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आलेख

अब पीओके मुक्ति यज्ञ

राजेंद्र शर्मा , व्यंग्य इन सेकुलर वालों के चक्कर में भारत वर्ष का बहुत कबाड़ा हुआ है। बताइए, जो कुछ संत-महंतों, पंडे-पुजारियों के लिए बांए हाथ का खेल था, उनसे नहीं कराने के चक्कर में देश का इतना सारा टैम बर्बाद कर दिया गया कि पूछो ही मत। अब पाकिस्तान ने कश्मीर का जो हिस्सा दबा रखा है यानी…
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यह हुई न विश्व गुरु वाली बात!

राजेंद्र शर्मा. व्यंग्य मोदी जी को ट्रम्प के शपथ ग्रहण का न्योता नहीं मिलने पर ताने मारने वाले अब बोलें, क्या कहेंगे? शपथ ग्रहण में नहीं थे, तब तो हर तरफ मोदी जी ही मोदी जी थे। ट्रम्प की चाल में मोदी, ट्रम्प की जुबान पर मोदी, ट्रम्प के हर काम में मोदी। यही तो होती है विश्व गुरु वाली बात।…
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सावित्री और फातिमा : एक अभिन्न जीवन

आलेख : सुभाषिणी अली, अनुवाद : संजय पराते सदियों से शक्तिशाली लोगों द्वारा राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऐतिहासिक घटनाओं और यहां तक कि ऐतिहासिक व्यक्तियों को मिटाने का काम किया जाता रहा है। यह कोई संयोग नहीं है कि प्रथम महान सम्राट अशोक को उनके जन्म के बाद लगभग दो…
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नमाज़ पर आखिर आपत्ति क्यों?

आज, ऐसा क्यों है कि मुसलमान प्रार्थना यानी नमाज़ का एक साधारण क्रियाकलाप कई लोगों को शिकायत और हिंसा के लिए उकसाता है और पुलिस को उनकी आपराधिक जवाबदेही तय करने के लिए प्रेरित करता है? हर्ष मंदर 2022 की शरद ऋतु में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, जिसका पुराना नाम इलाहाबाद है, स्थित एक सार्वजनिक…
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नॉन बायोलॉजीकल से बायोलॉजीकल भये, कर-कर लंबी बात

राजेंद्र शर्मा, व्यंग्य अब बोलें, जिन्हें मोदी जी के राज में विकास दिखाई ही नहीं देता है। यह उनकी आंखों में सिर्फ मोतियाबिंद उतर आने का मामला नहीं  है, हमें तो लगता है कि उनकी नजर ही जाती रही है। वर्ना मोदी जी ने तो ऐसी-ऐसी जगहों पर और ऐसा-ऐसा विकास कर दिया है, जिसकी अब तक किसी ने कल्पना भी…
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न रहूं किसी का दस्तनिगर : स्वतंत्रता संग्राम के नायक कैप्टन अब्बास अली और उनका प्रेरक समाजवादी…

कुर्बान अली कैप्टन अब्बास अली, स्वतंत्रता संग्राम के नायक, समाजवादी नेता और आज़ाद हिंद फौज के सिपाही थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी बहादुरी की मिसाल कायम की। उनकी आत्मकथा "न रहूँ किसी का दस्तनिगर" उनके अदम्य साहस और समाजवादी विचारधारा को दर्शाती है। उनकी 105वीं जयंती पर…
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शीश महल बनाम स्वर्ण महल

राजेंद्र शर्मा जिनके घर खुद शीशे के हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फैंकने चाहिए। यह पुरानी कहावत भी, ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी के हिसाब से बाकी तमाम चीजों की तरह, उन पर लागू नहीं होती है। वर्ना क्या यह संभव था कि प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली मेें अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत,…
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फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी : नेहरू युग के प्रतिनिधि फ़िल्मकार राज कपूर

जवरीमल्ल पारख स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के लगभग दो दशक (1947-64), जिसे नेहरू युग के नाम से पुकारा जाता है, नये सपनों के जगने और उसके मूर्तिमान होने की उम्मीदों के थे। रमेश सहगल के निर्देशन में बनी और राज कपूर के नायकत्व वाली फ़िल्म 'फिर सुबह होगी' का गीत "वो सुबह कभी तो आयेगी’’ उस दौर की…
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यह मुकेश की नहीं, बस्तर की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट है!

आलेख : बादल सरोज ‘सिर पर 15 फ्रैक्चर्स, लीवर के 4 टुकड़े, दिल फटा हुआ, 5 पसलियां, कॉलर बोन और गर्दन टूटी हुई, बांयी कलाई पर गहरा जख्म ; शरीर का एक भी हिस्सा ऐसा नहीं था, जिस पर चोट के निशान न हों।‘ यह बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में दर्ज किया गया ब्यौरा है।…
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कॉर्पोरेट बस्तर के सेप्टिक टैंक में दफ्न ‘लोकतंत्र’

संजय पराते यदि पत्रकारिता लोकतंत्र की जननी है या पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, तो यकीन मानिए, 3 जनवरी की रात वह बस्तर के बीजापुर में एक राज्य-पोषित ठेकेदार के सेप्टिक टैंक में दफ्न मिली। लोकतंत्र की इस मौत पर अब आप शोक सभाएं कर सकते हैं, श्रद्धांजलि दे सकते हैं। जी हां, हम…
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