देहरादून। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारत की सबसे पुरानी और अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने वाली पार्टी का 8 और 9 अप्रैल 2025 को दो दिवसीय अधिवेशन गुजरात के अहमदाबाद में संपन्न हुआ। इस अवसर पर एआईसीसी सदस्य के रूप में अहमदाबाद अधिवेशन में प्रतिभाग करके लौटी उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि अधिवेशन कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण था, ना सिर्फ कांग्रेस के लिए बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य के लिहाज से यह एक नए अध्याय की शुरुआत है।
दसौनी ने कहा कि साबरमती के तट पर न सिर्फ कांग्रेस की नीतियों और आगामी रणनीतियों पर मंथन हुआ अपितु कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने के लिए कई प्रस्तावों पर मोहर लगी।दसौनी ने कहा कि देश की वर्तमान राजनीति का केंद्र बिंदु माने जाने वाले राज्य गुजरात में जहां एक और कांग्रेस ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई वहीं पार्टी को मजबूत करने की दिशा में भी व्यापक विमर्श हुआ।
गरिमा ने कहा कि गुजरात खास कर साबरमती का और कांग्रेस का रिश्ता बहुत पुराना है ,इसी पावन भूमि से महात्मा गांधी बापू ने साबरमती आश्रम से स्वतंत्रता संग्राम की रणभेरी भरी थी, गुजरात की उपजाऊ भूमि ने महात्मा गांधी बापू के साथ-साथ सरदार वल्लभभाई पटेल, दादा भाई नौरोजी जैसे गौरवशाली इतिहास पुरुष इस देश को देने का काम किया है।
दसोनी ने कहा कि इससे पूर्व में भी अहमदाबाद में 1902, 1921 और 1938 में कई महत्वपूर्ण अधिवेशन हो चुके हैं।
गरिमा ने बताया कि इस अधिवेशन का नारा था “न्यायपथ- संकल्प, समर्पण, संघर्ष”
यह नारा न केवल पार्टी के मूल्यों को दर्शाता है बल्कि सामाजिक न्याय ,समावेशी और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
दसौनी ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हुआ जब गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और कांग्रेस विपक्ष के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस दो दिवसीय अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य पार्टी को संरचनात्मक और वैचारिक रूप से सशक्त करना रहा। इसमें युवा और महिला नेताओं को अधिक से अधिक जिम्मेदारी देने पर जोर दिया गया। महंगाई बेरोजगारी और सामाजिक समानता जैसे मुद्दों पर जनता के बीच अपनी आवाज को और प्रभावी बनाने के लिए नीतिगत प्रस्ताव पारित किए गए। गरिमा ने बताया कि सम्मेलन का पहला दिन 8 अप्रैल को सरदार वल्लभभाई पटेल मेमोरियल में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से शुरू हुआ,जिसमें लगभग 169 नेताओं ने हिस्सा लिया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खिड़की ने अपने उद्घाटन भाषण में पार्टी के ऐतिहासिक भूमिका और वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला। 9 अप्रैल को दूसरे दिन पूर्ण अधिवेशन के रूप में आयोजित हुआ जिसमें कांग्रेस के सभी पदाधिकारी ,फ्रंटल संगठनों के प्रमुख और 1727 एआईसीसी सदस्य शामिल हुए। यह सत्र साबरमती रिवर फ्रंट पर आयोजित किया गया। एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव में पार्टी ने अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए मौजूदा आरक्षण की रक्षा और विस्तार पर जोर दिया इसके साथ ही महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को जनता तक ले जाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने का फैसला लिया गया। जिला अध्यक्षों की शक्तियां बढ़ाई गई। इस सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ाने का फैसला लिया गया, स्थानीय मुद्दों जैसे किसानो की समस्याएं, छोटे व्यापारियों की कठिनाइयों और युवाओं में बेरोजगारी को अपने अभियान का केंद्र बनाएगी। इसके साथ ही सोशल मीडिया और डिजिटल अभियानों के माध्यम से पार्टी अपनी पहुंच को और व्यापक करने की योजना बना रही है।गरिमा ने कहा कि यह अधिवेशन पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में सफल रहा ।यह न केवल एक राजनीतिक आयोजन था बल्कि यह पार्टी के लिए आत्म मंथन का अवसर भी था। गरिमा ने कहा कि एक बात निश्चित है कांग्रेस ने सम्मेलन के माध्यम से अपनी आवाज को और बुलंद करने का संकल्प लिया है।