मतदान के टूटे सारे रिकॉर्ड , सातों सीटों पर 85.85 फीसदी हुई वोटिंग

छिंदवाड़ा । लोकतंत्र के महापर्व में छिंदवाड़ा (Chhindwara) के मतदाताओं ने इस विधानसभा चुनाव में अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। 85.85 फीसदी वोटिंग करते हुए प्रदेश में छिंदवाड़ा का परचम लहराया है। सबसे ज्यादा रिकॉर्ड वोटिंग अमरवाड़ा विधानसभा ( Amarwada Assembly) में हुई। यहां पर 88.63 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। पहली बार महिला मतदाताओं (Women voters) के वोट प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई है। 85.07 फीसदी महिलाओं ने बूथ में पहुंचकर वोट डाले। महिला वोट परसेंटेज बढ़ने से राजनीतिक पंडितों का भी चुनावी गणित गड़बड़ा गया है।शुक्रवार को हुई चुनाव प्रक्रिया में पहली बार ऐसा हुआ जब रात 12 बजे तक भी ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रक्रिया जारी थी। इसका असर ये रहा कि अधिकारी भी देर रात तक ये बताने में असमर्थ थे कि इस बार का वोट परसेंटेज कितना हुआ है। मतदान दल सुबह 4 बजे तक वापस लौटा।

कलेक्टर मनोज पुष्प और एसपी विनायक वर्मा ने देर रात तक स्ट्रांग रूम में मौजूद रहकर मतदान सामग्री वापस ली। शनिवार सुबह तक चली चुनावी प्रक्रिया ( Electoral Process) के बाद प्रशासन ने 2018 की तुलना में एक फीसदी ज्यादा वोट का रिकॉर्ड दर्ज किया है। कर्मचारियों के वोट जुड़ने के बाद ये आंकड़ा 86 फीसदी से ज्यादा जा सकता है। आदिवासी क्षेत्र अमरवाड़ा में मतदाताओं ने गजब का उत्साह दिखाया। पांढुर्ना और छिंदवाड़ा जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोटिंग अमरवाड़ा में दर्ज की गई है।

पिछली बार की तुलना में 1.36 फीसदी बढ़ी महिलाओं की वोटिंग
महिला वोटर इस चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के फोकस में रहे। वोटिंग भी पिछले चुनाव 2018 की तुलना में इस बार 1.36 फीसदी ज्यादा रही। पिछली बार 7 लाख 24 हजार 45 महिला मतदाताओं में से 6 लाख 6 हजार 151 महिलाओं ने मतों का प्रयोग किया था। जबकि इस बार 8 लाख 628 महिला वोटरों में 6 लाख 81 हजार 100 ने अपने मतों का प्रयोग किया है। 2018 में 72.47 फीसदी तो अबकी बार 85.07 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया।
छिंदवाड़ा. 85.83 प्रतिशत
जिले में अब तक हुए चुनाव में मतदान का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। खासबात यह कि पुरूषों से लगभग बराबरी की कतार महिलाओं की रही । सातों सीटों पर 86.58 प्रतिशत पुरूष मतदाताओं ने वोट डाले हैं, जबकि मताधिकार का प्रयोग करने महिलाएं भी उनके बराबरी से खड़ी रहीं, 85.07 प्रतिशत महिलाओं ने अपने वोट डाले हैं। यानी पुरूषों से तुलना में महज 1.51 फीसदी ही महिलाओं के वोट पड़े हैं। चुनाव भर भाजपा लाडली बहनों के भरोसे रही। वहीं कांग्रेस अपनी नारी सम्मान योजना और सस्ते गैस सिलेंडर के जरिए महिला वोटरों को आकर्षित करते नजर आई। लगभग बराबरी से वोट करने वाली बहनों का रुख किस ओर रहा इसको लेकर आंकलन शुरू हो गए हैं।
पांढुर्ना : वोटिंग परसेंट स्थिर रहा तो भाजपा, बढ़ा तो कांग्रेस के खाते में गया
पांढुर्ना विधानसभा में वर्ष 1993 में 61.85 प्रतिशत वोट पड़े थे, कांग्रेस के चंद्रशेखर सांबरतोड़े चुने गए थे। 1998 में वोट परसेंट घटकर 54 प्रतिशत पर आ गया, तब भी कांग्रेस के सुरेश झलके विजयी रहे। वर्ष 2003 में बदलाव ।की लहर के साथ 73.13 प्रतिशत मतदान हुआ। जिसमें भाजपा के मारोतराव ।खवसे विधायक बने थे। 2008 में 73.72 प्रतिशत वोटिंग हुई। फिर भाजपा । के रामराव कवड़ेती विधायक चुने गए। वर्ष 2013 में वोटिंग प्रतिशत बढ़कर ।81.19 प्रतिशत तक पहुंचा। इस चुनाव में बाजी पलटी और कांग्रेस के जतन उइके विधायक चुने गए। वर्ष 2018 के चुनाव में 84 प्रतिशत वोट पड़े, फायदा कांग्रेस को ही हुआ और निलेश उइके विधायक चुने गए थे।
सौंसर: 2003 से 13 तक वोट बढ़ने का भाजपा को फायदा मिला
विधानसभा में वर्ष 1993 के चुनाव में 64.37 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। दो प्रतिशत के लगभग वोट बढ़ने का फायदा कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस के विटठल महाले विधायक चुने गए थे। 1998 में फिर वोटिंग 64.45 प्रतिशत रही जिसका फायदा कांग्रेस को मिला अजय चौरे विधायक बने। 2003 में परिवर्तन की लहर के साथ वोटिंग परसेंटेज 75.25 प्रतिशत रहा। भाजपा के नानाभाऊ मोहोड़ विधायक चुने गए। 2008 में 76.66 प्रतिशत मतदान हुआ, सीट फिर भाजपा के खाते में गई। 2013 के चुनाव में 84.20 वोटिंग परसेंट में भी भाजपा को ही फायदा मिला और नाना भाऊ तीसरी बार विधायक चुने गए। वर्ष 2018 के चुनाव में 3 फीसदी के इजाफे के साथ वोटिंग 87.44 प्रतिशत रही। जिसका फायदा विजय चौरे की जीत के साथ कांग्रेस को मिला।

