प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के बढते इस्तेमाल को देखते हुए सशस्त्र सेनाओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने की जरूरत है जिससे कि ये भविष्य की सेना के रूप में चुनौतियों का मजबूती से सामना कर सके। श्री मोदी ने गुजरात के में तीनों सेनाओं के संयुक्त कमांडर सम्मेलन के तीसरे और अंतिम दिन समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं इसे ध्यान में रखते हुए हमारी सेनाओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करना चाहिए जिससे वे ‘भविष्य की सेना’ के रूप में नयी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बन सके। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में स्वदेशीकरण को बढावा देने के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यह केवल उपकरणों तथा हथियारों के मामले में ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसकी झलक सशस्त्र सेनाओं से संबंधित सिद्धांतों , प्रक्रियाओं और परंपराओं में भी दिखायी देनी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के सैन्य और असैन्य दोनों हिस्सों में जनशक्ति के अधिक से अधिक नियोजन की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने एक समग्र दृष्टिकोण पर आधारित तेजी से निर्णय लेने की व्यवस्था बनाने पर जोर दिया। उन्होंने सलाह दी कि सेनाओं को विरासत में मिली प्रणालियों तथा प्रथाओं से अब निजात पानी चाहिए क्योंकि वे अब अनुपयोगी तथा अप्रासंगिक हो गयी हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष कोरोना महामारी से निपटने के अभियान में योगदान तथा उत्तरी सीमा पर चुनौतीपूर्ण स्थिति से मजबूती से निपटने में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की सराहना की। इससे पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने इस वर्ष के सम्मेलन के एजेन्डे से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में पहली बार कनिष्ठ कमीशन अधिकारियों और गैर कमीशन अधिकारियों को भी शामिल करने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। श्री मोदी ने कहा कि देश अगले वर्ष आजादी के 75 वर्ष का समारोह मनाने जा रहा है और सशस्त्र सेनाओं को भी इस तरह की गतिविधि और कार्यक्रम करने चाहिए जिससे युवाओं प्रेरणा मिले।