- निरंजनी,आनन्द, जूना. आवाहन, अग्नि, महानिर्वाणी, अटल , वैष्णव अणियों,बड़ा उदासीन, नया अखाड़ा व निर्मल आदि तेरहों अखाड़ो ने क्रमानुसार देर शाम तक किया शाही स्नान
- किन्नर अखाड़ा ने किया जूना के साथ शाही स्नान
हरिद्वारः कुम्भ मेला हरिद्वार 2021 का सोमवती अमावस्या का शाही स्नान सकुशल सम्पन्न हो गया। हालांकि इस बार शिवरात्री पर्व की अपेक्षा काफी कम संख्या में श्रद्धालू हरिद्वार पहुहच पाए, लेकिन प्रशासन द्वारा 35 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं द्वारा गंगा स्नान किए जाने का दावा किया है। जबकि शाम चार बजे तक मेला प्रशासन द्वारा 27 लाख 79 हजार श्रद्धालुओं द्वारा स्नान किए जाने का दावा किया गया। शाम छह बजे तक 31 लाख 55 हजार श्रद्धालुूओं ने प्रशासन के मुताबिक गंगा में डुबकियां लगाई।
इसके बाद भी स्नान क्रम सभी घाटों पर जारी रहा। माना जा रहा है कि रात तक यह संख्या 35 लाख से अधिक लोगों द्वारा गंगा स्नान करने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं शाही स्नान के दौरान हरकी पैड़ी पर अखाड़ों के अलावा आम श्रद्धालुओं को स्नान की अनुमति नहीं रही, जिस कारण लोगों ने शहर के अन्य घाटों या नीलधारा में ही आस्था की डुबकियां लगाई।
कुम्भ मेला अधिसूचना के मुताबिक सोमवार को कुम्भ का पहला शाही स्नान रहा, जबकि इससे पूर्व शिवरात्री स्नान को भी शाही स्नान के रूप में प्रचारित किया गया था। सोमवती अमावस्या का स्नान करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कई-कई दिन पहले से ही डेरा डाला हुआ था। चूंकि शाही स्नान के दौरान आम श्रद्धालुओं के लिए ब्रह्मकुंड पर स्नान प्रतिबंधित किया हुआ था तो रात्री बारह बजे के बाद से ही लोगों ने हरकी पैड़ी पर आस्था की डुबकियां लगाना शुरू कर दिया था।
सुबह साढ़े सात बजे हरकी पैड़ी क्षेत्र को पूरी तरह खाली कराकर सफाई करा दी गई। इसके बाद क्रमानुसार अखाड़ों के संतों का शाही स्नान साढ़े आठ बजे से शाुरू हो गया। सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा के नागा संत आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द ब्रह्मचारी महाराज व अन्य महामण्डलेश्वरों के नेतृत्व में शाही जलूस के रूप में हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान के लिए पहुंचे। आनन्द अखाड़ा के संतों ने भी निरंजनी अखाड़ा के साथ ही शाही स्नान किया। प्रत्येक अखाड़ा के स्नान करने से लेगर उनकी छावनी में वापसी तक के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया गया था।
महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की तबीयत हुई खराब
इसके बाद क्रमानुसार जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी के नेतृत्व में जूना, अग्नि, आवाहन व किन्नर अखाड़ा के संतों ने हरकी पैडी पहुंचकर गंगा में हर-हर महादेव के जयघोष के साथ आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की तबीयत गंगा स्नान के बाद खराब होने पर उन्हें जिला चिकित्सालय भिजवाया गया। इसके बाद आचार्य महामण्डलेश्वर बालकानन्द, विशोकानन्द भारती आदि के नेतृत्व में महानिर्वाणी के साथ अटल अखाड़ा ने तथा इसके बाद वैष्णव अखाड़ों की तीनों अणियों निर्वाणी, निर्मोही व दिगम्बर के संतों ने हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकियां लगाई। वैष्णव संतों के स्नान के निर्दारित समयं में विलम्ब होने के कारण बड़ा अखाड़ा उदासीन के संत शाही जलूस के दौरान ही नाराज हो गए।
धरना पर बैठ गए उदासीन अखाड़ा के संत
उदासीन अखाड़ा के संत हाईवे पर ही धरना पर बैठ गए। जिन्हें बमुश्किल समझा बुझा कर शांत कराया गया। इसके बाद नया उदासीन पंचायती अखाड़ा व सबसे बाद में निर्मल अखाड़ा के संतों ने गंगा में शाही स्नान किया। इस दौरान देशभर से आए आम श्रद्धालुओं द्वारा पंतद्वीप, सुभाष घाट, रोड़ी-बेलवाला, कुशाघाट, रामघाट, विष्णु घाट, गणेश घाट व शहर के अन्य दर्जनों घाटों के अलावा नीलधारा में भी स्नान किया। रात साढ़े आठ बजे के बाद तक भी गंगा घाटों पर स्नान का क्रम चलता रहा।
शाही स्नान के दौरान लोगों को जगह-जगह बैरीगेट्स लगाकर रूट डायवर्जन के हिसाब से भेजा जा रहा था।
जिस कारण लोगों को गंगा घाटों तक पहुंचने के लिए पांच से सात किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा।