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विचार

वैक्सीन : सीधे डील करें केंद्र

संपादकीय  धर्मपाल धनखड़ कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण की तीव्रता अब धीरे-धीरे कम हो रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, करीब तीन हफ्ते में संक्रमण की दर घट कर 39 फीसद तक कम हो गयी है। हालांकि, अब भी रोजाना 2.25 लाख नये संक्रमित मिल रहे हैं। लेकिन मौतों का आंकड़ा घटने की बजाय बढ़ रहा है। मई महीने…
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विकास की बलि चढ़ता पर्यावरण…

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष तकनीक औद्योगिक समाज और वर्तमान नौकरशाही ने पर्यावरण संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर दी है. उनमें से कई इतनी गंभीर है कि उन्होंने पृथ्वी पर जीव मात्र के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है ! उद्योग प्रधान देशों में तेजाबी वर्षा की विभीषिका ने वैज्ञानिकों और राजनेताओं को इन…
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प्रवाह के विरुद्ध

डा. अर्चना बहुगुणा, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, सोलन, हिमाचल प्रदेश प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा जी आज हमारे बीच नहीं हैं। कोविड-19 के चपेट में आने के बाद बीते 21 मई को 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वो हमेशा पर्यावरण प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगे।…
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महामारी पर राजनीति?

महामारी से निपटना केंद्र सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। यदि ऐसा करने में कुछ आर्थिक दिक्कत है तो कंपनियों से बात करके सरकार को केंद्र व राज्यों के लिए टीके का एक ही रेट तय करना चाहिए... धर्मपाल धनखड़ देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर चरम पर है। सरकारी आंकड़ों पर विश्वास करें तो संक्रमण…
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शव महोत्सव!

कोरोना काल चल रहा है। अवतार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों के तड़पने और मरने का सिलसिला थम नहीं रहा। सरकारी आंकड़ा ही मान लें तो लाखों लोग स्वर्ग सिधार चुके हैं। नासमझ लोग, इसके लिए चुने हुए अवतार की तरफ उंगली उठा रहे हैं। यह सरासर नाइंसाफी है.... वीरेंद्र सेंगर यह नया इंडिया है।…
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कोरोना: सरकार भी क्या करे        

जब कोरोना के खिलाफ रणनीति बनानी थी, तब सरकारों ने कुछ किया ही नहीं। अब जब पूरे देश में संक्रमण फैल गया है तो सरकारें भी तरह-तरह की कहानियां सुना रहीं हैं। अब आम आदमी को आगे आना होगा...  रणविजय सिंह बेकाबू होते कोरोना के सामने केंद्र के साथ ही अब राज्य सरकारें भी असहाय दिख रही हैं।  इस बीच…
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कोरोना काल में पत्रकारों पर संकट

महामारी के इस भयावह दौर ने हमे बहुत कुछ दिखा -सुना और समझने को मजबूर भी किया है ? वे चेहरे भी नग्न हो गए जिन्हें हमने इस देश की सत्ता इस आस के साथ सौपीं थी कि बुरे और मुशीबत के समय ये सरकारे जनता को राहत  के मरहम से सुकून देने का काम करेंगी? प्रदेश में भोलो-भाली ,निरीह जनता की मौत का ताण्डव अपनी…
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 कोरोना विस्फोट: जिम्मेदार कौन

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हमारी सरकार से अति आत्मविश्वास के चलते भारी चूक हुई है। शीर्ष नेतृत्व को अपनी गलती पर पर्दा डालने की बजाय आगे बढ़कर भूल को स्वीकार करते हुए लोगों की जान बचाने के लिए जो भी करना चाहिए वो शीघ अतिशीघ्र करना चाहिए। विपक्ष को भी महामारी के इस दौर में राजनीति करने की…
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आओ चलो पप्पू हो जाएं

हम जिस पप्पू की बात कर रहे हैं, उसका मौलिक नाम लेने की भी जरूरत नहीं हैं, क्योंकि हमें पता है कि ये काॅलम पढ़ने वाले इतने गधे नहीं हो सकते। पप्पू नामकरण करने वाले, गधे-घोड़े या खच्चर हों, तो मुझे हैरानी भी नहीं होगी। देश का समयकाल बड़े उलट फेर वाला है। पप्पू ही सच्चा साबित हो रहा है... वीरेंद्र सेंगर…
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