चंडीगढ़। जननायक जनता पार्टी ( JJP) राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly elections) में अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर आश्वस्त है। हरियाणा का यह दल अपने गृह क्षेत्र से बाहर पहली बार 20 सीट पर चुनाव लड़ रहा है। पार्टी के मुखिया अजय सिंह चौटाला जब इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में थे तब वह राजस्थान से दो बार विधायक निर्वाचित हुए थे।
वर्ष 2018 में इनेलो में विभाजन के बाद जजपा का गठन हुआ था। जजपा राजस्थान चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपने नेता अजय सिंह चौटाला के अनुभव और मार्गदर्शन पर निर्भर है। पार्टी पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करती है। देवीलाल 1989 में सीकर से सांसद थे।
पार्टी जिन 20 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है उनमें से तीन सीकर संसदीय क्षेत्र में हैं। हरियाणा में जजपा भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी पार्टी है और वह राजस्थान विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ना चाहती थी, लेकिन इसमें भाजपा के रुचि नहीं दिखाने के बाद उसने अकेले के दम पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया। हरियाणा में हाल के महीनों में भाजपा और जजपा में मतभेद के संकेत मिल रहे हैं।
भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा, विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने की भी बात की है और एक वर्ग जजपा से नाता तोड़ने के पक्ष में है। दोनों दलों ने 2024 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है। जजपा के महासचिव दिग्विजय चौटाला ने पार्टी के चुनाव चिह्न ‘चाबी’ का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों की राजस्थान विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका रहेगी। जजपा की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, ‘‘ हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे।’’
दिग्विजय चौटाला ने कहा, ‘‘ सभी क्षेत्रीय दलों को साथ आना होगा और परिणाम आने के बाद किसी प्रकार का गठबंधन करना होगा, हाथ मिलाना होगा।’’ दिग्विजय चौटाला, हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ( Deputy Chief Minister Dushyant Chautala) और अजय सिंह चौटाला दांता रामगढ़ और फतेहपुर सहित विभिन्न सीट के लिए चुनाव मैदान में उतरे पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वहां के लोग जजपा द्वारा हरियाणा में किये गये कार्यों से वाकिफ हैं। इनमें किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाना, ग्रामीण क्षेत्रों में ई-लाइब्रेरी खोलना और विमानन तथा अन्य क्षेत्रों में उठाए गए कदम शामिल हैं।
सत्ता में भागीदारी होने की सूरत में क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका को रेखांकित करते हुए दिग्विजय चौटाला ने कहा, ‘‘राजस्थान को देखें, खासकर दूरदराज के इलाकों में, शिक्षा, चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचा और सड़कें खराब हालत में हैं। बड़े दल जीतते हैं, लेकिन उनका ध्यान बड़े शहरों और कस्बों तक सीमित रहता है। जीत के बाद ये क्षेत्र उपेक्षित रह जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर क्षेत्रीय दल वहां होंगे तो वे निश्चित तौर पर उन क्षेत्रों को मजबूत करेंगे और विकास करेंगे।