मणिपुर हिंसा: विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री से मिलने का किया आग्रह

नई दिल्ली।मणिपुर हिंसा के मामले पर कांग्रेस समेत 10 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वह अमेरिका के दौरे पर रवाना होने से पहले उन्हें मिलने का समय दें ताकि वे राज्य से जुड़े मुद्दों को उनके समक्ष रख सकें।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के अनुसार, कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की मणिपुर इकाइयों के नेताओं ने 10 जून को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर और फिर 12 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र सौंपकर मिलने का समय मांगा है।

रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मणिपुर में विपक्ष की समान विचार वाली 10 पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं। आशा है कि प्रधानमंत्री विदेश यात्रा के लिए रवाना होने से पहले इन नेताओं से मिलेंगे। ये लोग 20 जून तक यहीं रहेंगे।

उन्होंने पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वर्षों पुरानी विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा, ‘‘22 साल पहले भी मणिपुर जल रहा था और उस समय सभी पार्टियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने का आग्रह किया था। इसके बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वाजपेयी से दो बार मिला था।”

कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान मणिपुर की इन पार्टियों के नेता भी मौजूद थे। रमेश का कहना है कि अब ये नेता प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहते हैं और उन्हें समय देना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव का कहना था, ‘‘यह बिल्कुल साफ है कि राज्य सरकार पूरी तरह विफल है और उससे कोई उम्मीद नहीं है। अब मणिपुर के लोगों को सिर्फ केंद्र और प्रधानमंत्री से उम्मीद है।” उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री से कहना चाहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद रखिए, इस प्रतिनिधिमंडल से मिलिए और शांति की अपील करिए।”

रमेश ने आरोप लगाया कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा जिम्मेदार है। मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, ‘‘हमने ज्ञापन तैयार किया है।

हम राजनीति करने के लिए नहीं आए हैं। हम प्रधानमंत्री से सिर्फ यह आग्रह करना चाहते हैं कि पहले मणिपुर में सामान्य स्थिति सुनिश्चित की जाए और फिर दो समुदायों के बीच बातचीत शुरू की जाए।”

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