नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज कराई गई एक शिकायत के संबंध में उन्हें शनिवार को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत पेशी से छूट की मंजूरी दे दी। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी शिकायत में कहा था आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में केजरीवाल, खुद को भेजे गए समन का पालन नहीं कर रहे हैं।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ने केजरीवाल को तब यह राहत दी जब आप नेता वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने दिन भर के लिए व्यक्तिगत पेशी से छूट का अनुरोध किया।
केजरीवाल ने अदालत को बताया कि दिल्ली विधानसभा का सत्र जारी है और ऐसे में वह अदालत के समक्ष पेश होने में असमर्थ हैं। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत को बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अगली तारीख पर प्रत्यक्ष तौर पर पेश होंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 16 मार्च निर्धारित की है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री जानबूझकर समन का पालन नहीं कर रहे हैं और ‘‘बेवजह के बहाने’’ बना रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि अगर उनके जैसा उच्च पदस्थ जन प्रतिनिधि कानून की अवहेलना करता है तो इससे आम आदमी के लिए एक गलत उदाहरण स्थापित होगा।
न्यायाधीश ने पूर्व में कहा था,‘‘ शिकायत के विषय और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से, प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174 के तहत अपराध बनता है और आरोपी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार है। आरोपी अरविंद केजरीवाल को आईपीसी की धारा 174 के तहत अपराध के मामले में 17 फरवरी 2024 को पेश होने के लिए समन जारी करें।’’ धारा 174 किसी लोक सेवक के आदेश का पालन नहीं करने से संबंधित है।
ईडी ने समन का पालन नहीं करने पर केजरीवाल के खिलाफ तीन फरवरी को एक नयी शिकायत दर्ज कराई थी। ‘आप’ संयोजक ने पहले ईडी को पत्र लिखकर उन्हें जारी किए गए समन को ‘‘अवैध और राजनीति से प्रेरित’’ बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि समन का उद्देश्य उन्हें चुनाव प्रचार करने से रोकना है।