देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित “बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभाग किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि परिवार बच्चों की प्रथम पाठशाला है जहां अपने परिजनों की छाया तले बैठकर वो अपनी सुषुप्त क्षमता और प्रतिभा को उजागर करता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बच्चों को सही दिशा देने में मां की भूमिका बहुत जरूरी है। इसके लिए मां का स्वस्थ और सशक्त होना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जीवन अमूल्य है इसलिए नशा छोड़कर जीवन को अपनाएं। आज समय की जरूरत है कि हमारे बच्चे संस्कारवान बनें इसकी जिम्मेदारी हमारी है कि हम उन्हें सही दिशा प्रदान करें। हमें बच्चों को सही और गलत का बोध करवाना एवं नैतिक मूल्यों को समझाना होगा। बच्चों को नशे की लत से बाहर निकालने के लिए उत्तराखण्ड सरकार की ओर से कई सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं।