देहरादून। मंत्रिमंडल ने पटेल नगर स्थित पुराने कार्यालय भवन के स्थान पर डेवलपमेंट आफ बिजनेस होटल बनाने का निर्णय लिया है। पीपीपी मोड में उक्त योजना संचालन की अवधि 6 वर्ष निर्धारित की गयी तथा यदि सम्बन्धित फर्म द्वारा संतोषजनक संचालन किया जाता है, तो 3 वर्ष की अवधि को पुन: संशोधित शुल्क के अनुसार नवीनीकृत किया जा सकेगा। सरकार को 6 वर्ष संचालन अवधि से कुल 247.06 करोड़ की आय होगी, जबकि उक्त भवन में संचालित कार्यालय से वर्तमान तक कोई आय प्राप्त नहीं हुई है। सरकार का कहना है कि उक्त योजना से रोजगार का सृजन भी प्राप्त होगा।
इसके साथ ही जार्ज एवरेस्ट इस्टेट मसूरी में ऐरोस्पोर्टस गतिविधियां संचालन भी शुरू होंगी। कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति दे दी है। ऐरो स्पोर्ट्स गतिविधियाँ संचालन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 1 वर्ष के लिये किया जा रहा है, जिसमें हिमालय दर्शन योजना संचालित की जा रही है। उक्त ऐरो स्पोर्ट्स गतिविधियों का नियमित संचालन किया जाना है। ऐरोस्पोर्ट गतिविधियां संचालन की अवधि 15 वर्ष तथा यदि सम्बन्धित फर्म द्वारा संतोषजनक संचालन किया जाता है, तो 15 वर्ष की अवधि को पूर्व में निर्धारित शर्तों एवं संशोधित वार्षिक शुल्क के अनुसार किये जाने की अनुमति दी जाएगी। सरकार का दावा हैै कि इससे 6.14 करोड़ की आय होगी। इसके साथ ही उत्तराखण्ड भूसम्पदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के वार्षिक प्रतिवेदन, 211—2 एवं 220—21 को विधान सभा में सदन के पटल पर रखे जाने का निर्णय भी कैबिनेट ने लिया है। कैनिनेट ने उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम, 203 की धारा—181 के अन्तर्गत अधिसूचित किये गये विनियमों के साथ ही पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2019-2 एवं 2020-21 के वार्षिक लेखे प्रतिवेदन को विधानसभा पटल पर प्रस्तुत करने का निर्णय भी लिया है।
प्रवर्तन दलों को दुपहिया वाहनों का चालान करने की पावर
उत्तराखण्ड मोटरयान नियमावली, 2011 के नियम 2029 (1) में कैबिनेट ने संशोधन कर दिया। यातायात दबाव एवं सड़क सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशीलता के दृष्टिगत दुपहिया वाहन आधारित प्रवर्तन दलों, जिसमें वरिष्ठ प्रवर्तन पर्यवेक्षकों एवं प्रवर्तन सिपाहियों की तैनाती की गई है। उन्हें अब चालान करने का अधिकार दिया गया है।
विकास विभाग में पदों की संख्या बढ़ायी
कैबिनेट ने नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में सृजित कुल 131 पदों को बढ़ा दिया है। वर्तमान में विभाग में नगर नियोजकों की अतिअल्पता के साथ—साथ नियोजन एवं तकनीकी विषयों में दक्ष कार्मिक भी उपलब्ध नहीं है। कैबिनेट ने मुख्य नगर नियोजक, वरिष्ठ नियोजक, नगर नियोजक वास्तुविद वास्तुविद् राहायक नगर नियोजक एवं मुख्य मानचित्रकार मानचित्रकार के कुल 9८ पदों के सापेक्ष 59 पदों को पुनर्गठित होने वाले ढांचे में स्थानान्तरित कर सम्मिलित करते हुए तथा 9८ पूर्व प्रस्तावित नवीन पदों के सापेक्ष 6५ नवीन पदों का सृजन करते हुए कुल 2६ सीधी भर्ती पदोन्नति एवं 24 आउटसोर्स पदों सहित कुल 245 पदों का सृजन करते हुये विभागीय ढांचे का पुनर्गठन किये जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। अब पुनर्गठित ढांचे में कुल 23 पदों के सृजन के प्रस्तावानुसार मुख्यालय स्तर पर कुल 124 पद एवं जिला स्तरीय इकाई स्तर पर 1६ पद रखे जाएंगे। इन पदों को प्रतिनियुक्ति, सेवानिवृत्ति के उपरान्त पुनर्नियुक्ति व आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से भरा जाएगा।
