलता ही उनके भविष्य का निर्धारण करेगा।