हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले पर नगर निगम का जवाब तलब

विधायक कौशिक, तत्कालीन सीडीओ और ईई पर लगाया गया है भारी घोटाले का आरोप बिना सोलह पुस्तकालय बना कर दिया गया है डेढ़ करोड़ का भुगतान

नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय ने 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में हरिद्वार नगर निगम का फिर जवाब तलब कर दिया है। न्यायालय ने निगम को जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। इसके साथ ही एक बार फिर पुस्तकालय का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। इसमें विधायक मदन कौशिक, सीडीओ और तत्कालीन अधिशासी अभियंता ग्रामीण निर्माण विभाग को निशाने पर लिया गया है। यह जवाब तलब दून निवासी सच्चिदानंद डबराल की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने 2010  में विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया था। पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दिया गया, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी  पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट होती है, लेकिन यहां अधिशासी अभियंता और सीडीओ ने बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगाकर पेमेंट कर दिया।

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