- चुनाव से ऐन पहले इढऋ ने ठऊअ से तोड़ा नाता
- 27 मार्च से 11 दिनों के भीतर कुल तीनों चरणों में होंगे मतदान
अनिरूद्ध यादव
गुवाहाटी: Chief Election Commissionमुख्य चुनाव आयोग ने असम समेत चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में की घोषणा कर दी है। समय की कमी को देखते हुए राजनीतिक पार्टियां अपनी अंतिम रणनीति बनाने में जुट गई हैं। चुनाव आयोग ने असम में तीन चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है। यानी 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को असम में मतदान होंगे। कुल मिलाकर, 11 दिनों के भीतर असम में तीनों चरणों की वोटिंग हो जाएगी। यानी हर बार की तरह बिहू के पहले ही मतदान हो जाएगा। बिहू को लेकर हर बार राजनीतिक दलों की ओर से आवाज उठायी जाती थी। इस बार चुनाव आयोग असमवासियों की भावनाओं को देखते हुए तिथियों की घोषणा की है। वहीं, इस बार राज्य में कुल 2,32,44,454 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।
27 मार्च को होने वाले प्रथम चरण में ऊपरी असम और ब्रह्मपुत्र के नॉर्थ बैंक की 47 सीटों, दूसरे चरण में बराक घाटी, पहाड़ी जिलों तथा निचले एवं मध्य असम की 39 तथा तीसरे चरण में गुवाहाटी, निचले असम एवं बीटीआर क्षेत्र की 40 सीटों पर मतदान होंगे। प्रथम चरण के लिए 2 मार्च को अधिसूचना जारी होगी तथा 9 मार्च को नामांकन भरे जा सकेंगे। दूसरे एवं तीसरे चरण के लिए थोड़ा वक्त मिलेगा। चुनाव की घोषणा तो हो गई है लेकिन राज्य में चुनावी मैदान में उतरे तीनों गठबंधन अब तक सीटों के तालमेल को अंतिम रूप नहीं दे पाए हैं। भाजपा-अगप गठबंधन के बीच अब भी सीटों के तालमेल के लिए जबर्दस्त मोलभाव चल रहा है। अगप भाजपा से 40 सीटों की मांग कर दबाव बढ़ाने की कोशिश में है। अगप ने उन क्षेत्रों में रैली की है, जहां से पिछले विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी।
दूसरी ओर, भाजपा इस बार अगप को 2016 चुनाव के मुकाबले कम सीट देना चाहती है। भाजपा कुछ सीटों पर फ्रेंडली मुकाबला करने को भी तैयार लग रही है। अगप भाजपा का साथ छोड़ना नहीं चाहेगी। बीटीआर क्षेत्र में भाजपा यूपीपीएल के साथ सीटों के तालमेल के लिए बातचीत कर रही है। इसी तरह कांग्रेस तथा एआईयूडीएफ व हग्रामा की बीपीएफ के बीच भी सीटों के तालमेल को लेकर पेंच फंसा हुआ है। यहां बताते चलें कि चुनाव तिथि की घोषणा के एक दिन बाद बीपीएफ सुप्रीमो हग्रामा मोहिलारी ने एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी और कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हो गए। एआईयूडीएफ कांग्रेस से 35 सीट देने की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस 18 से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है। निचले असम, बराकघाटी तथा मध्य असम के अल्पसंख्यक बहुल 22 सीटों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच माथापच्ची जारी है।
महागठबंधन की बाकी पार्टियों भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) तथा गण आंचलिक मोर्चा के साथ तालमेल में कोई विशेष दिक्कत नहीं होनी चाहिए। असम जातीय परिषद (एजेपी) तथा राइजर दल में सीटों का तालमेल नहीं हो पाया है। इन दोनों दलों का अब तक कई जिलों में जिला समिति का भी गठन नहीं हुआ है। दूसरी बात यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन तथा एजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर अब तक चर्चा ही नहीं हुई है। चुनाव के शंखनाद के बाद राजनीतिक पार्टियों में भाग-दौड़ मचना स्वाभाविक है। खासकर उम्मीदवारों के लिए बड़ी समस्या है, क्योंकि ज्यादातर उम्मीदवार अपने टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। भाजपा दोनों गठबंधन के मुकाबले चुनाव की तैयारी के क्षेत्र में काफी आगे चल रही है। भाजपा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बूथ स्तर पर पूरी तैयारी कर चुकी है। प्रचार अभियान में भाजपा अन्य दलों से बहुत आगे है। प्रधानमंत्री अब तक राज्य का तीन बार दौरा कर लोकलुभावन घोषणाओं की झड़ी लगा चुके हैं। इस बार का विधानसभा चुनाव कोरोना काल में हो रहा है, जिसके कारण विशेष सावधानी बरती जा रही है। मतदाताओं के लिए एक घंटा ज्यादा समय देने के साथ ही इस बार 5324 ज्यादा मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे ताकि मतदाताओं को परेशानी न हो। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग कमर कस चुकी है। केंद्र राज्य में अर्द्धसैनिक बलों की 40 कंपनियां भेजने पर राजी है, जबकि 20 कंपनियां पहले से ही राज्य में तैनात हैं।
