और 48 मिनट के भाषण ने पांच साल पहले भी लगाया था ‘डबल इंजन’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीरभूमि पहुंचकर वीरों के मन को छूने में नहीं छोड़ी कोई कसर

  • इस बार भी अपने 48 मिनट के उद्बोधन में हर पहलू को छुआ, विपक्ष पर किया प्रहार
  • जनसभा में बैठे सेवानिवृत्त फौजियों का सीना भी हुआ 56 इंच का
  • प्रदेश में 24 लाख से अधिक हैं सैनिक, पूर्व सैनिक व सैन्य परिवारों के मत
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड आकर ‘वीरो’ के मन को न छू लें भला ये कैसे संभव है। राज्य को देवभूमि व वीरभूमि की संज्ञा देकर गढ़वाली बोली में अपने उद्बोधन की शुरुआत करना पीएम मोदी की आदत में शुमार रहा है।
पांच साल पहले 27 दिसंबर 2016 को परेड ग्राउंड में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की परिवर्तन रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जिस अंदाज में देवभूमि के वासिंदों के मन को छूने की भरसक कोशिश की, वही अंदाज शनिवार को आयोजित विजय संकल्प रैली के दौरान भी देखने को मिला।
खास बात यह कि पांच साल पहले भी मोदी ने परेड ग्राउंड में 48 मिनट तक जनसभा को संबोधित किया था और आज भी पूरे 48 मिनट तक अपना संबोधन दिया।
तब (दिसंबर 2016) विस चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड को 12 हजार करोड़ की लागत वाली चारधाम परियोजना (ऑलवेदर रोड) की सौगात दी थी, तो आज 18 हजार करोड़ से अधिक लागत की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
यानी इस तोहफे के साथ ही पीएम ने आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। यद्यपि कार्यक्रम सरकारी था, पर पीएम मोदी विपक्षी दलों पर सियासी वार करने से चूके नहीं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सरंचनात्मक विकास एवं वन रैंक वन पेंशन के बहाने प्रधानमंत्री ने जहां वीर सैनिकों के मन को छुआ वहीं इस मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस पर भी कड़ा प्रहार किया। कहा कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा सेना के मान-मनोवल को हतोत्साहित करने का काम किया है।
पिछली बार की तरह इस बार भी पीएम मोदी के तरकश से निकले इस तीर का फायदा राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही वन रैंक वन पेंशन पर अपनी बात फोकस की तो परेड ग्राउंड की जनसभा में मौजूद पूर्व सैनिकों का सीना भी मानों 56 इंच का हो गया। वहीं सीमांत क्षेत्रों में सडक़ नेटवर्क व अन्य तरह की कनेक्टिीविटी का जिक्र कर मोदी ने विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
कहा कि पूर्ववर्ती सरकार को बार्डर तक विकास का जो कार्य करना चाहिए था वह किया नहीं गया। राजनीतिक विशलेषक भी मान रहे हैं कि मोदी ने जिस तरह अपने उद्बोधन में वीर सैनिकों के मन को छूने की कोशिश की उसके पीछे उद्देश्य कहीं न कहीं राज्य के 24 लाख से अधिक सैन्य वोटरों (सैनिक व पूर्व सैनिक तथा सैन्य परिवारों के मत) को साधना भी रहा है।

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