सरकार गिराने वाले कुछ लोग सीएम बनने की उम्मीद में गये थे भाजपा
हरीश रावत ने कहा, दबाव में जाने वालों से उन्हें नहीं है कोई भी शिकायत
- भाजपा में जाने वाले विधायक आज भी कांग्रेस शासन के काम गिना रहे
- दावा, भाजपा में सीएम बनने की संभावनाएं क्षीण होने बाद चाहते हैं वापसी
देहरादून। चला, चली की चुनावी बेला में पूर्व सीएम व कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने एक बार फिर से बागियों को निशाने पर लिया है।
रावत ने बागियों को दो श्रेणियों में बांटते हुए कहा है कि जो लोग धन के लालच और दबाव में गये उनसे उन्हें कोई शिकायत नहीं है।
मगर उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार गिराकर भाजपा में जाने वाले कुछ लोग वो थे, जो मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद में गये। क्योंकि उन्हें पता था कि यहां हरीश रावत जमकर बैठा हुआ है।
रावत ने सोशल मीडिया पर फिर बागियों को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि 216में जितने लोग सरकार गिराने में शामिल थे यानि उसका विश्लेषण करेंगे तो यह साफ हो जाता है कि कुछ लोग भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी उम्मीदें लेकर गये थे, क्योंकि उन्हें कांग्रेस में रहते हुए इसकी उम्मीद नहीं दिख रही थी।
यहां कांग्रेस में उनको हरीश रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था। मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले इन बागियों को यह भी मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा।
रावत ने एक बात और भी कही है कि जो लोग मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा में गये थे, उन्हें लगता था कि वहां मुख्यमंत्री के लिए कोई भी काबिल व्यक्ति नहीं है। वे आगे लिखते हैं कि कुछ लोग धन के लोभ में गये, कुछ लोग धन और दबाव में गये।
रावत ने इस बात पर जोर दिया है कि जो लोग दबाव और धन दोनों में गये उनसे उन्हें कोई शिकायत नहीं है। मगर एक बात वे फिर से कहना चाहते हैं कि ये लोग जो बार-बार उन्हें कोसते हैं, जरा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में देख लें।
जितने भी विकास के कार्य जिनके कारण वो अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सर उठाकर के खड़ा हो पाते हैं, वो सब वही हैं जो हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत हुये थे और बने। वे सतपाल महाराज के लिए लिखते हैं कि महाराज का मतदाता उनसे कह रहा है कि महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब उन्होंने दल नहीं बदला था।
दल बदलने के बाद उन्होंने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया। रावत लिखते हैं कि आज दोनों प्रकार के लोगों में बेचैनी है, जिनको अपने क्षेत्र में विकास नहीं दिखाई दे रहा है, केवल सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं और दूसरे वो लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया।
जब भाजपा ने खांटी के भाजपाई को छांटकर के ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना घर तलाश करते हुए वो कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं। मगर लोकतंत्र व उत्तराखंड के अपराधी हैं। रावत लिखते हैं कि लोग खुद ही विचार करें कि ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक होना चाहिये।