मणिपुर की घटना के विरोध में मानव श्रृंखला, कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने भी की भागीदारी 

देहरादून । मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र करने और वहां की लगातार बिगड़ती जा रही स्थितियों और हिंसक घटनाओं पर केन्द्र सरकार की चुप्पी के खिलाफ रविवार को देहरादून में जन संगठनों की ओर से मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। 500 से ज्यादा लोग मानव श्रृंखला का हिस्सा बने। बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता धूम सिंह नेगी, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा, नगर काज़ी . पूर्व मुख्य सचिव एस.के. दास, पूर्व अपर मुख्य सचिव विभा पुरी, पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती, पूर्व शिक्षा निदेशक नन्द नन्दन पांडेय, महिला मंच की कमला पंत आदि खास तौर से मानव श्रृंखला में शामिल हुए।

देहरादून और राज्यभर के दो दर्जन से ज्यादा जन संगठनों से जुड़े लोग सुबह गांधी पार्क के गेट के बाहर जमा हुए। यहां मणिपुर को लेकर हाल में रची गई कविताओं और जन गीतों के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद राजपुर रोड पर गांधी पार्क से घंटाघर और घंटाघर से वापस एस्लेहॉल तक मानव श्रृंखला बनाई गई। इस दौरान लोग लगातार मणिपुर की घटनाओं के खिलाफ नारे लगा रहे थे। मणिपुर की एन. बीरेन सिंह की सरकार को बर्खास्त करने के साथ ही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी।

मानव श्रृंखला के दौरान पूरी तरह से शांति व्यवस्था बनी रही। हालांकि राजपुर रोड और घंटाघर चौक पर कुछ देर के लिए ट्रैफिक बाधित हुआ। लेकिन बड़ी संख्या में तैनात पुलिस ने ट्रैफिक को दूसरे रास्तों से निकाल दिया। मानव श्रृंखला बनाने के बाद लोग एक बार फिर गांधी पार्क में जमा हुए। यहां एक प्रस्ताव पढ़कर सुनाया गया और इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। उत्तराखंड इंसानियत मंच और उत्तराखंड महिला मंच ने जल्दी ही सभी संगठनों के साथ संयुक्त रूप से आंदोलन के अगले चरण की रणनीति बनाने की बात कही।

प्रस्ताव में कहा गया कि मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करने की घटना क्रूरता की सीमा को पार करने वाली घटना है। यह मानव मूल्यों में तेजी से आई गिरावट का नतीजा है। यह महिला सम्मान और बेटी बचाओ के खोखले नारों का भी उपहास है। वह वीभत्स घटना 4 मई को हुई थी। इस बारे में पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज थी। इतनी बड़ी घटना हुई है तो ऐसा नहीं हो सकता कि पुलिस ने ऊपर के अधिकारियों को सूचना नहीं दी होगी। अधिकारियों ने यह सूचना सरकार तक भी पहुंचाई होगी। यानी कि दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को यह जानकारी थी, इसके बाद भी 18 जुलाई को वीडियो वायरल होने के बाद ही कहीं जाकर कुछ गिरफ्तारियां की गई। प्रस्ताव के अनुसार मणिपुर से आने वाली खबरें साफ बता रही हैं कि इस मामले में भी लीपापोती की जा रही है।

भीड़ में नजर आ रहे दोषी एक-एक व्यक्ति की पहचान कर उन्हें सलाखों की पीछे पहुंचाने और उन्हें कठोरतम दंड दिया जाने की प्रस्ताव में मांग की गई। इसके साथ ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे की भी मांग की गई। राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया कि यदि बीरेन सिंह इस्तीफा नहीं देते तो उनकी सरकार को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।

मानव श्रृंखला के आयोजन में मुख्य रूप से उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड इंसानियत मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति. जनवादी महिला समिति, एनएपीएसआर , मसीह समाज , स्त्री मुक्ति लीग, उत्तराखंड जनजाति कल्याण समिति, रंग कल्याण संस्था, जोहार क्लब, नुमाइंदा ग्रुप ऑफ उत्तराखंड, भारत की नौजवान सभा, चेतना आंदोलन, सर्वोदय मंडल, सीटू, , जन संवाद समिति, सिख वेलफेयर सोसायटी, विकल्प, उत्तराखंड अगेंस्ट करप्शन, संवेदना, उत्तराखंड पीपुल्स फोरम आदि ने हिस्सा लिया। राजनीतिक दलों की ओर से सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल के प्रतिनिधियों ने भी मानव श्रृंखला में हिस्सा लिया।

जो प्रमुख लोग मानव श्रृंखला का हिस्सा बने उनमें गीता गैरोला, निर्मला बिष्ट, उमा भट्ट, राजीव नयन बहुगुणा, अरण्य रंजन समून, समर भंडारी, विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, नितिन मलेठा, हिमांशु चौहान, त्रिलोचन भट्ट, गंगाधर नौटियाल, शंकर गोपाल, गिरधर पंडित, आरिफ खान, रजिया बेग, पद्मा गुप्ता, नसीमा . एडवोकेट जितेन्द्र, लेखराज, राजेश पाल, जयकृत कंडवाल, सतीश धौलाखंडी, स्वाति नेगी, ,उषा भट्ट आदि शामिल थे।

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