एनडीए को बड़ा झटका
चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा के ठीक एक दिन बाद बीजेपी को असम में तगड़ा झटका लगा है। बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) पिछले दिनों एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गई है। कांग्रेस की अगुआई में बने महागठबंधन में बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी शामिल हो गई, जिससे असम में तीन चरणों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उसकी स्थिति और मजबूत हो गई। बीपीएफ के अध्यक्ष हग्रामा मोहिलारी ने कहा है कि हम भाजपा के साथ दोस्ती और गठबंधन नहीं निभा सकते हैं। उन्होंने कहा-शांति, एकता और विकास के साथ राज्य में स्थायी सरकार देने के लिए बीपीएफ ने कांग्रेस की अगुआई वाले महागठबंधन के साथ जाने का फैसल किया है। हग्रामा ने सोशल मीडिया के जरिए पूरी जानकारी दी है। बीपीएफ वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में शामिल है। भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने पहले एआईयूडीएफ, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा (एजीएम) के साथ महागठबंधन का गठन किया था। भाजपा विरोधी समूह को मजबूत करने के लिए पिछले दिनों बीपीएफ और राजद गठबंधन में शामिल हो गए। बीपीएफ को कांग्रेस में शामिल कराने के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव की अहम भूमिका रही है। दो दिवसीय गुवाहटी दौरे पर आए तेजस्वी ने महागठबंधन को मजबूत करने के लिए काम किया। राजद भी महागठबंधन के तहत असम विधानसभा चुनाव लडने की घोषणा की है। राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और जिसके राज्यसभा में पांच सदस्य थे, लेकिन लोकसभा में कोई भी नहीं है।
भाजपा असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल
(यूपीपीएल) के साथ असम चुनाव में उतरेगी। बीपीएफ ने दिन में घोषणा की कि वे आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए महागठबंधन में शामिल होंगे। इस फैसले का स्वागत करते हुए, कांग्रेस ने भरोसा जताया कि पार्टी फिर से सत्ता में आएगी। असम कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा और एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल की मुलाकात के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि उनकी पार्टी असम में महागठबंधन का हिस्सा होगी।
1.08 लाख डी-वोटर नहीं कर पाएंगे मतदान
असम के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) नितिन खरे का कहना है कि असम में तीन चरणों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 1.08 लाख संदिग्ध मतदाताओं को मतदान करने की अनुमति नहीं होगी। राज्य विधानसभा चुनाव के तहत 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को मतदान होगा। मतगणना दो मई को होगी। पिछले साल विधानसभा में उपलब्ध कराई गई संदेहपूर्ण मतदाताओं की संख्या 1.13 लाख थी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जनवरी में राज्य के दौरे पर कहा था कि जिन लोगों के नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में नहीं हैं, लेकिन मतदाता सूची में है, वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेहपूर्ण मतदाता वैसे लोग हैं, जिनकी पहचान मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान डी-वोटर के रूप में की गई और जिनके खिलाफ विदेशी नागरिक अधिकरणों में मामले लंबित हैं या जिन्हें अधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि कुल 2,32,44,454 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।