इटावा । देश में तेजी से लुप्त हो रही गौरैया चिड़िया की प्रजाति के संरक्षण के लिये उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के लोग आगे आये हैं। इटावा में घर घर मे गौरैया की मौजूदगी ने हर किसी को बेहद खुश कर दिया है। दूसरे शब्दों में कहे तो गौरैया चिड़िया का सबसे बड़ा संरक्षक जिला इटावा बन गया है। जिला प्रभागीय वन अधिकारी अतुल कांत शुक्ला बताते है कि वन विभाग और पर्यावरणीय संस्थाओं की पहल का ही यह नतीजा हैं कि आज बड़ी तादाद में हर और गौरैया चिड़िया नजर आ रही ।
चंबल सेंचुरी के रेंजर हरिकिशोर शुक्ला कहते है कि आज से दस साल पहले गौरैया चिड़यिा ना के बराबर दिखती थी लेकिन आज गौरैया चिड़यिा की जिस तरह से संख्या दिखाई दे रही है वह कहीं ना कहीं हर किसी को खुश जरूर कर रही है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय सोसायटी फार कंजर्वेशन आफ नेचर के महासचिव डा.राजीव चौहान ने सर्वेक्षण रिर्पाेट का हवाला देते हुए बताया कि गौरैया के संरक्षण की दिशा में चलाए जा रहे अभियान के क्रम में इटावा के लोगों ने अपने अपने घरों में कृत्रिम घोसले लगा रखे हैं और उन घोसलों में गौरैया चिड़िया अंडे देती है उसके बाद बच्चे बाहर आते है।
इन छोटे-छोटे बच्चों को देखकर के लोग ना केवल खुश होते बल्कि संरक्षक की भूमिका भी अदा करने में लगे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि केवल एक या दो घरों मे ही गौरैया चिड़िया के बच्चे पल रहे हो बल्कि 200 से अधिक घरों में गौरैया चिड़िया के बच्चे देखे जा रहे है। छोटे-छोटे मासूम बच्चों के चाहचाहट लोगों को खुश भी कर रही है। आगे आने वाला समय गौरैया चिड़िया के प्रजनन काल का है तो ज्यादातर घरों में यह देखी जाने लगी है।
आवास विकास कालौनी मे रहने वाली माधवी बताती है कि आज से चार और पांच साल पहले उनको गौरैया चिडिया के संरक्षण के लिए घोंसला मिला था जिसके बाद उनके घर पर गौरैया आना शुरू हो गई और उन्होने अंडे भी दिये और उनके बच्चे होने लगे । ऐसा लगातार चल रहा है। फ्रैंडस कालौनी इलाके के एडवोकेट विक्रम सिंह भी जिनके घर पर पिछले दस सालो से गौरैया चिडिया अपना खुद वा खुद ना केवल घोसला बनाती है बल्कि अंडे देती है जिनके छोटे छोटे बच्चे गौरैया चिडिया की संख्या मे इजाफा करते है ।