नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की लंबित केंद्रीय निधि पर चर्चा करने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और बकाया राशि जारी करने की मांग की। मुख्यमंत्री के अनुसार, प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव दिया कि राज्य और केंद्र के अधिकारी एक साथ बैठकर मुद्दों को सुलझा सकते हैं।
बनर्जी ने पार्टी के नौ सांसदों के साथ संसद परिसर में प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि केंद्र की 155 टीम पहले ही पश्चिम बंगाल का दौरा कर चुकी हैं और केंद्र की ओर से उठाए गए मुद्दों पर राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है। राज्य को राशि जारी करने को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच खींचतान चल रही है।
तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर अक्टूबर में राष्ट्रीय राजधानी में अपने महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन भी किया था। भाजपा ने पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा के लिए जारी केंद्रीय निधि को हड़पने का आरोप लगाया है। राज्य की बकाया ‘मनरेगा’ राशि का जिक्र करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि संविधान के तहत श्रमिकों को भुगतान करना अनिवार्य है।
बनर्जी ने दावा किया, ‘‘हमें वर्ष 2022-23 के बजट में मनरेगा के तहत 100 दिनों के काम के लिए एक पैसा भी नहीं मिला। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए मिलने वाली धनराशि रोक दी गई है, ग्रामीण विकास योजनाएं बंद कर दी गई हैं और स्वास्थ्य अभियान कार्यक्रम भी बंद कर दिया गया है। हमें वित्त आयोग के तहत भी राशि नहीं मिल रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अधिकारियों ने सभी तरह के स्पष्टीकरण दे दिए हैं जिनकी केंद्र ने मांग की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि केंद्र और राज्य के अधिकारियों के बीच एक संयुक्त बैठक होगी। मैंने बताया कि हमने 155 बार स्पष्टीकरण दिया है। हम एक बार फिर ऐसा कर सकते हैं, वे कोई फॉर्मूला तय कर सकते हैं। संघीय ढांचे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की हिस्सेदारी होती है।’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘गरीब लोगों के लिए दी जाने वाली राशि को रोक देना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं और पिछले वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के लंबित दावों के तहत राज्य की केंद्र के पास 1.16 लाख करोड़ रुपये की राशि बकाया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, मनरेगा की करीब 6,911 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित 11,01,731 आवासों के लिए केंद्र के हिस्से की राशि को भी जारी नहीं किया गया है।
बनर्जी ने एक अन्य ‘‘परेशान करने वाले घटनाक्रम’’ को भी रेखांकित किया, जिसके तहत कई केंद्रीय मंत्रालयों ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत धन प्राप्त करने के वास्ते इमारतों के लिए ‘‘एकतरफा रूप से तय किए गए नाम, लोगो और रंग’’ का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जो ‘लोगो’ लगाया जा रहा है वह भारत सरकार के ‘लोगो’ के बजाय केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रतीक से अधिक मिलता जुलता है।