कोलकाता। कालीघाट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास पर डॉक्टरों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के बीच प्रस्तावित बैठक आज शनिवार रात भी लगभग तीन घंटे इंतजार के बाद नहीं हो सकी। जूनियर डॉक्टरों के कई महत्वपूर्ण मांगों पर सहमति न बनने के कारण यह बैठक नहीं हुई।
बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत, स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। डॉक्टरों ने इस बैठक के दौरान मांग की कि उनकी बातचीत का वीडियो रिकॉर्डिंग किया जाए, ताकि इसे बाद में सार्वजनिक किया जा सके। ममता बनर्जी की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना इस तरह का वीडियो जारी करने से इनकार कर दिया गया।
बैठक के लिए करीब तीन घंटे इंतजार करने के बाद मुख्य सचिव मनोज पंत और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य मुख्यमंत्री के निवास से निकल गए। इंतजार करीब तीन घंटे तक चली, लेकिन डॉक्टरों की ओर से और समय की मांग के बावजूद, सरकार की ओर से और अधिक बातचीत करने से इनकार कर दिया गया।
डॉक्टरों की पांच मांगें
डॉक्टरों की मुख्य मांगों में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना की निष्पक्ष जांच, दोषियों को सजा, कोलकाता पुलिस के आयुक्त के इस्तीफे की मांग, और राज्य के मेडिकल संस्थानों में चिकित्सकों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल हैं। वे स्वास्थ्य क्षेत्र में एक लोकतांत्रिक माहौल की भी मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाहर बारिश में इंतजार कर रहे डॉक्टरों से अपील की कि वे बातचीत में भाग लें, और यहां तक कि अगर वे बैठक में हिस्सा न लें, तो कम से कम एक कप चाय पीकर जाएं। उन्होंने डॉक्टरों के लिए छाता और बैठने की व्यवस्था की भी जानकारी दी, ताकि वे बारिश में न भीगें और बीमार न हों। ममता ने कहा, “अगर तुम बैठक में हिस्सा नहीं लेना चाहते, तो कम से कम चाय पीकर जाओ।”
हालांकि, डॉक्टरों की ओर से मांग की गई कि उनके साथ एक वीडियोग्राफर को भी अनुमति दी जाए, ताकि बातचीत को रिकॉर्ड किया जा सके। इस मांग को भी सरकार की ओर से खारिज कर दिया गया।
इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने कालीघाट स्थित आवास पर मुख्य सचिव मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती और पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार के साथ बैठक का इंतजार कर रही थीं। डॉक्टरों के साथ वार्ता को लेकर काफी उत्सुकता थी, लेकिन दोनों पक्षों के बीच सहमति न बनने के कारण बैठक बेनतीजा रही।
डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास सदिच्छा है और वे बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को उनकी मांगों पर स्पष्ट रूप से निर्णय लेना चाहिए।