बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर लगातार राजनीति चल रही है। बिहार में जातीय जनगणना की प्रक्रिया जारी थी। लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया था। पटना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

लेकिन बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। यह बिहार सरकार के लिए बड़ा झटका है क्योंकि बिहार सरकार लगातार राज्य में जातीय जनगणना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताती रही है। मामला 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध है।

इससे पहले के न्यायाधीश संजय करोल ने बिहार सरकार की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें राज्य में उसके (बिहार सरकार) द्वारा की जा रही जातीय जनगणना पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

पटना उच्च न्यायालय के चार मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा था कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है। संविधान का अनुच्छेद 15 कहता कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा।

वहीं, अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।

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