लोस चुनाव : तीसरे चरण की तीन सीटें ऐसी, जहां से आज तक संसद नहीं पहुंची महिलाएं

लखनऊ। 18वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में ब्रज और रुहेलखंड की 10 सीटों पर सात मई को मतदान होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में संभल और मैनपुरी सीटों पर साइकिल दौड़ी थी, जबकि आठ सीटों पर कमल खिला था। इन सीटों में से तीन सीटें ऐसी हैं, जहां से आज तक कोई महिला सांसद बनकर संसद नहीं पहुंची हैं। बता दें, उप्र की 80 लोकसभा सीटों में से 34 ऐसी हैं, जहां से आज भी कोई महिला संसद की दहलीज तक नहीं पहुंच सकी है।

तीसरे चरण की दस सीटों में संभल, हाथरस (अ.जा.), आगरा (अ.जा), फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला और बरेली शामिल हैं।

आगरा (अ.जा), फिरोजाबाद और एटा संसदीय सीट से अब तक कोई महिला सांसद चुनकर संसद नहीं पहुंची हैं। कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों ने इन सीटों पर चुनाव लड़ाया भी लेकिन हार के बाद फिर साहस नहीं दिखा सके। 2019 के चुनाव में आगरा सीट से कांग्रेस ने प्रीता हरित को मैदान में उतारा था। ये चुनाव भाजपा के प्रो0 एसपी सिंह बघेल ने 646,875 (56.46%) जीता। कांग्रेस प्रत्याशी मात्र 45149 (3.94%) वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही। आगरा के अलावा कई दूसरी सीटों पर भी महिला प्रत्याशी मैदान में थी, लेकिन किसी को जीत नसीब नहीं हुई।

पश्चिमी उप्र की अहम संसदीय सीट आंवला तीसरे आम चुनाव 1967 में अस्तित्व में आई। पहले चुनाव में कांग्रेस की सावित्री श्याम नें यहां जीत दर्ज की। 1971 के चुनाव में दोबारा कांग्रेस की टिकट पर सावित्री श्याम यहां से विजयी होकर संसद पहुंची। इस जीत के बाद साढ़े तीन दशक बाद 2009 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी ने जीत का झंडा गाड़ा। मेनका गांधी की जीत के बाद अब तक कोई महिला प्रत्याशी यहां जीत नहीं सकी। 2014 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी सुनीता शाक्य मैदान में उतरी और तीसरे नंबर पर रही। वहीं, 2019 में बसपा की टिकट पर रुचिवीरा ने अपनी किस्मत आजमाई। रुचिवीरा दूसरे स्थान पर रही। 2009 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।

संभल संसदीय सीट 1977 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर हुए पहले चुनाव में भारतीय लोकदल (बीएलडी) उम्मीदवार शांति देवी ने कांग्रेस के जुगल किशोर को लगभग 1 लाख 33 हजार वोटों के बड़े अंतर से परास्त किया। 1980 के चुनाव में शांति देवी जनता पार्टी सेक्यूलर (जेएनपी-एस) की टिकट पर मैदान में उतरी। ये चुनाव कांग्रेस आई के प्रत्याशी बिजेंद्र पाल ने जीता। 1984 में शांति देवी ने कांग्रेस की टिकट पर यहां से जीत दर्ज की। इस जीत के बाद अब तक कोई महिला उम्मीदवार संभल से सांसद नहीं बनी।

झुमका नगरी बरेली अब तक हुए 17 आम चुनाव और एक उपचुनाव में दो बार महिला प्रत्याशी जीतने में सफल रही। 1981 में कराए गए उपचुनाव में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम अबीदा अहमद कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं और विजयी रहीं। आबिदा बेगम को इस सीट पर पहली महिला सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। 1984 के आम चुनाव आबिदा बेगम ने कांग्रेस आई की टिकट पर चुनाव लड़ा। आबिदा बेगम ने भाजपा के संतोष कुमार गंगवार को परास्त कर जीत दर्ज की। इस जीत के बाद अब तक बरेली से कोई महिला उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सकी।

हाथरस (अ0जा0), मैनपुरी, बदायूं और फतेहपुरसीकरी संसदीय सीट पर एक-एक बार महिला प्रत्याशियों को वोटरों ने विजय माला पहनाई। हाथरस सुरक्षित सीट पर 2009 के आम चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उम्मीदवार सारिका सिंह ने जीत हासिल की। इस चुनाव में भाजपा-रालोद का गठबंधन था। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई तो 2022 में यहां पर उपचुनाव कराया गया। जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) से डिंपल यादव ने भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को हराकर जीत दर्ज की। मैनपुरी संसदीय सीट के इतिहास में डिंपल यादव को पहली महिला सांसद बनने का गौरव हासिल है। 2019 के चुनाव में बदायूं सीट से भाजपा उम्मीदवार डॉ. संघप्रिया गौतम ने सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को हराकर पहली महिला सांसद बनने का श्रेय प्राप्त किया। फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट 2009 में अस्तित्व में आई। पहले चुनाव में बसपा प्रत्याशी सीमा उपाध्याय ने जीत हासिल की। इसके बाद अब तक कोई महिला सांसद यहां से जीत नहीं सकी।

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