चौरई: पिछले चार चुनावों से रिपीट नहीं हुई भाजपा-कांग्रेस

जिले की बाकी विधानसभा सीटों से चौरई का मिजाज वर्ष 2003 से अलग रहा। वर्ष 1993 और 1998 में यहां लगातार दो बार कांग्रेस के विधायक चुने गए। वर्ष 2003 में परिवर्तन की लहर के साथ हुई 78.98 फीसदी वोटिंग भाजपा के पं रमेश दुबे विधायक बने। 2008 में वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 81.29 फीसदी तक पहुंचा। फायदा कांग्रेस को हुआ। चौधरी मेरसिंह विधायक चुने गए थे। 2013 में पिछली बार की तुलना में दो फीसदी से ज्यादा वोट पड़े, जिसका फायदा भाजपा को मिला। वर्ष 2018 में फिर 2 फीसदी से ज्यादा वोटिंग बढ़ी। कांग्रेस के चौधरी सुजीत सिंह विधायक चुने गए।
परासिया: वोटिंग घटे या बढ़े मुकाबला नजदीकी होते आ रहा
विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1998 के चुनाव में 57.50 प्रतिशत वोट पड़े थे। कांग्रेस के लीलाधर पुरिया विधायक चुने गए थे। वर्ष 2003 की लहर के साथ वोटिंग प्रतिशत 71.05 प्रतिशत तक पहुंचा। जिसका फायदा भाजपा को हुआ। भाजपा के ताराचंद बावरिया विधायक बने। 2008 में 75.20 फीसदी वोटिंग हुई। फायदा बीजेपी को ही हुआ। वर्ष 2013 में वोटिंग 6 फीसदी ज्यादा हुई। 81.16 प्रतिशत वोटिंग का फायदा कांग्रेस को हुआ । सोहन वाल्मिक विधायक बने। वर्ष 2018 में कुल मतदान 1 फीसदी के करीब घटा, फायदा कांग्रेस को ही मिला। यहां वर्ष 2008 से सबसे कम वोटों से जीत-हार का सिलसिला चला आ रहा।
जुन्नारदेव: वोटिंग बढ़ने से होते रहे बदलाव
वर्ष 1993 और 1998 में कांग्रेस के तेजीलाल सरेयाम विधायक चुने गए। 2003 की परिवर्तन की लहर में 20 फीसदी वोटिंग बढ़ी। 71.07 प्रतिशत वोटिंग का फायदा भाजपा को रामदास उइके की जीत के रूप में दिखा। वर्ष 2008 में वोटिंग प्रतिशत स्थिर रहा। 71 प्रतिशत वोट डाले गए। जबकि कांग्रेस के तेजीलाल विधायक चुने गए। 2013 में 7 फीसदी वोटिंग बढ़ी जिसका फायदा भाजपा को हुआ। भाजपा के नत्थनशाह कवरेती विधायक चुने गए। 2018 में वोटिंग परसेंटेज 83.26 प्रतिशत तक पहुंच गया। जो कांग्रेस के ।पक्ष में रहा। सुनील उड़के विधायक चुने गए थे।
अमरवाड़ा: त्रिकोणीय मुकाबले में बंटते रहे वोट
