केदार नगरी में दो दिनों से बारिश जारी
ठंड का बढ़ा प्रकोप बारिश के बाद घने कोहरे से लिपटी केदार नगरी केदार नगरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य भी बारिश से हो रहे प्रभावित
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में दो दिनों से मौसम खराब है। धाम में लगातार रुक रुक कर बारिश हो रही है। बारिश के बाद बाबा केदार की नगरी घने कोहरे से लिपट गयी है। धाम की चोटियों पर बर्फबारी का सिलसिला भी जारी हो गया है। धाम में इन दिनों ठंड भी अत्यधिक बढ़ गयी है। वहीं घने कोहरे के बीच केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य करना मुश्किल हो रहा है।
बता दें कि केदारनाथ धाम में दो दिनों से बारिश जारी है। बारिश के बाद धाम में घना कोहरा छाया हुआ है। घने कोहरे में वुड स्टोन कंपनी और साईं कंस्ट्रक्शन के मजदूरों को निर्माण कार्य करना मुश्किल हो रहा है। धाम की चोटियों पर बर्फबारी का सिलसिला भी जारी हो गया है। धाम में अब कड़ाके की ठंड पड़नी शुरु हो गयी है। कड़ाके की ठंड पड़ने से यहां रह रहे मजदूर, कर्मचारी, पुलिस जवान एवं तीर्थ पुरोहितों को भी परेशानियां हो रहा है। धाम में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत द्वितीय चरण के कार्य चल रहे हैं। इन कार्यो को दो साल के भीतर पूरा किया जाना है। धाम में मास्टर प्लान के तहत कार्य हो रहे हैं। इन कार्यों के पूरा होने के बाद यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी। धाम में मौसम खराब होने पर निर्माण कार्यो को करना मुश्किल हो रहा है, मगर मौसम साफ होने के बाद कार्यो में तेजी लाई जा रही है। धाम में मंदाकिनी नदी पर निर्माणाधीन पुल को अगले यात्रा सीजन तक तैयार किया जाना है। पुनर्निर्माण के तहत दूसरे चरण में कंट्रोल एंड कमांड सेंटर, अस्पताल भवन, पुलिस थाना और मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर घाट निर्माण का कार्य चल रहा है। साथ ही निर्माणाधीन आदिगुरू शंकराचार्य समाधि स्थल का निर्माण इस वर्ष पूरा होना है। आगामी यात्रा में यह धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए खोला जाना है। जिलाधिकारी मनुज गोयल ने कहा कि केदारनाथ धाम में रूक-रूककर बारिश हो रही है, बावजूद इसके मजदूर-कर्मचारी पुनर्निर्माण कार्यो में जुटे हुए हैं। घने कोहरे में भी कार्य किया जा रहा है। केदारनाथ धाम में बारिश होने के कारण ठंड का प्रकोप भी बढ़ गया है। धाम में द्वितीय चरण के निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिनमें शंकराचार्य समाधि स्थल का कार्य इस साल पूरा किया जाना है। बाकी के कार्यो को एक-दो साल के भीतर पूरा कर लिया जायेगा।