ग्लोबल साउथ के विरासत स्थलों के लिए यूनेस्को को 10 लाख डॉलर देगा भारतः प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ग्लोबल साउथ में विरासत स्थलों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र को दस लाख डॉलर के अनुदान की घोषणा की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शाम नई दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले भी उद्घाटन समारोह में शामिल रहीं। भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेज़बानी कर रहा है। यह बैठक 21 से 31 जुलाई तक आयोजित होगी।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूनेस्को को अनुदान की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र के लिए 1 मिलियन डॉलर (10 लाख) का योगदान देगा। इस अनुदान का उपयोग क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए किया जाएगा। अनुदान का उपयोग विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के लिए किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने अपने उदबोधन में एक-दूसरे की विरासत को आगे बढ़ाने, मानव कल्याण की भावना को विस्तार देने, अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए पर्यटन बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर बनाने के लिए विश्व से एक-दूसरे के साथ जुड़ने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आधुनिक युग में विकास के साथ विरासत को मिल रहे सम्मान को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत का विजन ही है- विकास भी और विरासत भी। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में भारत ने एक ओर आधुनिक विकास के नए आयाम छुए हैं, वहीं ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है। हमने विरासत के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास और भारतीय सभ्यता, ये सामान्य इतिहास बोध से कहीं ज्यादा प्राचीन और व्यापक हैं। भारत इतना प्राचीन है कि यहां वर्तमान का हर बिन्दु किसी न किसी गौरवशाली अतीत की गाथा कहता है। भारत की विरासत केवल एक इतिहास नहीं है, भारत की विरासत एक विज्ञान भी है। भारत की हेरिटेज में बेहतरीन इंजीनियरिंगकी एक गौरवशाली यात्रा के भी दर्शन होते हैं।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के ऐतिहासिक मोइदाम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के प्रस्ताव की सराहना की । उन्होंने कहा कि यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल और पूर्वोत्तर भारत की पहली धरोहर होगी, जिसे सांस्कृतिक विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है।

बीते वर्षों में हम भारत की 350 से ज्यादा प्राचीन धरोहरों को वापस लाए हैं। प्राचीन धरोहरों का वापस आना वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान के भाव को दिखाता है।

उल्लेखनीय है कि विश्व धरोहर समिति की बैठक साल में एक बार होती है और यह विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेने के लिए उत्तरदायी होती है। इस बैठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने के प्रस्ताव, 124 विद्यमान विश्व धरोहर संपत्तियों की संरक्षण रिपोर्ट की स्थिति, अंतर्राष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधियों के उपयोग आदि पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

भारत मंडपम में भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं। अपने उद्बोधन से पूर्व प्रधानमंत्री ने इनका अवलोकन किया।

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