वर्ष 1993 और 1998 में क्रमशः 42 और 54 फीसदी वोटिंग का फायदा कांग्रेस को मिला। दोनों बार कांग्रेस के प्रेमनारायण ठाकुर विधायक चुने गए। वर्ष 2003 में परिवर्तन की लहर में वोटिंग परसेंटेज बढ़कर 71.80 प्रतिशत तक पहुंच गया। मुकाबला त्रिकोणीय था। फायदा गोंडवाना पार्टी को मिला। गोंडवाना के मनमोहनशाह बट्टी विधायक चुने गए थे। 2008 में 3 प्रतिशत के लगभग वोट बढ़े त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के प्रेमनारायण ठाकुर विधायक चुने गए थे। वर्ष 2013 में 83 प्रतिशत वोटिंग का फायदा कांग्रेस को मिला। कमलेशा शाह विधायक बने। 2018 के चुनाव में 87 प्रतिशत मतदान का फायदा भी कांग्रेस के खाते में गया। चार चुनावों से यहां त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति रही।
छिंदवाड़ाः 2008 के पहले और बाद के चुनाव में बड़े अंतर से जीत-हार
विधानसभा में वर्ष 2008 का चुनाव में 7 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था। बावजूद इसके कांग्रेस महज 34 सौ वोट से जीत पाई थी। वर्ष 1990 से वर्ष 2018 तक भाजपा के चौधरी चंद्रभान सिंह और कांग्रेस के दीपक सक्सेना की बारी-बारी से यह परंपरागत सीट रही है। वर्ष 2019 के उपचुनाव में यहां कांग्रेस से कमलनाथ और भाजपा के विवेक बंटी साहू आमने सामने थे। 79.22 फीसदी वोटिंग हुई थी। जिसमें कमलनाथ 25837 वोटों के अंतर से विजयी हुए थे। इस बार फिर दोनों चेहरे आमने सामने हैं। 2019 की तुलना में वोटिंग प्रतिशत 2.55 प्रतिशत बढ़ा है। कुल 81.77 फीसदी वोटिंग हुई है। भाजपा को लाडली बहना और अन्य योजनाओं के लाभार्थियों का कान्फिडेंस है, तो कांग्रेस को कमलनाथ के दिए वचनों के साथ उनके सीएम फेस पर भरोसा है।
छिंदवाड़ा जिले में कहां कितने पुरुषों ने किया मतदान
विधानसभा  मतदाता     मतदान     प्रतिशत
जुन्नारदेव     111454        96275     86.38
अमरवाड़ा    127690     114441       89.62
चौरई       111030       98708        88.90
सौंसर       107826       95278       88.36
छिंदवाड़ा    140943       116442     82.62
परासिया   109676       92577       84.41
पांढुर्ना      109103       94271       86.41
कहां कितनी महिलाओं ने किया मतदान
विधानसभा   मतदाता  मतदान        प्रतिशत
जुन्नारदेव     109922      93549        85.10
अमरवाड़ा    126877      111174       87.62
चौरई        106734      92605         86.76
सौंसर       102262      88810         86.85
छिंदवाड़ा    141393      114417        80.92
परासिया    108492       90283        83.22
पांढुर्ना     104948       90262        86.01
 सातों सीटों पर 9 थर्ड जेंडर मतदाताओं ने भी मतदान किया।

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