देहरादून । प्रदेश के पहले और कभी भी मंत्री का दायित्व न पाने के बावजूद सीधे मुख्यममंत्री की कुर्सी तक पहुंच जाने वाले पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में खटीमा विधानसभा से विधायक हैं। उत्तराखंड प्रदेश के अति सीमान्त जनपद पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में उनका जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ।
सैनिक पुत्र हैं पुष्कर सिंह धामी
वह सैनिक पुत्र हैं और उन्होंने आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियां उन पर हमेशा बनी रही है। वह स्नातकोत्तर तक शिक्षित हैं। उन्होंने व्यावसायिक मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध के मास्टर्स किया है।
बचपन से ही स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस इत्यादी शाखाओं में प्रतिभाग एवं समाजिक कार्यो को करने की भावना तथा छात्र शक्ति को उनके हकों एवं उत्थान के लिए एक जुट करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ ने के मुख्य कारक रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एक जुट करके निरन्तर संधर्षशाील रहते हुए उन्होंने छात्रों के हितों की लड़ाई लड़ी।
छात्र राजनीति से शुरु हुआ राजनीतिक जीवन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक जीवन छात्र राजनीति से शुरू हुआ। सन 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई।
दो बार रहे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष
राज्य की भौगोलिक परिस्थियों को नजदीक से समझते हुए क्षेत्रीय समस्याओं की समझ और उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के साथ एक युवा सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया। दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छह वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगारों को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये गये। कहा जाता है कि तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में दिनांक 11 जनवरी 2005 को प्रदेश के 90 युवाओं को जोड़कर विधान सभा का घेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वर्ष 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में काम करते हुए क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान कराने की कोशिश की। 2012 के विधान सभा विधान सभा चुनाव में वह विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। 2017 में उन्हें खटीमा से दोबारा टिकट मिला और वह फिर से विधायक चुने गए।