पंचायतों के सात पद ऊधमसिंहनगर स्थानान्तरित
कैबिनेट ने पंचायतीराज विभाग की संरचना में न्याय पंचायतों की अवस्थिति के बाद सात ग्राम विकास अधिकारी के पद ऊधमसिंहनगर को आवंटिक करने का निर्णय लिया है। ऊधमसिंहनगर में 37६ ग्राम पंचायतें है, तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के स्वीकृत 27 पदों के सापेक्ष एक ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पास लगभग 14 ग्राम पंचायतें हैं। ये सात पद पंचायतों के पालिकाआें में शामिल होने के बाद बढ़ गये थे।
राष्ट्रीय बचत विभाग के कार्य जिलाधिकारी कार्यालयों में हस्तांतरित करने के बाद विभाग में कार्यरत मिनिस्ट्रियल संवर्ग, आशुलिपिक संवर्ग, वाहन चालकों तथा अनुसेवक संवर्ग के कार्मिकों को सम्बन्धित जिलाधिकारी कार्यालय में भेजने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही सांख्यिकीय संवर्ग के कार्मिकों को अर्थ एवं संख्या विभाग में समायोजित किया जाएगा। सरकार के अधिशिष्ट कर्मचारियों की समायोजन नियमावली, 2१1 प्रख्यापित की गयी, जिसमें प्राविधान किया गया कि उक्त नियमावली लोक सेवा आयोग के क्षेत्रान्तर्गत पदों के सिवाय अन्य पदों पर लागू होगी। उक्त नियमावली से सहायक निदेशक के 02 पद तथा एवं जिला बचत अधिकारी के 03 पदों का निम्नवत सारणीनुसार अंकित विभागों में समायोजन करने हेतु अनुमोदन प्राप्त किया जाना प्रस्तावित है।
12 उत्तराखण्ड कोषागार अधीनस्थ संवर्ग सेवा (संशोधन) नियमावली 223 के प्रस्ताव के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। उत्तराखण्ड कोषागार अधीनस्थ संवर्ग सेवा नियमावली, 203 में प्रथम संशोधन करते हुए उत्तराखण्ड कोषागार, पेंशन एवं हकदारी अधीनस्थ संवर्ग सेवा नियमावली, 215 प्रख्यापित की गयी। उक्त नियमावली में राज्य के कोषागारों में नियुक्त ध् तैनात होने वाले सहायक लेखाकार एवं लेखाकार के नियुक्ति प्राधिकारी पूर्व नियमावली, 203 के अनुसार सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी ही रहे, किन्तु कोषागार, पेंशन एवं हकदारी निदेशालय में तैनात होने वाले सहायक लेखाकार एवं लेखाकार के नियुक्ति प्राधिकारी निदेशक, कोषगार पेंशन एवं हकदारी हो गये, जिसके कारण कोषागार अधीनस्थ संवर्ग का ढांचा जनपद व मुख्यालय दो स्तरों में उक्त वर्णित नियमावली, 215 के द्वारा विभक्त हो गया। उक्त नियमावली में राज्य के कोषागार के ढांचे के अनुसार लेखाकार से सहायक कोषाधिकारी व उपकोषाधिकारी के पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था विद्यमान है, परन्तु मुख्यालय स्तर के ढाँचे के अनुसार सहायक कोषाधिकारी से उपकोषाधिकारी के पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था नहीं है। उक्त के अभाव में मुख्यालय स्तर पर उपकोषाधिकारी के पद सृजित होने के उपरान्त भी पात्र सहायक कोषाधिकारियों की इन पदों पर पदोन्नतियां सम्भव नहीं हो पा रही हैं, जिसके कारण उक्त नियमावली में संशोधन किया जाना अपेक्षित है। इसी के ष्टिगत प्रस्तावित संशोधन में सहायक कोषाधिकारी के पद पर मौलिक रूप से पदोन्नति के आधार पर संयुक्त ज्येष्ठता सूची तैयार किया जाना प्रस्तावित है, जिससे एकीत संवर्ग के रूप सहायक कोषाधिकारी से अग्रेत्तर पदोन्नति की व्यवस्था हो सकें।
13- वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 223—24 लागू किए जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। जीएसटीलागू होने के उपरान्त निरसित अधिनियमों यथा मूल्य वर्धित कर अधिनियमध्प्रवेश कर अधिनियम इत्यादि के अन्तर्गत सृजित बकाया पर देय ब्याजध्अर्थदण्ड की माफी हेतु वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 2२३-24 लागू किए जाने के संबंध में ’वन टाईम सेटलमैन्ट स्कीम, 2२३—24 मा मंत्रिमण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत किया गया। इस योजना के अन्तर्गत ऐसे बकायेदार जो मूल बकाया की राशि जमा करना चाहते हैं परन्तु अर्थदण्ड व ब्याज की अत्यधिक देनदारी के कारण उक्त मूल धनराशि को जमा नहीं कर पाते हैं, को ऐसी बकाया जमा करने का अवसर प्रदान किये जाने के उद्देश्य से बकाया पर देय ब्याज ध् अर्थदण्ड की शत-प्रतिशत की माफी हेतु ’वन टाईम सेटलमेंट स्कीम 2२३—24’ जारी की गयी है। यह योजना 01 जुलाई, 223 से 3 सितम्बर, 223 तक प्रभावी रहेगी। उक्त योजना को अग्रेत्तर 03 माह बढ$ाये जाने का अधिकार सचिव वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन को दिया गया है। इस योजना के द्वारा न्यायालय वाद-विवाद ( सपजपहंजपवद) कम किया जा सकेगा, विभागीय प्राधिकारियों द्वारा जीएसटी संबंधी विविध कार्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना सम्भव होगा तथा ब्याज एवं अर्थदण्ड की माफी का लाभ प्राप्त करने हेतु व्यापारी मूल धनराशि जमा करने के लिए प्रेरित होंगे जिससे राजस्व में वृद्धि होगी।
14- राज्य में कैश फ्लो के कुशल प्रबन्धन, ऋण प्रबन्धन एवं वित्तीय प्रबन्धन के विशेषीत कार्य हेतु बजट राजकोषीय नियोजन एवं संसाधन निदेशालय, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत गठित हेतु पदों के सृजन के सम्बन्ध में। राज्य सरकार अपनी बजट प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए खुले बाजार से भारी उधार लेती है प्रत्येक दीर्घकालिक और अल्पकालिक उधार के परिणाम स्वरूप राज्य के ऊपर आने वाला व्याज दायित्व राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अत: राज्य में कैश फ्लो के कुशल प्रबन्धन ऋण प्रबन्धन व वित्तीय प्रबन्धन के विशिष्ट कार्य हेतु विशिष्ट अनुभव रखने वाले कार्मिकों, जो आरबीआई बैंकिंग सेक्टर आदि का अनुभव रखते हों, की तैनाती राज्य के वित्त विभाग में किये जाने हेतु ऋण व नकद प्रबन्धन प्रकोष्ठ का पुनर्गठन किए जाने के उद्देश्य से 1१ अस्थायी पदों का सृजन का निर्णय मा मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। 2- उक्त पदों पर होने वाला व्ययभार विश्व बैंक पोषित परियोजना से किया जायेगा।
15- उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक, 2२३ को पुर:स्थापित किये जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किये जाने की नीति के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 19५0 से 2१२ की अवधि के दौरान अधिनियमित विनियोग से सम्बन्धित अधिनियमों को निरसित करने के लिये विनियोग अधिनियम (निरसन) अधिनियम 2१६ को अधिनियमित किया गया है। तदुसार उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 19५0 से वर्ष 20 तक के विनियोग अधिनियमों को उत्तर प्रदेश निरसन अधिनियम, 2१७ एवं उत्तर प्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) अधिनियम, 2१८ द्वारा निरसित किया जा चुका है। उपरोक्त के कम में अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय के 2१८ विनियोग अधिनियमों एवं उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त के 47 विनियोग अधिनियमों, कुल 26५ विनियोग अधिनियमों को विलोपित किये जाने हेतु उत्तराखण्ड विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक 2२३ को पुर:स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है ।
