मालिक और सेवक संवाद!
बात। भाई जी! आप मीडिया वाले हमारे साथ हो। दिल्ली से लखनऊ तक यही गनीमत है। वर्ना यह दलित, ओबीसी और मुसलमान, विश्वास के काबिल नहीं हैं। ससुरों! को चाहे जितना दो, खुशामद करो। लेकिन पूछ टेड़ी ही रहती है। मैंने कहा, हद हो गई। वोट के लिए हाथ जोड़ते भी हो और कुत्ता मानते हो। एक ने सफाई दी, सर हम कुत्ता नहीं…
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