16- उत्तराखण्ड राज्य में माल और सेवा कर अपीलीय अधिकरण की राज्य पीठ गठित किए जाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम, 2२३ के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2१७ की धारा 1९ को प्रतिस्थापित किया गया है, जिसके अन्तर्गत राज्य सरकार के अनुरोध पर जीएसटी परिषद् की सिफारिश पर केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य में जीएसटी अपील अधिकरण (ज्तपइनदंस) की राज्य पीठ के गठन तथा उसके क्षेत्राधिकार की अधिसूचना जारी की जानी है। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य में अपील अधिकरण की राज्य पीठ को देहरादून में गठित करते हुए गठित राज्य पीठ को सम्पूर्ण राज्य का क्षेत्राधिकार दिए जाने से सम्बन्धित अनुरोध जीएसटी परिषद् को प्रेषित किए जाने का प्रस्ताव मा मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमन्य किया गया है।
17- उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 19५0 (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश 201) (संशोधन) अधिनियम, 203 (अधिनियम संख्या 29, वर्ष 203) दिनांक 15$01$204 की धारा 15४ (4) (3) (क) एवं धारा 15४ (4) (3) (ख) में संशोधन के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। लोक कल्याणकारी अवधारणा के अन्तर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना एवं भारत सरकार ध् राज्य सरकार की आवास नीति के अनुरूप किफायती आवासीय भवन का लाभ प्रदेश वासियों को प्राप्त हो सके, इस उद्देश्य से भूमि क्रय को अधिनियम की धारा 155 में उल्लिखित प्रयोजनों में सम्मिलित किये जाने के लिए तथा राज्य में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने एवं खेल विभाग की नीति के अनुरूप खेल प्रशिक्षण अकादमी, स्टेडियम आदि की स्थापना हेतु भूमि क्रय को प्रयोजन में सम्मिलित किये जाने के लिए अधिनियम की धारा 15४ (4) (3) (क) में खण्ड (अप) का अन्त:स्थापन किया जाना प्रस्तावित है।
18- आदत बाजार-गांधी रोड सड़क चौड़ी करण (सहारनपुर चौक से तहसील चौक तक) हेतु वर्तमान स्थल से आढ$त कारोबारियों एवं अन्य प्रभावित दुकानदारों के विस्थापन हेतु रीवर फन्ट डवलपमेन्ट योजना के लिए ग्राम-ब्राह्मणवाला एमडीडीए के प्रबन्धन में सौंपी गयी कुल चिन्हित 7.7४९3 है. भूमि का मालिकाना हक ध् स्वामित्व स:शुल्क अथवा नि:शुल्क मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित जाने के सम्बन्ध में। देहरादून शहर में आदत बाजार से रेलवे स्टेशन के मध्य विद्यमान सड़क की चौडाई मात्र 16 से 18 मीटर होने के कारण निरन्तर ट्रैफिक जाम की समस्या को ष्टिगत रखते हुए सहारनपुर चौक से तहसील चौक तक 24 मीटर चौड़ी सड़क किये जाने हेतु आदत बाजार स्थित आदत कारोबारियों एवं अन्य प्रभावित दुकानदारों को हरिद्वार बाईपास के समीप ग्राम ब्राह्मणवाला व निरंजनपुर स्थित आरएफडी परियोजना के लिए एमडीडीए के प्रबन्धन में दी गयी 7.7४९3 भूमि पर विस्थापित किये जाने हेतु उक्त भूमि का मालिकाना हक ध् स्वामित्व मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित किया जाना प्रस्तावित है।